Home आवागमन शर्मनाकः बिगड़ती जा रही है बिहार शरीफ सरकारी बस डिपो की सूरत

शर्मनाकः बिगड़ती जा रही है बिहार शरीफ सरकारी बस डिपो की सूरत

Shameful: The condition of Biharsharif government bus depot is deteriorating
Shameful: The condition of Biharsharif government bus depot is deteriorating

बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। बिहार राज्य बस परिवहन निगम ने अपनी सेवाओं में सुधार किया है और यात्रियों को बेहतर सुविधाएं देने की दिशा में कदम बढ़ाए हैं, लेकिन बिहारशरीफ नगर अवस्थित सरकारी बस डिपो इस सुधार के विपरीत एक गंभीर समस्या का सामना कर रहा है। रांची रोड पर स्थित इस बस डिपो का हाल अब तक की सबसे खराब स्थिति में पहुंच चुका है, जिससे यात्रियों की सुरक्षा और सुविधा दोनों खतरे में हैं।

10 वर्षों से ध्वस्त भवनः करीब 10 वर्षों से डिपो का मुख्य भवन पूरी तरह ध्वस्त हो चुका है। खंडहर में तब्दील हो चुका यह भवन न केवल कर्मचारियों के लिए असुविधा का कारण बनता है, बल्कि यहां के असामाजिक तत्वों के लिए भी एक सुरक्षित ठिकाना बन गया है। स्थानीय कर्मचारियों के लिए बैठने की पर्याप्त जगह नहीं है। वे जहां-तहां बैठकर काम करने के लिए मजबूर हैं। इस अव्यवस्था के कारण सुबह से देर शाम तक डिपो में असामाजिक तत्वों का जमावड़ा लगा रहता है।

बाउंड्री का अभावः पिछले एक साल से डिपो की बाउंड्री भी टूट चुकी है, जिससे महिला यात्रियों को विशेष रूप से परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। सुबह और शाम के समय जब महिलाएं डिपो में आती हैं, तो उन्हें असामाजिक तत्वों की उपस्थिति से डर लगता है। बस डिपो के पूरब और पश्चिम दीवारें भी लगभग टूट चुकी हैं, जिससे सुरक्षा की स्थिति और भी गंभीर हो गई है।

अवैध पार्किंग की समस्याः निजी वाहन मालिकों द्वारा यहां अवैध पार्किंग की समस्या भी बढ़ती जा रही है। बस डिपो में गैराज के वाहन, एंबुलेंस और निजी वाहनों के साथ अस्थायी और स्थायी दुकानें भी स्थापित की जा चुकी हैं। इस अव्यवस्था के कारण न केवल डिपो की सूरत बिगड़ रही है, बल्कि यात्रियों के लिए भी सुरक्षा खतरे में पड़ गई है।

नशे का सेवन और असामाजिक गतिविधियों का केन्द्रः खंडरनुमा बस डिपो में दिन के उजाले में भी गांजा और अन्य नशीले पदार्थों का सेवन करते लोगों को देखा जा सकता है। स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत चल रहे सीवरेज निर्माण कार्य ने स्थिति को और खराब कर दिया है, जिसके कारण डिपो के पश्चिमी दीवार भी ध्वस्त हो गई हैं। सुरक्षा के अभाव में डिपो में काम करने वाले कर्मचारियों को भी असुरक्षित महसूस होता है।

प्रशासन की अनदेखीः स्थानीय लोग इस स्थिति के लिए विभाग और जिला प्रशासन की अनदेखी को जिम्मेदार मानते हैं। यह डिपो रोजाना पटना, जमुई, बाढ़, नवादा और लक्खीसराय समेत दो दर्जन से अधिक बसों का गंतव्य है, जिसमें हजारों लोग यात्रा करते हैं। इसके बावजूद, प्रशासन द्वारा डिपो के रखरखाव पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है।

अधिकारियों की प्रतिक्रियाः इस स्थिति को सुधारने के लिए बस डिपो के अधीक्षक अरुण कुमार ने कहा, “डीपो में सुरक्षा के लिए स्थानीय थाना और गश्ती पुलिस को कई बार सूचित किया गया है। ध्वस्त भवन और बाउंड्री निर्माण की प्रक्रिया चल रही है। पटना के अधिकारियों ने भी यहां औचक निरीक्षण किया है, और हमें उम्मीद है कि जल्द ही दीवार निर्माण की स्वीकृति मिलेगी। अवैध पार्किंग हटाने के लिए स्थानीय प्रशासन से मदद मांगी गई है।”

हालांकि, अब यह देखना होगा कि क्या प्रशासन इन गंभीर मुद्दों पर ठोस कदम उठाता है या फिर सरकारी बस डिपो की यह अव्यवस्था यूं ही जारी रहती है। जब तक इस समस्या का समाधान नहीं होता, तब तक यात्रियों को असुरक्षा और असुविधा का सामना करना पड़ता रहेगा।

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