नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना प्राचीन भारत में 5वीं शताब्दी में हुई थी।

 12वीं   शताब्दी में बख्तियार खिलजी के आक्रमण में नष्ट कर दिया गया था। 

 वर्ष 2010 में सीएम नीतीश कुमार ने इसे पुनः नए सिरे से स्थापित करने का निर्णय लिया।  

1749करोड़ रुपये की लागत से नालंदा विश्वविद्यालय का नया कैंपस राजगीर में संचालित है।   

‘नेट जीरो’ ऊर्जा सिद्धांत पर आधारित, जिसमें ऊर्जा का उत्पादन और खपत संतुलित है। 

यहां सौर ऊर्जा संयंत्र और जल संरक्षण जैसे पर्यावरणीय उपाय दर्शाए गए हैं। 

कैंपस में एकेडेमिक ब्लॉक, ऑडिटोरियम, हॉस्टल, एम्फीथिएटर और स्पोर्ट्स कैंपस बनाए गए हैं। 

यहां अंतर्राष्ट्रीय छात्रों और शोधकर्ताओं के लिए अत्याधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर उपलब्ध कराए गए हैं। 

यहां फिलहाल उच्चस्तरीय एमबीए, पीजीडीएम, साइंस, आर्ट्स, और सोशल साइंसेज जैसे कोर्स उपलब्ध हैं। 

यह विश्वविद्यालय वैश्विक शिक्षा और नवाचार का पुनः बड़ा प्रेरणास्त्रोत बन रहा है।