“नालंदा विश्वविद्यालय के अद्भुत पुनर्जागरण को देखकर यह कहना गलत नहीं होगा कि यह केवल एक कैंपस नहीं, बल्कि भारत की सांस्कृतिक धरोहर और शैक्षणिक नेतृत्व का प्रतीक पुनः उदय हुआ है…
राजीगर (नालंदा दर्पण / मुकेश भारतीय)। नालंदा विश्वविद्यालय का नाम सुनते ही इतिहास के पन्ने सामने खुल जाते हैं। प्राचीन भारत का 5वीं से 12वीं शताब्दी तक ज्ञान और संस्कृति का गढ़ रहा यह विश्वप्रसिद्ध शिक्षा केंद्र अब एक बार फिर से आधुनिक रूप में दुनिया के सामने उभरकर आया है। इसके गौरवशाली अतीत को देखते हुए वर्ष 2010 में इसे पुनः स्थापित करने का फैसला लिया गया और अब राजगीर में इसका नया भव्य कैंपस संचालित हो चुका है।
यह विश्वविद्यालय प्राचीन काल में बौद्ध शिक्षा का केंद्र था। यहां दुनिया भर से हजारों छात्र ज्ञान अर्जित करने आते थे। लेकिन 12वीं शताब्दी में बख्तियार खिलजी के आक्रमण के दौरान इस विश्वविद्यालय को तहस-नहस कर दिया गया। उसके बाद सदियों तक यह सिर्फ एक इतिहास का हिस्सा रहा। लेकिन अब इसे आधुनिक तकनीक और पारंपरिक मूल्यों का संगम बनाकर पुनर्जीवित किया गया है।
नालंदा विश्वविद्यालय का नया परिसर न केवल शैक्षणिक दृष्टि से बल्कि पर्यावरणीय दृष्टिकोण से भी एक मिसाल है। 17.49 करोड़ रुपये की लागत से बना यह कैंपस नेट जीरो ऊर्जा सिद्धांत पर आधारित है। इसका मतलब है कि यह जितनी ऊर्जा का उपभोग करेगा, उतनी ही ऊर्जा स्वयं उत्पन्न करेगा। इसमें सौर ऊर्जा संयंत्र, जल संरक्षण और रीसाइक्लिंग की अत्याधुनिक सुविधाएं शामिल हैं।
इस कैंपस में एकेडेमिक ब्लॉक, ऑडिटोरियम, हॉस्टल, अंतरराष्ट्रीय केंद्र, एम्फीथिएटर और स्पोर्ट्स कैंपस जैसी सुविधाएं उपलब्ध हैं। छात्रों को यहां शिक्षा के साथ-साथ अनुसंधान और नवाचार के लिए बेहतरीन माहौल मिलता है। इसके अलावा यहां संस्कृति और परंपरा को ध्यान में रखते हुए आधुनिक तकनीक का अद्भुत समावेश किया गया है।
नालंदा विश्वविद्यालय ने वैश्विक स्तर पर छात्रों को आकर्षित किया है। इसे 18 सदस्य देशों का समर्थन प्राप्त है और छात्रों के लिए मेरिट आधारित प्रवेश प्रणाली लागू है। एमबीए, पीजीडीएम, साइंस, आर्ट्स और सोशल साइंसेज जैसे कोर्सेस के लिए यह विश्वविद्यालय अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप शिक्षा प्रदान करता है।
बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस नए परिसर का उद्घाटन करते हुए इसे ‘भारत के स्वर्णिम युग की शुरुआत बताया। उन्होंने कहा कि यह कैंपस भारत की शैक्षणिक और सांस्कृतिक धरोहर को आधुनिक युग में प्रस्तुत करने का एक प्रतीक है।
वेशक नालंदा विश्वविद्यालय का नया परिसर न केवल शिक्षा का केंद्र है, बल्कि यह पूरी दुनिया को यह संदेश देता है कि कैसे परंपरा और आधुनिकता का सामंजस्य स्थापित किया जा सकता है। यह विश्वविद्यालय आने वाले समय में न केवल भारत, बल्कि वैश्विक स्तर पर एक बड़ा उदाहरण बनेगा।
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