राजगीर (नालंदा दर्पण)। बिहार के मुख्यमंत्री (CM) नीतीश कुमार ने आज राजगीर के जयप्रकाश उद्यान के समीप स्थित ऐतिहासिक एवं पौराणिक स्थल पर मगध सम्राट जरासंध की नव-निर्मित प्रतिमा का लोकार्पण किया। इस भव्य समारोह में राज्य के कई वरिष्ठ मंत्री, सांसद, विधायक और प्रशासनिक अधिकारी उपस्थित रहे।
समारोह को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि सम्राट जरासंध अपने काल के सबसे शक्तिशाली और वीर योद्धाओं में से एक थे। उनकी शौर्यगाथा भारतीय इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में लिखी गई है। यह प्रतिमा न केवल हमारी गौरवशाली परंपरा को दर्शाएगी, बल्कि युवाओं को अपने ऐतिहासिक नायकों से प्रेरणा लेने के लिए भी प्रोत्साहित करेगी।
मुख्यमंत्री ने लोकार्पण के बाद स्मारक स्थल का निरीक्षण किया और अधिकारियों को इसे और भव्य तथा आकर्षक बनाने के निर्देश दिए। इस स्थल पर सम्राट जरासंध के जीवन से जुड़ी ऐतिहासिक घटनाओं को चित्रों और शिलालेखों के माध्यम से प्रदर्शित किया गया है। विशेष रूप से मल्ल युद्ध से संबंधित कहानियों को रोचक ढंग से प्रस्तुत किया गया है। जिससे पर्यटकों को जरासंध के पराक्रम के बारे में जानने का अवसर मिलेगा।
इस महत्वाकांक्षी परियोजना को पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के मार्गदर्शन में नालंदा वन प्रमंडल बिहारशरीफ द्वारा विकसित किया गया है। इस परियोजना में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की व्यक्तिगत रुचि रही है। जिससे यह स्पष्ट होता है कि वह बिहार की ऐतिहासिक धरोहरों को संरक्षित करने के लिए कितने प्रतिबद्ध हैं।
उम्मीद है कि यह स्मारक स्थल अब न केवल राजगीर के पर्यटन को बढ़ावा देगा, बल्कि मगध साम्राज्य के गौरवशाली अतीत को पुनर्जीवित करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। गौरतलब है कि सम्राट जरासंध महाभारत काल के प्रमुख शासकों में गिने जाते थे। वह 16 महाजनपदों में से एक मगध साम्राज्य के संस्थापक और कुख्यात योद्धा थे। उनका कुश्ती का अखाड़ा आज भी इतिहास प्रेमियों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है।
इस अवसर पर चंद्रवंशी समाज के प्रतिनिधियों ने मुख्यमंत्री से मुलाकात कर सम्राट जरासंध के मंदिर के जीर्णोद्धार और सौंदर्यीकरण की मांग रखी। मुख्यमंत्री ने इस पर सकारात्मक रुख दिखाते हुए संबंधित अधिकारियों को इस दिशा में उचित कार्यवाही करने के निर्देश दिए।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह नया स्मारक स्थल राजगीर और बिहार के पर्यटन उद्योग को एक नई दिशा देगा। जरासंध से जुड़ी पौराणिक कथाओं और ऐतिहासिक घटनाओं के संरक्षण से न केवल स्थानीय, बल्कि राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों की रुचि भी बढ़ेगी।
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