Home रहुई CM नीतीश के नालंदा में भूखमरी के कगार पर पहुंचे डेंटल कॉलेजकर्मी

CM नीतीश के नालंदा में भूखमरी के कगार पर पहुंचे डेंटल कॉलेजकर्मी

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Dental college workers on the verge of starvation in CM Nitish's Nalanda
Dental college workers on the verge of starvation in CM Nitish's Nalanda

यह मामला नालंदा जैसे महत्वपूर्ण जिले में सरकारी व्यवस्था की खामियों को उजागर करता है। मुख्यमंत्री के गृह जिले में ऐसी स्थिति पर सवाल उठ रहे हैं कि क्या कर्मचारियों के अधिकारों और उनके जीवन-यापन की अनदेखी की जा रही है

बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह जिला नालंदा से एक चिंताजनक खबर सामने आई है। रहुईं प्रखंड अंतर्गत राजकीय दंत चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल पैठणा भागन बिगहा में आउटसोर्सिंग के माध्यम से नियुक्त 150 कर्मचारियों को पिछले 8 महीने से वेतन नहीं मिला है। इस स्थिति ने कर्मचारियों को भुखमरी के कगार पर ला खड़ा किया है।

इन कर्मचारियों में स्वीपर, सुरक्षा गार्ड, ऑफिस बॉय, प्लंबर, इलेक्ट्रीशियन, माली और चालक शामिल हैं। वेतन न मिलने के कारण ये कर्मचारी अब दाने-दाने के लिए मोहताज हो गए हैं। कुछ ने परिवार चलाने के लिए उधार लेना शुरू कर दिया है, जबकि अन्य दैनिक जरूरतों को पूरा करने में असमर्थ हैं।

कर्मचारियों ने बताया कि पिछले आठ महीनों से वे लगातार कॉलेज प्रबंधन को अपनी समस्या से अवगत करा रहे हैं। लेकिन हर बार उन्हें सिर्फ आश्वासन दिया गया। कॉलेज प्रबंधन और आउटसोर्सिंग कंपनी के बीच वेतनमान का विवाद इस समस्या की जड़ है। कॉलेज प्रबंधन और कंपनी के बीच सहमति न बनने के कारण 150 कर्मचारियों को इस संकट का सामना करना पड़ रहा है।

कॉलेज के प्रिंसिपल राकेश वैभव ने स्वीकार किया कि वेतन न मिलने की समस्या गंभीर है। उन्होंने बताया कि कर्मचारियों के मुद्दे को विभाग के समक्ष उठाया गया है। आवंटन की कमी के कारण वेतन का भुगतान रुका हुआ है। उन्होंने कर्मचारियों से इस समस्या को हल करने के लिए 15 दिनों का समय मांगा है।

वेतन न मिलने से परेशान कर्मचारियों ने काम बंद कर हड़ताल शुरू कर दी है। उनका कहना है कि जब तक वेतन का भुगतान नहीं किया जाएगा, तब तक हड़ताल जारी रहेगी।

प्रबंधन के अनुसार  इस मामले को जल्द हल करने की कोशिश की जा रही है। लेकिन आवंटन की प्रक्रिया में देरी और कर्मचारियों की बढ़ती आर्थिक समस्या ने इसे एक बड़ा मुद्दा बना दिया है। देखना यह है कि क्या वाकई 15 दिनों में इस समस्या का समाधान हो पाता है या कर्मचारियों की यह लड़ाई लंबी खिंचती है।

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