राजगीर (नालंदा दर्पण)। नालंदा और आसपास के जिलों के लिए बड़ी खुशखबरी है। करीब 104 किलोमीटर लंबी तिलैया-राजगीर-बख्तियारपुर रेलखंड के दोहरीकरण कार्य को रेलवे मंत्रालय ने विशेष रेल परियोजना का दर्जा दे दिया है। यानि अब यह परियोजना पहले तय पाँच वर्षों के बजाय सिर्फ चार साल में पूरी कर ली जाएगी। लगभग 2,192 करोड़ रुपए की लागत से बनने वाली इस परियोजना से 1,434 गांवों के 13.46 लाख से अधिक लोगों को सीधा लाभ मिलेगा।
इस दोहरीकरण के बाद नालंदा, राजगीर, पावापुरी, कुंडलपुर जैसे प्रमुख पर्यटन और तीर्थ स्थलों तक ट्रेन यात्रा और सुविधाजनक होगी। बुद्ध सर्किट से जुड़े इन स्थानों पर देश-विदेश से आने वाले सैलानियों को अब यात्रा में कम समय लगेगा और सुविधाएं भी बेहतर होंगी।
वहीं राजगीर (शांति स्तूप), नालंदा (प्राचीन विश्वविद्यालय) और पावापुरी (जल मंदिर) तक पहुंचना और आसान हो जाएगा, जिससे क्षेत्र में पर्यटन को नई उड़ान मिलने की उम्मीद है।
मुख्य अभियंता अनिल कुमार ने बताया कि विशेष परियोजना घोषित होने का सबसे बड़ा फायदा यह है कि भूमि अधिग्रहण की रफ्तार बढ़ जाती है। भूमि विवाद अदालत में होने पर भी कार्य नहीं रुकता।
इस परियोजना के तहत हॉल्ट स्टेशनों के प्लेटफॉर्म की लंबाई 450 मीटर की जाएगी। क्रॉसिंग स्टेशनों के प्लेटफॉर्म की लंबाई 600 मीटर होगी। राजगीर, हरनौत और बिहारशरीफ जैसे बड़े स्टेशनों के प्लेटफॉर्म 1,750 मीटर लंबे बनाए जाएंगे। हर ठहराव स्थल पर पेयजल, शौचालय और शेड की व्यवस्था की जाएगी। कुल 17 बड़े और 264 छोटे पुल-पुलियों का निर्माण होगा
बता दें कि रेलखंड में वर्तमान में 36 कर्व हैं, जबकि नई लाइन में 56 कर्वों की जरूरत पड़ेगी। यह रेल मार्ग कोयला, सीमेंट, क्लिंकर और फ्लाई ऐश जैसी महत्वपूर्ण सामग्रियों की माल ढुलाई का प्रमुख माध्यम है।
अब इस रेलखंड की दोहरीकरण से प्रतिवर्ष 26 मिलियन टन अतिरिक्त माल ढुलाई की क्षमता बढ़ेगी। मालगाड़ियों का परिचालन तेज और सुगम होगा। व्यापार को नई मजबूती मिलेगी
भारतीय रेलवे के अनुसार इस परियोजना से हर साल 5 करोड़ लीटर तेल की बचत और 24 करोड़ किलोग्राम कार्बन उत्सर्जन में कमी आएगी, जो एक करोड़ पेड़ लगाने के बराबर है। यह परियोजना आत्मनिर्भर भारत मिशन और पीएम गति शक्ति नेशनल मास्टर प्लान के तहत क्षेत्रीय विकास को नई दिशा देगी।
वहीं दोहरीकरण होने के बाद नेशनल थर्मल पावर कॉपरेशन बाढ़ के लिए झारखंड से कोयला परिवहन आसान होगा। नालंदा के लोगों का झारखंड से आना-जाना भी तेज़ हो जाएगा।
इस परियोजना के लिए कुल 75 हेक्टेयर जमीन अधिग्रहित होगी। 31 रेल गुमटियों को अंडरपास में बदला जाएगा। छोटे स्टेशनों और हॉल्टों पर 25 फुट ओवरब्रिज (FOB) बनाए जाएंगे। करनौती से हरनौत तक लाइन पश्चिम में, फिर राजगीर तक पूर्व में, फिर तिलैया तक विविध दिशाओं में दूसरी लाइन बिछाई जाएगी
बहरहाल तिलैया–राजगीर–बख्तियारपुर रेलखंड का दोहरीकरण सिर्फ एक रेलवे परियोजना नहीं, बल्कि नालंदा और आसपास के जिलों के विकास की रफ्तार बढ़ाने वाला कदम है। इससे जहां यात्रियों की सुविधा बढ़ेगी, वहीं पर्यटन, व्यापार और रोजगार के नए अवसर भी खुलेंगे।
