नालंदा में की गड़बड़ी, भोजपुर में सस्पेंड हुईं DPO रश्मि सिन्हा

बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। भोजपुर जिले में आइसीडीएस (एकीकृत बाल विकास सेवा) की जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (डीपीओ) रश्मि सिन्हा को आंगनबाड़ी सेविका चयन में अनियमितताओं के कारण तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। समाज कल्याण विभाग द्वारा जारी आदेश के बाद भोजपुर जिला मुख्यालय और इससे जुड़े कार्यालयों में हड़कंप मच गया। इस कार्रवाई ने न केवल भोजपुर बल्कि नालंदा जिले में भी चर्चा का विषय बन गया, जहां रश्मि सिन्हा पहले तैनात थीं और वहां भी उनके खिलाफ गंभीर आरोप सामने आए थे।
सरकार के संयुक्त सचिव योगेश कुमार सागर द्वारा जारी आदेश के अनुसार वर्ष 2023 में रश्मि सिन्हा नालंदा जिले में डीपीओ के पद पर तैनात थीं। इस दौरान नालंदा जिले के एकंगरसराय प्रखंड, पंचायत पार्थ, ग्राम कंजास के वार्ड संख्या चार में आंगनबाड़ी सेविका चयन की प्रक्रिया चल रही थी। इस प्रक्रिया में अनियमितताओं की शिकायतें मिलने के बाद जांच शुरू की गई। जांच में रश्मि सिन्हा की लापरवाही और गड़बड़ी सामने आई, जिसके आधार पर उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई की गई।
जांच के लिए समाज कल्याण विभाग के विशेष कार्य पदाधिकारी वीरेंद्र कुमार को नियुक्त किया गया था। जांच में नौ आरोपों में से एक आरोप (आरोप संख्या तीन) को आंशिक रूप से प्रमाणित पाया गया, जबकि शेष आरोप अप्रमाणित रहे।
इस आंशिक रूप से प्रमाणित आरोप के संबंध में रश्मि सिन्हा से लिखित अभ्यावेदन मांगा गया, जिसे उन्होंने विभाग को सौंपा। हालांकि जांच में यह स्पष्ट हुआ कि रश्मि सिन्हा ने सेविका/सहायिका चयन मार्गदर्शिका 2016 की कंडिका-12 का स्पष्ट उल्लंघन किया।
जांच में पाया गया कि परिवादी की शिकायत पर एक वर्ष से अधिक समय तक कोई कार्रवाई नहीं की गई। इसके बाद बिना तथ्यों की पूरी जांच और दोनों पक्षों की सुनवाई के रश्मि सिन्हा ने एक आदेश पारित किया, जो स्वेच्छाचारिता, अनुशासनहीनता और पद के दुरुपयोग का स्पष्ट प्रमाण माना गया। इस आधार पर अनुशासनिक प्राधिकार ने उन्हें तत्काल प्रभाव से निलंबित करने का निर्णय लिया।
निलंबन अवधि के दौरान रश्मि सिन्हा को केवल जीवन निर्वाह भत्ता दिया जाएगा और उनका मुख्यालय कोशी प्रमंडल, सहरसा निर्धारित किया गया है। साथ ही इस मामले में आगे की विभागीय कार्रवाई के लिए अलग से निर्णय लिया जाएगा।
नालंदा में अनियमितताओं के बाद भोजपुर जिले में तैनाती के दौरान भी रश्मि सिन्हा का कार्य प्रदर्शन संतोषजनक नहीं रहा। सूत्रों के अनुसार भोजपुर में उनके विभागीय कार्यों में बार-बार लापरवाही देखी गई। जिला मजिस्ट्रेट (डीएम) और उप विकास आयुक्त (डीडीसी) को कई बार उनके खिलाफ स्पष्टीकरण की कार्रवाई करनी पड़ी। उनके द्वारा कई विभागीय कार्यों में रुचि न लेने के कारण जिले में आइसीडीएस की स्थिति दयनीय हो गई थी।
निलंबन की खबर मिलने के बाद रश्मि सिन्हा सुबह भोजपुर जिला कार्यालय पहुंचीं, लेकिन दोपहर होते ही वहां से चली गईं। इस घटना ने पूरे जिले में चर्चा का माहौल बना दिया। कर्मचारियों और स्थानीय लोगों के बीच इस निलंबन को लेकर तरह-तरह की बातें हो रही हैं।
समाज कल्याण विभाग ने इस मामले में सख्त रुख अपनाते हुए स्पष्ट किया है कि आइसीडीएस जैसे महत्वपूर्ण कार्यक्रमों में किसी भी प्रकार की अनियमितता बर्दाश्त नहीं की जाएगी। आंगनबाड़ी सेविका चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए विभाग द्वारा समय-समय पर दिशा-निर्देश जारी किए जाते हैं। रश्मि सिन्हा के मामले में मार्गदर्शिका का उल्लंघन और शिकायतों पर कार्रवाई में देरी ने विभाग की छवि को प्रभावित किया, जिसके चलते यह कठोर कदम उठाया गया।
बहरहहाल, रश्मि सिन्हा का निलंबन न केवल भोजपुर बल्कि नालंदा जिले में भी चर्चा का विषय बना हुआ है। नालंदा में पहले से ही उनके कार्यकाल के दौरान कई शिकायतें सामने आई थीं और अब भोजपुर में निलंबन की कार्रवाई ने इन शिकायतों को और बल दे दिया है।









