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ग्रामीणों का आक्रोशः गाँव में लगाया ‘रोड नहीं तो वोट नहीं’ का पोस्टर

हिलसा (नालंदा दर्पण)। बिहार विधानसभा चुनाव की सुगबुगाहट शुरू होने से पहले ही स्थानीय समस्याओं को लेकर ग्रामीणों का आक्रोश सामने आने लगा है। थरथरी प्रखंड के अमेरा पंचायत के नटाईचक गाँव में ग्रामीणों ने सड़क निर्माण की मांग को लेकर विधानसभा चुनाव के बहिष्कार का ऐलान किया है। गांव के करियावां पुल के पास रोड नहीं तो वोट नहीं का बैनर लगाकर ग्रामीणों ने अपनी नाराजगी जाहिर की है। उनका कहना है कि वर्षों से सड़क निर्माण की मांग को लेकर केवल आश्वासन मिले हैं, लेकिन धरातल पर कोई काम नहीं हुआ।

नटाईचक गांव के ग्रामीणों की सबसे बड़ी समस्या करियावां पीडब्ल्यूडी मुख्य सड़क से करियावां तक की लगभग ढाई किलोमीटर लंबी कच्ची सड़क है। यह सड़क नटाईचक, ढोन्तुचक, नारायणपुर, पमारा, बांसडीह और श्रीनगर जैसे कई गांवों को जोड़ती है। मिट्टी से बनी इस सड़क की स्थिति इतनी खराब है कि आवागमन हमेशा जोखिम भरा रहता है।

सड़क की खराब स्थिति का सबसे गंभीर प्रभाव आपातकालीन परिस्थितियों में देखने को मिलता है। ग्रामीणों का कहना है कि पक्की सड़क नहीं होने के कारण एंबुलेंस गांव तक नहीं पहुंच पाती। गर्भवती महिलाओं और गंभीर रूप से बीमार मरीजों को खाट पर लादकर मुख्य सड़क तक ले जाना पड़ता है।

ग्रामीण महिला उर्मिला देवी ने बताया कि कई बार समय पर अस्पताल न पहुंच पाने के कारण मरीजों की जान खतरे में पड़ जाती है  इसके अलावा बरसात के मौसम में सड़क पूरी तरह कीचड़मय हो जाती है, जिससे गांव से बाहर निकलना लगभग असंभव हो जाता है।

सड़क की खराब स्थिति का असर बच्चों की शिक्षा पर भी पड़ रहा है। गांव के स्कूल जाने वाले बच्चों को बरसात के दिनों में कीचड़ भरी सड़क से होकर स्कूल पहुंचना पड़ता है। कई बार बच्चे समय पर स्कूल नहीं पहुंच पाते, जिससे उनकी पढ़ाई प्रभावित होती है।

ग्रामीणों का कहना है कि उन्होंने कई बार स्थानीय जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों से सड़क निर्माण की मांग की, लेकिन हर बार केवल आश्वासन ही मिले। ग्रामीणों ने एक स्वर में कहा कि चुनाव के समय नेता वादे करते हैं, लेकिन बाद में कोई नहीं दिखता। हम अब और ठगे नहीं जाएंगे । उनकी इस नाराजगी ने अब वोट बहिष्कार के रूप में एक बड़ा कदम उठाने के लिए प्रेरित किया है।

नटाईचक गांव के लोगों ने साफ कर दिया है कि जब तक उनकी मांग पूरी नहीं होगी, वे मतदान में हिस्सा नहीं लेंगे। करियावां पुल के पास लगे बैनर में लिखा है, ‘रोड नहीं तो वोट नहीं’। यह नारा अब पूरे इलाके में चर्चा का विषय बन गया है। ग्रामीणों का कहना है कि यह उनका आखिरी हथियार है, जिसके जरिए वे अपनी मांग को प्रशासन और सरकार तक पहुंचाना चाहते हैं।

स्थानीय प्रशासन और जनप्रतिनिधियों की ओर से अभी तक इस मुद्दे पर कोई ठोस प्रतिक्रिया नहीं आई है। ग्रामीणों का कहना है कि अगर जल्द ही उनकी मांग पर ध्यान नहीं दिया गया तो वे अपने आंदोलन को और तेज करेंगे। ग्रामीणों का यह कदम न केवल उनकी नाराजगी को दर्शाता है, बल्कि यह भी बताता है कि अब लोग अपनी मांगों को लेकर और अधिक जागरूक और मुखर हो रहे हैं।

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