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बिहार शरीफ सदर अस्पताल में लाल ख़ून का जारी काला धंधा बना चुनौती

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बिहार शरीफ (नालंदा दर्पण)। बिहार के उपमुख्यमंत्री और स्वास्थ मंत्री तेजस्वी यादव ने भले ही मिशन क़्वालिटी के तहत करोड़ों रूपए ख़र्च कर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह क्षेत्र नालंदा का एक मात्र ISO प्रमाणित बिहार शरीफ सदर अस्पताल की सूरत बदली हो, लेकिन उसकी सीरत जस की तस है।

The ongoing black business of red blood becomes a challenge in Bihar Sharif Sadar Hospital 1यह भी कहना गलत नहीं होगा कि जबसे डिप्टी सीएम ने स्वास्थ विभाग की कमान संभाला है, तबसे अस्पताल में डॉक्टर्स से लेकर स्वास्थ कर्मियों के स्वभाव में बदलाव भी आया है।

बावजूद यहां आशा कर्मियों का बोलबाला है और प्रसव पीड़िता के परिजनों को बेहतर इलाज मुहैया कराने के नाम पर अवैध उगाही का गोरखधंधा धड़ल्ले से चल रहा है। शिकायत और निलंबन के बाद भी इसका असर उन आशाकर्मी पर नहीं पड़ रहा है। जिससे आए दिन मरीज़ और उनके तीमारदारों को ख़ून दिलाने के नाम पर उगाही का मामला सामने आता रहता है।

इसी बीच एक ताज़ा मामला कल शाम को देखने को मिला, जब प्रसव पीड़ा उठने के बाद परिवार वाले इलाज के लिए बिहार शरीफ सदर अस्पताल लाया, जहां इलाज का पर्ची कटाने के बाद प्रसव पीड़िता की मां डॉ. को दिखाने गई।

एक दलाल, जो नेता बनकर एक नीजी क्लिनिक चलाता है और रात भर बिहार शरीफ सदर अस्पताल में पड़ा रहता है….

तभी एक आशाकर्मी जिसका नाम रिंकु देवी बताया जाता है, उसने मरीज़ का पुर्जा इलाज के बहाने लेकर बाहर चली आई और मरीज़ को पास के एक निजी क्लीनिक में इलाज कराने के बहाने उससे ख़ून चढ़वाने के नाम पर 14 हज़ार रूपए और 10 हज़ार रूपए डिलीवरी चार्ज का डिमांड किया।

लेकिन जब पीड़ित परिवार ने पैसा देने से इंकार कर दिया और वापस सदर अस्पताल लाया तो अहले सुबह सदर अस्पताल में प्रसव पीड़िता को नॉर्मल डिलीवरी के ज़रिए पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई। जहां जच्चा और बच्चा दोनों स्वस्थ है।

पीड़ित परिवार रहुई थाना क्षेत्र के ब्रांदी गांव निवासी संजय पासवान अपनी पत्नी के साथ प्रसूता पुत्री को इलाज के लिए सदर अस्पताल लेकर आए थे। जिसके बाद उन्होंने इसकी जानकारी पत्रकारों की दी।

वहीं, इस मामले के संदर्भ में नालंदा सिविल सर्जन डॉ. अविनाश कुमार सिंह ने बताया कि यह गंभीर चिंता की बात है। एक बार बर्खास्तगी के बावजूद हुई इस तरह की घटना की जांच कर आगे ठोस कार्रवाई की जाएगी।

हालांकि, बिहार शरीफ सदर अस्पताल में इस तरह का यह कोई पहला मामला नहीं है। आए दिन शिकायत के बावजूद कार्रवाई और दुर्भाग्य की बात कही जाती रही है, मगर कार्रवाई शून्य होती है।

सवाल उठता है कि बिहार शरीफ सदर अस्पताल में लगातार इस तरह के मामले मीडिया में आते रहते हैं, वही सदर अस्पताल में सीसीटीवी कैमरे लगे है। तो क्या उस कैमरे मे दलाल कैद नही होते है?

या फिर यह कहा जाए कि कहीं न कहीं पदाधिकारों की भी इस तरह के अमानवीय गोरखधंधे में मिलीभगत होती है। अस्पताल सूत्र बताते है कि कुछ साफेदपोश खुद का नीजी क्लिनिक खोल रखे है और शाम होते ही सदर अस्पताल में अपना डेरा जमा लेते है।

वे अधिकारियों को आते जाते सलामी भी ठोकते है। जिसपर अधिकारी भी गर्व से छाती फुलाकर चलते है। अगर अस्पताल मे लगे सीसीटीवी कैमरे की जाँच हो तो बहुत से लोग पर गाज गिर सकती है।

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