नगरनौसा (नालंदा दर्पण)। नालंदा जिले के नगरनौसा प्रखंड में डेंगू का प्रकोप तेजी से फैल रहा है। इस मौसम में डेंगू के मच्छरों का आतंक इस कदर बढ़ गया है कि स्थानीय अस्पतालों में मरीजों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है।
स्वास्थ्य विभाग के आँकड़ों के अनुसार पिछले एक महीने में नगरनौसा में 40 से अधिक लोग डेंगू की चपेट में आ चुके हैं। मरीजों और उनके परिजनों का कहना है कि सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों में जांच और इलाज की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है, जिसके कारण लोग निजी क्लिनिकों की ओर रुख करने को मजबूर हैं।
दूसरी ओर प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी (एमओआईसी) का दावा है कि अस्पताल में डेंगू के मरीजों के लिए चार बेड और जांच की सुविधाएँ उपलब्ध हैं। लेकिन क्या यह व्यवस्था बढ़ते मरीजों की संख्या के सामने पर्याप्त है? आइए इस समस्या की जड़ और इसके समाधान पर नजर डालें।
नगरनौसा बाजार और आसपास के गाँवों में डेंगू के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। सरकारी अस्पताल की उदासीनता और दवाइयों की कमी के कारण लोगों को निजी डॉक्टरों पर निर्भर होना पड़ रहा है। यह स्थिति न केवल स्वास्थ्य सेवाओं की कमी को उजागर करती है, बल्कि सामुदायिक जागरूकता और रोकथाम के उपायों की आवश्यकता को भी रेखांकित करती है।
डेंगू का प्रकोप सितंबर से नवंबर के बीच चरम पर होता है, जब बारिश और नमी के कारण एडिस मच्छरों के लिए प्रजनन का अनुकूल माहौल बनता है। नगरनौसा के कई इलाकों में खुले नाले, गड्ढों में जमा पानी और साफ-सफाई की कमी ने इस समस्या को और गंभीर बना दिया है।
बता दें कि डेंगू एक वायरल बीमारी है, जो एडिस इजिप्टी (Aedes aegypti) मच्छर के काटने से फैलती है। यह मच्छर ज्यादातर दिन के समय सक्रिय रहता है और साफ, स्थिर पानी में प्रजनन करता है। डॉ. अजय कुमार बताते हैं कि एडिस मच्छर घरों के आसपास जमा पानी, जैसे कूलर, गमले या टायरों में पनपता है। अगर लोग अपने घरों और आसपास की सफाई पर ध्यान दें तो डेंगू के प्रसार को काफी हद तक रोका जा सकता है।
डेंगू के लक्षण: अचानक तेज बुखार का आना, जो कई दिनों तक रह सकता है। सिरदर्द, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द, खासकर आँखों के पीछे। लाल चकत्ते या धब्बे। नाक या मसूड़ों से खून बहना या मल का रंग काला होना। बार-बार उल्टी और थकान महसूस होना।
यदि आपको इनमें से कोई भी लक्षण दिखें तो तुरंत नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में रैपिड डायग्नोस्टिक टेस्ट करवाएँ। समय पर जांच और इलाज डेंगू के गंभीर परिणामों को रोक सकता है।
स्वास्थ्य विभाग ने डेंगू के बढ़ते मामलों को देखते हुए विशेष सतर्कता बरतने और फॉगिंग जैसे निवारक उपायों का निर्देश दिया था। हालांकि स्थानीय निवासियों का आरोप है कि नगरनौसा में फॉगिंग की प्रक्रिया न के बराबर हुई है। पिछले एक महीने में गाँव में फॉगिंग की कोई गाड़ी नहीं आई। अगर समय पर कार्रवाई होती तो शायद इतने लोग बीमार नहीं पड़ते।
हालांकि प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी का कहना है कि डेंगू के मरीजों के लिए अस्पताल में सभी जरूरी सुविधाएँ उपलब्ध हैं। लेकिन मरीजों की बढ़ती संख्या और संसाधनों की कमी इस दावे पर सवाल उठाती है। क्या स्वास्थ्य विभाग के पास इस संकट से निपटने के लिए पर्याप्त संसाधन और रणनीति है? यह एक ऐसा सवाल है, जिसका जवाब स्थानीय समुदाय तलाश रहा है।
डेंगू से बचाव के लिए व्यक्तिगत और सामुदायिक स्तर पर जागरूकता और कार्रवाई जरूरी है। यहाँ कुछ प्रभावी उपाय दिए गए हैं-
पानी का जमाव रोकें: घरों के आसपास कूलर, टायर, गमले या अन्य जगहों पर पानी जमा न होने दें। पानी के बर्तनों को नियमित रूप से साफ करें और ढककर रखें।
मच्छरदानी का उपयोग: दिन में भी मच्छरदानी का उपयोग करें, क्योंकि एडिस मच्छर दिन में सक्रिय होता है।
पूरे कपड़े पहनें: लंबी आस्तीन के कपड़े और मोजे पहनें, ताकि मच्छरों से बचाव हो।
साफ-सफाई: घर और आसपास के क्षेत्र को साफ रखें। कचरे को नियमित रूप से हटाएँ और नालियों की सफाई करें।
जागरूकता फैलाएँ: पड़ोसियों और समुदाय के साथ मिलकर डेंगू से बचाव के उपायों पर चर्चा करें और सामूहिक कार्रवाई करें।
नगरनौसा के निवासी इस संकट से निपटने के लिए एकजुट हो रहे हैं। स्थानीय पंचायत ने हाल ही में एक जागरूकता अभियान शुरू किया है, जिसमें स्कूलों और सामुदायिक केंद्रों में डेंगू से बचाव के तरीकों पर जानकारी दी जा रही है।
एक शिक्षक अनीता कुमारीने बताया कि हम बच्चों को सिखा रहे हैं कि वे अपने घरों में साफ-सफाई रखें और मच्छरों से बचाव के लिए क्या करें। अगर हम सब मिलकर काम करें, तो इस बीमारी को रोक सकते हैं।
बहरहाल, नगरनौसा में डेंगू का बढ़ता प्रकोप एक गंभीर चेतावनी है। यह न केवल स्वास्थ्य विभाग की जिम्मेदारी है, बल्कि प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है कि वे इस बीमारी के खिलाफ जागरूकता और सावधानी बरतें। समय पर जांच, उचित इलाज और सामुदायिक सहयोग से डेंगू को नियंत्रित किया जा सकता है।









