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कुख्यात परीक्षा सरगना संजीव मुखिया को लेकर कोर्ट सख्त, अरेस्ट वारंट जारी

संजीव मुखिया के कारनामों ने परीक्षा व्यवस्था को निचोड़ कर रख दिया है। ऐसे भ्रष्टाचारियों को कड़ी सजा मिलनी चाहिए। ताकि योग्य उम्मीदवारों को उनका हक मिल सके..

हिलसा (नालंदा दर्पण)। बिहार में परीक्षाओं को लेकर बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार और पेपर लीक के मामलों के मास्टरमाइंड कुख्यात संजीव मुखिया पर अब कानूनी शिकंजा कस गया है। आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) ने संजीव मुखिया की गिरफ्तारी के लिए कोर्ट से वारंट प्राप्त कर लिया है। कोर्ट ने स्पष्ट आदेश दिया है कि जल्द से जल्द संजीव को गिरफ्तार किया जाए।

सूत्रों के अनुसार अगर एक महीने के भीतर संजीव मुखिया गिरफ्तार नहीं होता है या सरेंडर नहीं करता है तो उसकी संपत्तियों की कुर्की जब्ती शुरू हो जाएगी। पहले मिली जानकारी के अनुसार संजीव मुखिया नेपाल में छिपा हुआ था। ईओयू ने वहां भी छापेमारी की, लेकिन वह ठिकाना बदलने में कामयाब रहा।

बता दें कि संजीव मुखिया पर न केवल नीट-यूजी, बीपीएससी शिक्षक बहाली और सिपाही बहाली परीक्षाओं के पेपर लीक का आरोप है, बल्कि उसके खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का मामला भी दर्ज है। ईओयू की टीम ने कुछ महीने पहले नालंदा स्थित उसके पुश्तैनी मकान और अन्य ठिकानों पर छापेमारी की थी। इस दौरान बड़ी मात्रा में संपत्ति और निवेश से जुड़े दस्तावेज बरामद किए गए थे।

संजीव मुखिया नालंदा के नूरसराय वानिकी कॉलेज में तकनीकी सहायक के पद पर तैनात है। उसने अपने बेटे डॉ. शिव के साथ मिलकर एक बड़ा सिंडिकेट तैयार किया था। जो परीक्षा में सेंटिंग और पेपर लीक का खेल चलाता था। डॉ. शिव सिपाही बहाली परीक्षा के भ्रष्टाचार में भी शामिल था। फिलहाल वह बेऊर जेल में बंद है।

ईओयू की टीम ने इस मामले में कड़े कदम उठाए हैं। न केवल संजीव मुखिया की गिरफ्तारी सुनिश्चित की जा रही है, बल्कि उसके पूरे नेटवर्क को तोड़ने के लिए लगातार कार्रवाई जारी है। ईओयू का कहना है कि जल्द ही इस सिंडिकेट से जुड़े अन्य लोगों पर भी शिकंजा कसा जाएगा।

इस मामले को लेकर विशेषज्ञों का मानना है कि बिहार में परीक्षा और नौकरी से जुड़े मामलों में होने वाले भ्रष्टाचार के खिलाफ यह कार्रवाई एक अहम कदम है। सरकार और जांच एजेंसियों को इसे एक उदाहरण के रूप में पेश करना चाहिए। ताकि भविष्य में इस तरह के अपराधों पर लगाम लगाई जा सके।

बहरहाल, संजीव मुखिया के कारनामों ने परीक्षा व्यवस्था को निचोड़ कर रख दिया है। ऐसे भ्रष्टाचारियों को कड़ी सजा मिलनी चाहिए। ताकि योग्य उम्मीदवारों को उनका हक मिल सके। वहीं कोर्ट और ईओयू की सख्ती ने लोगों के मन में न्याय की उम्मीदें बढ़ा दी हैं। देखना है कि संजीव मुखिया को जल्द पकड़ा जाता है या फिर कानून से बचने में कामयाब हो जाता है?

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