हिलसा (नालंदा दर्पण)। एकंगरसराय थाना क्षेत्र के दनियावां-पेंदापुर मार्ग पर देर शाम एक दिल दहला देने वाला सड़क हादसा हो गया। नगर पंचायत के कचरा वाहन से हुई जबरदस्त टक्कर में बाइक सवार तीन युवकों की हालत गंभीर हो गई। सदर अस्पताल ले जाते समय ही दो युवकों ने दम तोड़ दिया, जबकि तीसरा जिंदगी-मौत की जंग लड़ रहा है। ये तीनों चेन्नई में मजदूरी कर परिवार का पेट पालने वाले गरीब युवक थे, जो छठ की छुट्टी में घर लौटे थे। नई खरीदी बाइक पर सवार होकर वे सपनों के रंग में रंगे थे, लेकिन किस्मत ने एक झटके में सब छीन लिया।
बताया जाता है कि देर शाम करीब सात बजे एकंगरसराय के बाइक शोरूम से ताजा खरीदी गई बाइक पर सवार तीनों युवक घर की ओर लौट रहे थे। मृतक मनोज कुमार उर्फ मोजी ने ही वह बाइक खरीदी थी। लेकिन न तो मनोज को और न ही उनके साथी रिशु कुमार को बाइक चलाने का ज्यादा अनुभव था। तीनों पकड़ी गांव (करायपरसुराय थाना क्षेत्र) के रिशु कुमार (19 वर्ष, रंजीत यादव के पुत्र), मनोज कुमार उर्फ मोजी (20 वर्ष, सिकंदर प्रसाद के पुत्र) और चंदन कुमार उर्फ बुधन (19 वर्ष, अयोध्या महतो के पुत्र) निवासी है।
चंदन कुमार चेन्नई जाने वाला था, लेकिन किसी जरूरी काम से एकंगरसराय रुक गया। शाम को वे तीनों बाइक पर सवार होकर पकड़ी गांव की ओर बढ़े। तभी दनियावां-पेंदापुर के पास तेज रफ्तार कचरा वाहन ने उनकी बाइक को जोरदार धक्का मार दिया। टक्कर इतनी जबरदस्त थी कि बाइक के परखच्चे उड़ गए और तीनों युवक सड़क पर लहूलुहान होकर गिर पड़े। घटनास्थल पर अफरा-तफरी मच गई, लेकिन ग्रामीणों ने फौरन उन्हें एकंगरसराय सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचाया।
डॉक्टरों ने तीनों की नाजुक हालत देखते हुए प्राथमिक उपचार के बाद बिहारशरीफ सदर अस्पताल रेफर कर दिया। रास्ते में ही रिशु और मनोज की सांसें थम गईं। सदर अस्पताल पहुंचते ही डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। बाकी बचे चंदन को बेहतर इलाज के लिए पहले विम्स पावापुरी भेजा गया, लेकिन उनकी हालत बिगड़ने पर पटना के एक निजी अस्पताल में एडमिट कराया गया। वहां उनका इलाज जारी है, लेकिन परिवार की आंखों में चिंता के बादल घने हैं।
इस हादसे की खबर सुनते ही पूरा गांव इलाका शोक में डूब गया। रिशु कुमार की शादी को महज कुछ माह ही हुए थे और उनका दो माह का नन्हा बेटा अभी मां की गोद में खेलता है। नई दुल्हन के आंसू और परिवार का कोहराम देखकर कोई भी भावुक हो जाए। मनोज के परिवार में भी सन्नाटा पसर गया है। तीनों युवक चेन्नई में फैक्ट्री में मजदूरी करते थे और कमाई का बड़ा हिस्सा घर भेजते थे। छठ पर्व के लिए वे कुछ दिन पहले ही लौटे थे, ताकि परिवार के साथ त्योहार मना सकें। लेकिन किस्मत ने उनका सपना चूर कर दिया।
