
राजगीर (नालंदा दर्पण)। बिहार के मुख्यमंत्री के दिमागी हब और ऐतिहासिक महत्व के शहर राजगीर में लंबे समय से प्रतीक्षित केंद्रीय विद्यालय की स्थापना का सपना अब हकीकत की ओर बढ़ रहा है। जिला प्रशासन ने इस दिशा में तेजी से कदम उठाते हुए सकारात्मक पहल की है, जिससे स्थानीय लोगों में उत्साह का माहौल है।
नालंदा विश्वविद्यालय ने अपने परिसर में विद्यालय संचालन के लिए स्वीकृति दे दी है और जिला प्रशासन ने भी पांच एकड़ भूमि उपलब्ध कराने की प्रक्रिया को अंतिम रूप दे दिया है।
इस महत्वपूर्ण परियोजना का प्रस्ताव केंद्रीय विद्यालय संगठन और संबंधित विभागीय उच्चाधिकारियों को भेज दिया गया है, जो अब बिहार सरकार के माध्यम से केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय को प्रेषित होगा। समीक्षा के बाद केंद्रीय कैबिनेट की मंजूरी मिलते ही राजगीर में केंद्रीय विद्यालय की औपचारिक घोषणा होने की प्रबल संभावना है।
जिला प्रशासन की इस परियोजना के प्रति तत्परता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जिलाधिकारी (डीएम) कुंदन कुमार और अपर जिला दंडाधिकारी (एडीएम) मनीष शर्मा के निर्देश पर राजगीर के सर्किल ऑफिसर (सीओ) अनुज कुमार, केंद्रीय विद्यालय नालंदा के प्राचार्य विवेक किशोर, हेडमास्टर संजय कुमार रंजन और दो अमीनों की एक टीम ने रात के समय वाहनों की हेडलाइट और मोबाइल फ्लैशलाइट की रोशनी में प्रस्तावित स्थल का निरीक्षण किया।
इस निरीक्षण के तुरंत बाद अपर समाहर्ता के आदेश पर सभी आवश्यक दस्तावेज तैयार किए गए और रातों-रात जिला प्रशासन को सौंप दिए गए। यह त्वरित कार्रवाई प्रशासन की इस परियोजना के प्रति गंभीरता और प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
केंद्रीय विद्यालय की स्थापना की योजना लंबे समय से भूमि और भवन की अनुपलब्धता के कारण अधर में लटकी हुई थी। राजगीर जैसे ऐतिहासिक और शैक्षणिक महत्व के शहर में केंद्रीय विद्यालय की कमी स्थानीय निवासियों और अभिभावकों के लिए एक बड़ा मुद्दा रही है। हालांकि नालंदा विश्वविद्यालय के सहयोग और जिला प्रशासन की सक्रियता ने इस समस्या का समाधान निकाल लिया है।
विश्वविद्यालय ने न केवल विद्यालय संचालन के लिए भवन उपलब्ध कराने की सहमति दी है, बल्कि आवश्यक उपस्करों और बुनियादी ढांचे की व्यवस्था सुनिश्चित करने का आश्वासन भी दिया है। यह सहयोग इस परियोजना को गति देने में महत्वपूर्ण साबित होगा।
केंद्रीय विद्यालय की स्थापना की खबर ने राजगीर और आसपास के क्षेत्रों में खुशी की लहर दौड़ा दी है। स्थानीय निवासियों का मानना है कि यह विद्यालय न केवल बच्चों को उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा प्रदान करेगा, बल्कि क्षेत्र के शैक्षणिक और सामाजिक विकास में भी महत्वपूर्ण योगदान देगा।
केंद्रीय विद्यालय की विशेषता इसकी किफायती और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रणाली है, जो राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त है। इसके अतिरिक्त, नालंदा विश्वविद्यालय के परिसर में विद्यालय का संचालन होने से यह क्षेत्र शैक्षणिक केंद्र के रूप में और अधिक मजबूत होगा।
प्रस्ताव के केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय को प्रेषित होने के बाद अब सभी की नजरें केंद्रीय कैबिनेट की मंजूरी पर टिकी हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि इस प्रस्ताव को मंजूरी मिलने में ज्यादा देरी नहीं होगी। क्योंकि बिहार सरकार और जिला प्रशासन ने सभी आवश्यक तैयारियां पूरी कर ली हैं। मंजूरी मिलते ही निर्माण कार्य शुरू होने की उम्मीद है और जल्द ही राजगीर के बच्चे केंद्रीय विद्यालय की सुविधाओं का लाभ उठा सकेंगे।









