अब एलएचबी रैक से चलेगी राजगीर-वाराणसी बुद्ध पूर्णिमा एक्सप्रेस

राजगीर (नालंदा दर्पण)। भारतीय रेलवे ने यात्रियों की लंबे समय से चली आ रही मांग को पूरा करते हुए एक महत्वपूर्ण फैसला लिया है। बौद्ध सर्किट की प्रमुख ट्रेन राजगीर-वाराणसी बुद्ध पूर्णिमा एक्सप्रेस अब आधुनिक एलएचबी (लिंक हॉफमैन बुश) रैक के साथ दौड़ेगी। यह बदलाव न केवल ट्रेन की सुरक्षा को मजबूत करेगा, बल्कि यात्रियों को अधिक आरामदायक और तेज़ यात्रा का अनुभव प्रदान करेगा।

रेलवे बोर्ड ने इस संबंध में आधिकारिक अधिसूचना जारी कर दी है, जिसके अनुसार गाड़ी संख्या 14224/14223 बुद्ध पूर्णिमा एक्सप्रेस 20 नवंबर से वाराणसी से और 21 नवंबर से राजगीर से एलएचबी कोचों के साथ अपनी नियमित यात्रा शुरू करेगी।

यह ट्रेन बिहार के ऐतिहासिक शहर राजगीर को उत्तर प्रदेश के पवित्र नगर वाराणसी से जोड़ती है, जो बौद्ध धर्मावलंबियों और पर्यटकों के लिए विशेष महत्व रखती है। राजगीर बौद्ध धर्म के संस्थापक गौतम बुद्ध से जुड़ा हुआ है, जबकि वाराणसी हिंदू और बौद्ध दोनों परंपराओं का केंद्र है। अब तक यह ट्रेन पुराने आईसीएफ (इंटीग्रल कोच फैक्ट्री) कोचों से संचालित हो रही थी, जो तकनीकी रूप से पुराने हो चुके थे और सुरक्षा के लिहाज से कमजोर माने जाते थे।

रेल विभाग के सूत्रों के अनुसार, एलएचबी रैक अपनाने से ट्रेन की गति, स्थायित्व और समयपालन क्षमता में उल्लेखनीय सुधार आएगा। इससे यात्रियों को न केवल सुरक्षित यात्रा मिलेगी, बल्कि लंबी दूरी की थकान भी कम होगी।

इस नई व्यवस्था के तहत ट्रेन के कोचों की संरचना में व्यापक बदलाव किए गए हैं, जो यात्रियों की जरूरतों को ध्यान में रखकर तैयार किए गए हैं। पहले इस ट्रेन में सात जेनरल कोच होते थे, जो सामान्य यात्री वर्ग के लिए थे। लेकिन अब इनकी संख्या घटाकर चार कर दी गई है। इसके बदले स्लीपर कोचों की संख्या तीन से बढ़ाकर छह कर दी गई है।

यह बदलाव विशेष रूप से लंबी दूरी के यात्रियों के लिए राहत भरा है, क्योंकि स्लीपर कोच में आराम से सोकर यात्रा करने की सुविधा मिलती है। राजगीर से वाराणसी की दूरी लगभग 400 किलोमीटर है, जो रात भर की यात्रा होती है, इसलिए स्लीपर कोचों की बढ़ोतरी से मध्यम वर्ग के यात्रियों को बड़ा फायदा होगा।

वातानुकूलित यात्रा करने वाले यात्रियों के लिए भी अच्छी खबर है। पहले ट्रेन में सिर्फ एक थर्ड एसी कोच था, लेकिन अब दो थर्ड एसी कोच जोड़े गए हैं। इसके अलावा एक सेकंड एसी कोच भी नई रैक में शामिल किया गया है, जो पहले उपलब्ध नहीं था। इससे प्रीमियम यात्रियों को अधिक विकल्प मिलेंगे और बुकिंग की समस्या कम होगी। विशेष रूप से गर्मियों में वाराणसी और राजगीर के बीच यात्रा करने वाले पर्यटकों को यह सुविधा बहुत पसंद आएगी।

हालांकि, कुछ बदलावों में कटौती भी की गई है। वाराणसी-राजगीर रूट पर पहले दिव्यांग यात्रियों की सुविधा के लिए दो विशेष कोच लगाए जाते थे, लेकिन अब इनकी संख्या घटाकर एक कर दी गई है।

रेलवे अधिकारियों का कहना है कि यह निर्णय यात्री भार और उपलब्धता के आधार पर लिया गया है, ताकि अन्य कोचों की संख्या बढ़ाई जा सके। इसके साथ ही नई रैक में एक जेनरेटर कोच भी जोड़ा गया है, जो ट्रेन की बिजली आपूर्ति और एयर कंडीशनिंग सिस्टम को स्थिर बनाए रखेगा। पहले यह व्यवस्था नहीं थी, जिससे कभी-कभी बिजली की समस्या हो जाती थी।

बता दें कि एलएचबी कोच जर्मन तकनीक पर आधारित हैं और भारतीय रेलवे में इनकी लोकप्रियता तेजी से बढ़ रही है। रेलवे अधिकारियों के अनुसार ये कोच तकनीकी रूप से उन्नत हैं और सुरक्षा मानक आईसीएफ कोचों से कहीं बेहतर हैं।

सबसे महत्वपूर्ण विशेषता है एंटी-टेलिस्कोपिक डिजाइन, जिसके कारण दुर्घटना की स्थिति में एक कोच दूसरे के अंदर नहीं घुसता। इससे पटरी से उतरने या टक्कर जैसी घटनाओं में यात्रियों की जान बचाने की संभावना बढ़ जाती है।

पिछले कुछ वर्षों में हुई रेल दुर्घटनाओं के बाद रेलवे ने सभी प्रमुख ट्रेनों को एलएचबी रैक से लैस करने का लक्ष्य रखा है और बुद्ध पूर्णिमा एक्सप्रेस इसी दिशा में एक कदम है।

इसके अलावा एलएचबी कोचों में बेहतर सस्पेंशन सिस्टम है, जो ट्रेन को झटकों से बचाता है और यात्रा को सुगम बनाता है। शोर कम करने की विशेष व्यवस्था से कोच के अंदर शांति बनी रहती है, जबकि सीटिंग और बर्थ सिस्टम अधिक आरामदायक हैं।

लंबी यात्रा में ये छोटी-छोटी सुविधाएं यात्रियों के अनुभव को पूरी तरह बदल देती हैं। रेल विभाग का मानना है कि इन बदलावों से ट्रेन की औसत गति में वृद्धि होगी और समयपालन बेहतर होगा, जिससे यात्री समय पर अपने गंतव्य तक पहुंच सकेंगे।

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