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राजगीर नगर परिषद के पूर्व कार्यपालक समेत छह के खिलाफ आरोप, प्रपत्र ‘क’ गठित

Charges against six including former executive officer of Nagar Parishad, Form 'A' formed
Charges against six including former executive officer of Rajgir Nagar Parishad, Form 'A' formed

राजगीर (नालंदा दर्पण)। नगर परिषद राजगीर में हुए ठेका घोटाले के मामले में बड़ी कार्रवाई की गई है। नगर परिषद के पूर्व कार्यपालक पदाधिकारी मो. जफर इकबाल सहित छह लोगों के खिलाफ प्रपत्र ‘क’ गठित किया गया है। प्रपत्र ‘क’ का गठन राजगीर एसडीओ कुमार ओमकेश्वर द्वारा किया गया है। इससे नगर परिषद में हड़कंप मच गया है। यह कार्रवाई नगर परिषद के अधिकारियों और कर्मचारियों द्वारा सफाई ठेका देने की प्रक्रिया में बड़े पैमाने पर की गई धांधली के कारण की गई है।

जांच का खुलासा: जांच में यह पाया गया कि सफाई आउटसोर्सिंग ठेकेदार दीपक कुमार शर्मा द्वारा निविदा प्राप्त करने के लिए प्रस्तुत दस्तावेजों में बड़े पैमाने पर छेड़छाड़ की गई थी। इसमें चरित्र प्रमाण पत्र, क्यूआर कोड, शपथ पत्र और भविष्य निधि संगठन द्वारा जारी टीआरएन डिटेल्स के साथ धोखाधड़ी के सबूत पाए गए हैं। डीएम शशांक शुभंकर के निर्देश पर डीडीसी वैभव श्रीवास्तव की अध्यक्षता में गठित जांच टीम ने इस मामले की पूरी जांच की और दस्तावेजों में हेरफेर की पुष्टि की।

प्रमुख आरोपित: पूर्व कार्यपालक पदाधिकारी मो. जफर इकबाल, जो वर्तमान में फुलपरास, मधुबनी में नगर पंचायत के कार्यपालक पदाधिकारी हैं, के अलावा बर्खास्त कनीय अभियंता कुमार आनन्द, बर्खास्त सहायक टैक्स दारोगा प्रमोद कुमार, टैक्स दारोगा सह स्वच्छता प्रभारी संजय रंजन, कार्यपालक सहायक अमन कुमार और निलंबित निम्नवर्गीय लिपिक रवि कुमार पर भी आरोप तय किए गए हैं।

भ्रष्टाचार का खुलासा: प्रपत्र ‘क’ के गठन के बाद नगर परिषद राजगीर में इस घटना को लेकर अफरा-तफरी मच गई है। अधिकारियों पर आरोप है कि उन्होंने ठेकेदार दीपक कुमार शर्मा को अनुचित तरीके से ठेका दिलाने में मदद की। इसके अलावा ठेका प्रक्रिया के दौरान कई महत्वपूर्ण दस्तावेजों में छेड़छाड़ की गई और यह घोटाला सफाई कार्य के नाम पर किया गया था। इस घोटाले की जांच में राजगीर एसडीओ, डीएम और साइबर सेल की टीम शामिल थी, जिन्होंने दस्तावेजों में फर्जीवाड़े की पुष्टि की।

आगे की कार्रवाई: प्राथमिकी दर्ज होने के बाद ठेकेदार दीपक कुमार शर्मा की फर्म को काली सूची में डाल दिया गया है और भविष्य में किसी भी ठेके में उनकी भागीदारी पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। यह मामला राजगीर नगर परिषद में भ्रष्टाचार और अनियमितताओं को उजागर करता है, जिससे अधिकारियों और कर्मचारियों की मिलीभगत सामने आई है।

इस घटना से राजगीर नगर परिषद में कामकाज को लेकर कई सवाल खड़े हो गए हैं और यह देखना होगा कि प्रशासन इस मामले में आगे क्या कदम उठाता है।

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