
राजगीर (नालंदा दर्पण)। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के पहले चरण में राजगीर विधानसभा क्षेत्र ने एक बार फिर अपनी राजनीतिक ऊर्जा का प्रदर्शन किया। प्राचीन पर्यटन नगरी राजगीर, जो नालंदा जिले की सांस्कृतिक धरोहर के लिए जाना जाता है, इस बार चुनावी रंग में रंग गया।
एनडीए समर्थित जद(यू) के दिग्गज प्रत्याशी कौशल किशोर और महागठबंधन समर्थित भाकपा (माले) के विश्वनाथ चौधरी के बीच कांटे की टक्कर ने इस सीट को ‘हॉट सीट’ बना दिया। शाम पांच बजे तक 60.08 प्रतिशत मतदान दर्ज होने के साथ ही मतदाताओं ने लोकतंत्र के महापर्व को उत्साहपूर्ण तरीके से निभाया। प्रशासन की कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच कोई अप्रिय घटना न होने से क्षेत्र में संतोष का माहौल है।
राजगीर विधानसभा क्षेत्र अनुसूचित जाति (एससी) के लिए आरक्षित है और हमेशा से ही राजनीतिक दलों के लिए महत्वपूर्ण रहा है। 2020 के विधानसभा चुनाव में जद(यू) के कौशल किशोर ने यहां से जीत हासिल की थी, जब उन्होंने कांग्रेस के रवि ज्योति कुमार को 16,048 वोटों से हराया था। कुल 1,57,806 मतदाताओं ने उस समय 53.66 प्रतिशत मतदान किया था।
इस बार भी कौशल किशोर, जो वर्तमान विधायक हैं, एनडीए के चेहरे के रूप में मैदान में हैं। नीतीश कुमार सरकार के विकास कार्यों, खासकर पर्यटन और बुनियादी ढांचे के सुधार पर जोर देते हुए उन्होंने अपनी सभाओं में कहा था कि राजगीर को विश्व पटल पर लाने का सपना हम पूरा करेंगे। उनके पक्ष में स्थानीय युवाओं और व्यापारियों का समर्थन दिखा, जो हॉटस्प्रिंग्स और विहार-गुफाओं के संरक्षण से जुड़े मुद्दों पर सक्रिय हैं।
उनके सामने मुख्य चुनौती पेश कर रहे हैं महागठबंधन के भाकपा (माले) प्रत्याशी विश्वनाथ चौधरी। वामपंथी विचारधारा के मजबूत समर्थक चौधरी ने किसानों और मजदूरों के अधिकारों को केंद्र में रखा है। उन्होंने अपनी रैलियों में कहा कि राजगीर के मेहनतकश वर्ग को न्याय मिलेगा, जब तक सत्ता के गलियारों में उनकी आवाज गूंजेगी।
2020 में भी यह सीट वाम दलों के लिए प्रतिष्ठा की रही थी और इस बार महागठबंधन की एकजुटता से चौधरी को मजबूत चुनौती मिली है। ताजा सर्वेक्षणों के अनुसार यह सीट एनडीए और महागठबंधन के बीच सीधी टक्कर वाली है, जहां वोटों का ध्रुवीकरण तय करने वाला साबित हो सकता है।
इसके अलावा चुनावी मैदान में विविधता का रंग भी दिखा। मूल निवासी समाज पार्टी की मानो देवी और निर्दलीय प्रत्याशी अंजली रॉय जैसी महिला उम्मीदवारों ने महिलाओं के मुद्दों को प्रमुखता दी।
वहीं जन सुराज पार्टी के सत्येंद्र कुमार ने प्रशांत किशोर की नई राजनीतिक लहर का दम भरा, जबकि निर्दलीय उग्रसेन पासवान और विजय पासवान ने स्थानीय स्तर पर अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश की।
कुल सात प्रत्याशियों में दो महिलाओं की मौजूदगी ने चुनाव को और रोचक बना दिया। इनमें से अधिकांश उम्मीदवारों ने बेरोजगारी, प्रवासन और पर्यटन विकास जैसे स्थानीय मुद्दों पर फोकस किया, जो बिहार चुनाव 2025 के समग्र एजेंडे से जुड़े हैं।
मतदान प्रक्रिया सुबह सात बजे शुरू होकर शाम पांच बजे समाप्त हुई। प्रशासन ने इसे शांतिपूर्ण और निष्पक्ष बनाने के लिए कोई कसर न छोड़ी। क्षेत्र में कुल 381 मतदान केंद्र स्थापित किए गए, जिनमें से अधिकांश ग्रामीण इलाकों में हैं। हर बूथ पर अर्धसैनिक बलों की तैनाती की गई। ताकि मतदाता बिना किसी भय के वोट डाल सकें।
पूरे दिन पुलिस और प्रशासनिक वाहन निगरानी में सक्रिय रहे। सुबह से ही मतदाता लंबी-लंबी कतारों में खड़े दिखे। बुजुर्गों से लेकर युवाओं तक, सभी ने उत्साह के साथ अपने मताधिकार का उपयोग किया। विशेष रूप से महिलाओं और पहले बार वोट डालने वाले युवाओं की संख्या उल्लेखनीय रही। कहीं से मतदान बहिष्कार या हिंसा की कोई खबर नहीं आई, जो बिहार के अन्य जिलों में कभी-कभी देखने को मिलती है।
यह मतदान प्रतिशत पिछले चुनाव की तुलना में बेहतर है। 2020 में जहां 53.66 प्रतिशत था, वहीं इस बार 60.08 प्रतिशत दर्ज होना लोकतंत्र की मजबूती का संकेत है। चुनाव आयोग की विशेष गहन संशोधन (एसआईआर) प्रक्रिया के बाद मतदाता सूची में 21.5 लाख नए नाम जुड़े, जिससे युवा मतदाताओं की भागीदारी बढ़ी।
राजगीर जैसे पर्यटन-प्रधान क्षेत्र में मतदान ने न केवल राजनीतिक बहस को गहराई दी, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी चुनावी माहौल से लाभ पहुंचाया। दुकानें सजीं, चाय-पान की दुकानों पर चर्चाएं गर्म रहीं।
अब सभी की निगाहें 14 नवंबर पर हैं, जब बिहार चुनाव के नतीजे घोषित होंगे। जन सुराज जैसी नई ताकत सरप्राइज पैकेज साबित हो सकती हैं। राजगीर की यह ‘हॉट सीट’ नतीजों में क्या मोड़ लाएगी। यह तो समय बताएगा। लेकिन मतदान ने साबित कर दिया कि राजगीर के मतदाता जागरूक और सक्रिय हैं।
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