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 हिलसा और इस्लामपुर में मिनी गन फैक्ट्री का खुलासा पर सवाल

हिलसा (नालंदा दर्पण)। बिहार के नालंदा जिले में अवैध हथियारों का कारोबार अब घर-घर तक फैल चुका है। क्या यह संयोग है या संगठित अपराध का नया रूप? हाल ही में हिलसा के चिकसौरा थाना क्षेत्र में एक मिनी गन फैक्ट्री का उद्भेदन तो हुआ, लेकिन छापेमारी के दौरान एक संदिग्ध का फरार हो जाना और बरामद सामग्री की सीमित मात्रा ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं।Questions related to the discovery of mini gun factories in Hilsa and Islampur 2

वहीं पड़ोसी इस्लामपुर थाना क्षेत्र के सूढ़ी गांव में पुलिस ने एक और ऐसी ही फैक्ट्री का पर्दाफाश किया, जहां पांच तैयार देसी कट्टों के साथ एक तस्कर को धर दबोचा गया। आगामी विधानसभा चुनावों को देखते हुए ये घटनाएं न केवल अपराधियों की हताशा को दर्शाती हैं, बल्कि कानून व्यवस्था पर भी गंभीर सवाल उठाती हैं। आखिर कैसे इन ‘घरेलू कारखानों’ में मौत बांटने वाले हथियार बन रहे हैं, और क्या पुलिस की सक्रियता पर्याप्त है?

नालंदा जिले का हिलसा अनुमंडल अब अवैध हथियारों के कारोबार का केंद्र बनता जा रहा है। चिकसौरा थाना पुलिस को गुप्त सूचना मिली कि सदरपुर गांव के जोधन बिंद अपने घर में मिनी गन फैक्ट्री चला रहा है। हथियार बनाने और बेचने का यह काला धंधा न केवल स्थानीय अपराध को बढ़ावा दे रहा है, बल्कि आसपास के जिलों में भी इसका जाल फैला हुआ है।

हिलसा डीएसपी शैलजा के नेतृत्व में थानाध्यक्ष गौरव सिंधु की अगुवाई वाली छापामारी टीम ने सदरपुर बिंद के घर पर धावा बोला। लेकिन यहां से कहानी में ट्विस्ट आ गया। जैसे ही पुलिस की टीम घर के पास पहुंची, एक संदिग्ध व्यक्ति घर से बाहर निकलकर भागने लगा। सशस्त्र बलों की मदद से उसे पकड़ने की कोशिश की गई, लेकिन वह मौके का फायदा उठाकर फरार हो गया।

इसके बाद पुलिस ने घर की घेराबंदी कर तलाशी ली तो मिनी गन फैक्ट्री के संचालन की पुष्टि हुई। बरामद सामग्री देखकर हर कोई हैरान था। सवाल उठता है कि ऐसे उपकरण होने के साथ केवल एक कट्टा ही तैयार क्यों था? क्या यह फैक्ट्री अभी प्रारंभिक चरण में थी या बड़े पैमाने पर उत्पादन के लिए कुछ और छिपा हुआ है या फिर बरामद सामग्री एक मिस्त्री के प्रारंभिक उपकरण हैं, जिसे पुलिस कुछ और स्वरिप दे रही है?

थानाध्यक्ष गौरव सिंधु ने बताया कि फरार व्यक्ति की तलाश में सघन छापेमारी जारी है और चिकसौरा थाने में मामला दर्ज कर लिया गया है। दिलचस्प बात यह कि उसी थाना क्षेत्र से एक अलग घटना में सदरपुर गांव के भरत बिंद को मारपीट के मामले में एक देसी कट्टे के साथ गिरफ्तार किया गया। गहन पूछताछ के बाद उसे जेल भेज दिया गया।

छापेमारी टीम में दरोगा राजकुमार, सिपाही नीतीश कुमार, सौरभ कुमार, राजीव रंजन, रौशन कुमार, सुरेंद्र राम, सुरभि कुमारी समेत थाने के सशस्त्र बल शामिल थे। स्थानीय निवासियों का कहना है कि ये फैक्टरियां लोहे की दुकानों या छोटे कारखानों की आड़ में चल रही हैं, जो ग्रामीण इलाकों में आसानी से छिप जाती हैं। लेकिन फरार संदिग्ध का भागना पुलिस की तत्परता पर सवाल तो खड़ा करता ही है। आखिर इतनी गुप्त सूचना होने के बावजूद कैसे एक व्यक्ति फरार हो गया?

उधर, हिलसा से महज कुछ किलोमीटर दूर इस्लामपुर थाना क्षेत्र के सूढ़ी गांव में पुलिस को एक और बड़ी सफलता मिली। गुप्त सूचना के आधार पर थानाध्यक्ष अनिल कुमार पांडेय के नेतृत्व में एसटीएफ, डीआईयू और सीएपीएफ की संयुक्त टीम ने छापेमारी की।

सूढ़ी गांव के अर्जुन विश्वकर्मा के पुत्र रमण विश्वकर्मा पर शक था कि वह अपने लोहे के गेट-खिड़की बनाने वाले कारखाने की आड़ में अवैध हथियार बना रहा है। छापेमारी के दौरान कारखाने से छिपे हुए पांच तैयार देसी कट्टा, दो मोबाइल फोन और हथियार बनाने के ढेर सारे उपकरण बरामद हुए। रमण विश्वकर्मा को सभी सामान के साथ गिरफ्तार कर लिया गया।

इस्लामपुर डीएसपी कुमार ऋषि राज ने थाने में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में पत्रकारों को बताया कि आगामी विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए पुलिस पूरी तरह सतर्क है। रमण विश्वकर्मा जैसे तस्करों का गिरोह पटना, जहानाबाद जैसे जिलों तक फैला हुआ लगता है।

छापेमारी टीम में पुलेनिवृत्ति अधिकारी आलोक कुमार, रामानुज सिंह, मोहम्मद तौकिर खान, अरुण कुमार राय सहित अन्य सशस्त्र बल शामिल थे। बरामद मोबाइल फोनों से कॉल डिटेल्स निकालकर पुलिस अब बड़े नेटवर्क का पता लगाने में जुटी है। स्थानीय लोगों का मानना है कि ऐसे कारखाने रोजगार की कमी और गरीबी की उपज हैं, जहां युवा आसानी से अपराध की ओर धकेल दिए जाते हैं।

बहरहाल पिछले कुछ महीनों में ही चिकसौरा क्षेत्र में कई ऐसी फैक्टरियां पकड़ी गई हैं, जहां वेल्डिंग दुकानों या लोहे के कारखानों की आड़ में देसी पिस्टल और कट्टे बनाए जा रहे थे। ये हथियार सस्ते होने के कारण अपराधियों के बीच लोकप्रिय हैं। एक कट्टा मात्र 5-10 हजार रुपये में बिक जाता है। लेकिन सवाल यह है कि कच्चा माल कहां से आता है? पुलिस जांच में पता चला है कि वे दिल्ली, कोलकाता जैसे शहरों से मंगवाए जाते हैं।

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