बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण संवाददाता)। इन दिनों समूचे नालंदा जिले के ग्रामीण व शहरी इलाकों में पिछले कुछ दिनों से आम मैना (मैना पक्षी) की अचानक हो रही मौतों ने लोगों के होश उड़ा रखे हैं। खेतों में, सड़क किनारे, तालाबों के पास, पेड़ों की डालियों पर और बिजली के तारों पर बैठी ये चहचहाती मैना अचानक फड़फड़ाती हुई नीचे गिर पड़ती है और कुछ ही मिनटों में दम तोड़ देती है। गिरने के बाद उनके शरीर में भयानक अकड़न आ जाती है, पैर पूरी तरह तन जाते हैं और पंख कसकर सिकुड़ जाते हैं। मानो किसी ज़हरीले करंट ने उन्हें जकड़ लिया हो।
यह दृश्य अब रोज़ाना दर्जनों गांवों में देखा जा रहा है। बिहारशरीफ शहर के पास चंडी, नगरनौसा, थरथरी, करायपरसुराय, इस्लामपुर, राजगीर, सोहसराय, बेन, सिलाव, गिरियक, राजगीर आदि क्षेत्रों के कई गांवों और हिलसा-पटना बॉर्डर के गांवों तक में मैना पक्षियों के शव बिखरे पड़े मिल रहे हैं। स्थानीय लोग बताते हैं कि सुबह उठते ही दर्जनों मरी हुई मैना आंगन, छत और सड़क पर दिखती हैं। बच्चे डर कर स्कूल जाने से कतरा रहे हैं और बुजुर्ग इसे अपशगुन मानकर चिंतित हैं।
इस रहस्यमयी मौतों को लेकर ग्रामीणों में तरह-तरह की बातें हो रही हैं। कुछ लोग इसे हाल ही में लगे 5G मोबाइल टावरों की तरंगों का असर बता रहे हैं। उनका कहना है कि जिस इलाके में नया टावर लगा है, वहीं सबसे ज्यादा मैना मर रही हैं। एक वयोवृद्ध किसान ने बताया कि पहले 4G के समय भी पक्षी गिरते थे, लेकिन इतनी बड़ी संख्या में कभी नहीं देखा।
दूसरी ओर कुछ लोग इसे किसी अज्ञात वायरस या बैक्टीरिया का संक्रमण मान रहे हैं। उनका तर्क है कि बर्ड फ्लू या रानीखेत जैसी बीमारियां पहले भी पक्षियों में फैली हैं और उनके लक्षण भी कुछ इसी तरह के होते हैं। अचानक फड़फड़ाहट, अकड़न और मौत। कुछ बुजुर्ग तो यह भी कह रहे हैं कि पानी में ज़हरीले केमिकल की वजह से ऐसा हो रहा है।
हैरानी की बात यह है कि इतनी बड़ी संख्या में पक्षियों की मौत के बावजूद जिला पशु चिकित्सा विभाग ने अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। न तो मृत पक्षियों के शवों को एकत्र किया गया, न ही पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया।
विभाग के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि हमें अभी तक ऊपर से कोई निर्देश नहीं मिला है। अगर लिखित शिकायत आएगी तो टीम भेजी जाएगी।
इस बीच नालंदा के कई सामाजिक कार्यकर्ताओं और पर्यावरण प्रेमियों ने पशु चिकित्सा विभाग से तुरंत कार्रवाई की मांग की है। बिहारशरीफ के सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. निशांत राज ने कहा कि यह सिर्फ पक्षियों की मौत नहीं है, यह पूरे इको-सिस्टम के लिए खतरे की घंटी है। मैना कीड़ों को खाती है, अगर ये खत्म हो गईं तो फसलों पर कीटों का हमला बढ़ेगा। साथ ही अगर यह वायरस है तो यह इंसानों तक भी पहुँच सकता है।
पर्यावरण कार्यकर्ता रंजना ने तो जिला प्रशासन को लिखित पत्र देकर मृत पक्षियों के सैंपल को पटना या दिल्ली की लैब में भेजने की मांग की है। उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर 48 घंटे में जांच शुरू नहीं हुई तो वह धरना-प्रदर्शन करेंगे।
ग्रामीणों का कहना है कि अगर यह 5G तरंगों का असर है तो टावरों को तुरंत हटाया जाए। अगर वायरस है तो उसका पता लगाकर दवा छिड़काव हो। लेकिन सबसे बड़ी चिंता यह है कि जब तक जांच नहीं होगी, हम सभी खतरे में हैं। कई गांवों में लोग मरी हुई मैना को छूने से भी डर रहे हैं और उन्हें दफनाने या जलाने लगे हैं।
बहरहाल आखिर नालंदा की मैना को कौन मार रहा है? 5G की तरंगें, कोई अज्ञात वायरस या कुछ और… जवाब का इंतजार पूरे जिले को है।
