बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। पिछले कई माह से बिहारशरीफ सदर अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड के खामियों की खबर दिखाएं जाने से बौखलाए सदर अस्पताल की उपाधीक्षक डॉक्टर अशोक कुमार ने तुगलकी फरमान जारी करते हुए इमरजेंसी वार्ड में मीडियाकर्मियों के प्रवेश पर रोक लगा दिया है।
वही इस मामले पर नालंदा सिविल सर्जन अविनाश कुमार सिंह ने अभिज्ञता जाहिर करते हुए प्रबंधन से इस संबंध में पूछे जाने की बात कही।
वहीं डीएस अशोक कुमार सिंह का कहना है कि इमरजेंसी वार्ड में मरीज को स्टिच, इंजेक्शन और मलहम पट्टी करने के दौरान वीडियो फोटो बनाने से डॉक्टर को परेशानी होती है। डॉक्टर के कहने पर ही यह आदेश निकल गया है।
मगर शायद वे भूल गए हैं कि इमरजेंसी वार्ड में भर्ती मरीजों को निर्धारित समय पर दवा सुई दिया जाता है। मरहम पट्टी या स्टिच देने के लिए इमरजेंसी वार्ड के बगल में माइनर ओटी बनाया गया है। उसी माइनर ओटी के बंद कमरे में ही इस तरह के इलाज किए जाते हैं।
अगर इमरजेंसी वार्ड में अस्पताल के डॉक्टर स्टिच, मरहम पट्टी या गहन उपचार करते हैं तो इससे भर्ती मरीज के हालात में सुधार के बजाए और बिगड़ने की संभावना प्रबल हो जाती है।
वर्तमान डीएस जिस वक्त अस्पताल में मेडिकल अफसर के पद पर कार्यरत थे। तब दो पूर्व डीएस पर जबरन ड्यूटी करने ड्यूटी रोस्ट बनाने में गड़बड़ी को लेकर अक्सर पत्रकारों से शिकायतें किया करते थे।
मगर जब से ये कुर्सी पर बैठे हैं, अपनी मनमानी रवैया करने से बाज नहीं आ रहे हैं। यही कारण है कि पिछले एक सप्ताह में एक डॉक्टर अस्पताल आना छोड़ दिया है।
बता दें कि इससे पूर्व भी प्रसव वार्ड मे नर्स के बजाये सफाईकर्मी के द्वारा गर्भवती महिला का प्रसव कराने का वीडियो सोशल मिडिया पर वायरल होने के बाद अस्पताल उपाधीक्षक ने एक आदेश निकला था कि नर्सिंग स्टाफ, सफाईकर्मी, आशा, ममता कोई भी प्रसव वार्ड में मोबाइल का प्रयोग नहीं करेगी। ड्यूटी पर आने के बाद सभी अपना मोबाइल फोन को बन्द कर गार्ड के पास जमा कर देगी।
मगर अस्पताल उपाधीक्षक के इस आदेश को ठेगा दिखाते हुये खुलेआम नर्सिंग स्टाफ और सफाईकर्मी, आशा सभी प्रसव वार्ड में दिन रात मोबाईल पर लगे रहते हैं। इनसे पहले उपाधीक्षक कुमकुम कुमारी के द्वारा भी एक फरामान जारी करते हुये ओटी वार्ड और प्रसव वार्ड में पत्रकारों पर प्रतिबंध लगाते हुये हर जगह नोटिश बोड लगाया जा चुका है।
जाहिर है कि आए दिन मीडिया, खासकर सोसल मीडिया में सदर अस्पताल की सूचना वायरल होने से बौखलाए सिविल सर्जन और उपाधीक्षक ने पत्रकारों पर ही प्रतिबंध लगा दिया है। अपनी नकामी सुधारने के बजाय उसे छुपाने के लिए इस तरह के आदेश निकला गया है।
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