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प्रशासनिक रोक के बावजूद जलायी जा रही पराली, राजगीर में 337 पहुंचा एक्यूआइ

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राजगीर (नालंदा दर्पण)। शरद ऋतु के आगमन के साथ राजगीर नगर की आबोहवा खराब होने लगी है। राजगीर की वायु गुणवत्ता खराब हो रही है। घने जंगल, पहाड़ी होने के बाद भी पर्यटक शहर राजगीर की वायु गुणवत्ता सूचकांक सुधरने के बजाय खराब होती जा रहा है। आमजन के साथ सूर्य देव पर भी प्रदूषण का ग्रहण साफ दिखाई दे रहा है। इलाके की हवा में जहर घुलने लगा है।

राजगीर का वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 337 है। हवा प्रदूषित होने का मुख्य कारण तमाम प्रतिबंधों के बाद भी खुलेआम कूड़ा कचरा और पराली जलाया जाना है, इसके अलावा खुले में निर्माण सामग्री रखे जाने से हवा में धूल के कण उड़ रहे हैं।

प्रदूषित हवा के चलते सांस लेना मुश्किल हो चला है। सुबह के समय हल्की स्मॉग की चादर छा रही है। दमा के मरीजों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

डॉक्टरों का कहना है कि दिल और दमा के मरीजों को घर से बाहर निकलते समय सावधानी बरतने की आवश्यकता है। नवंबर माह की शुरुआत वायु प्रदूषण से हुई है। हवा में नमी बढ़ने के साथ वाहनों से निकलने वाले धुएं और सड़कों पर उड़ने वाली धूल से स्थिति ज्यादा बिगड़ रही है। इससे निपटने के लिए प्रशासनिक स्तर पर कोई ठोस प्लानिंग नहीं की जा रही है।

बिल्डिंग मैटेरियल की दुकानें खुले में चल रही है। सड़क किनारे बिल्डिंग मैटेरियल कारोबारियों के विरुद्ध कार्रवाई की बात तो दूर जिम्मेदारों के द्वारा रोक-टोक भी नहीं की जाती है। इतना ही नहीं करीब एक सौ ट्रैक्टर द्वारा नियमित रूप से बालू ढ़ोने का कारोबार किया जाता है।

ट्रैक्टर पर से बालू के उड़ने से भी वायु प्रदूषण बढ़ रहा है। ट्रैक्टर पर बालू नहीं ढकने से प्रदूषण बढ़ रहा है। इस पर रोकथाम की कार्रवाई नहीं हो रही है। इसके अतिरिक्त बड़ी तादाद में निर्माण कार्य चल रहे हैं, जिससे धूल उड़ रही है।

जिस तरह ग्रामीण क्षेत्रों में पराली जलाया जाता है, उसी तरह शहर में कूड़ा कचरा, पॉलीथिन जलाया जा रहा है। नगर परिषद द्वारा कचरा- पॉलीथिन जलाने वालों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की जाती है।

प्रदूषण के कारणः

  • खाली प्लॉट और सड़क किनारे अवैध तौर पर कचरा डालना
  • टूटी सड़कें और उनमें बने गड्ढे, सड़कों पर जमा होने वाली धूल
  • निर्माण सामग्री और ध्वस्तीकरण का मलबा इधर-उधर डालना
  • निर्माण और ध्वस्तीकरण से उड़ने वाली धूल
  • कचरा, पराली और प्लास्टिक को जलाया जाना
  • लकड़ी और हरित कचरे को जलाना उद्योग एवं अन्य स्रोत से होने वाला वायु प्रदूषण
  • उद्योगों से होने वाला वायु प्रदूषण उद्योगों, वाहनों एवं से होने वाला ध्वनि प्रदूषण
  • सड़क, ओवर ब्रिज निर्माण से उड़ने वाले धूल
  • जिम्मेदार द्वारा ठोस रणनीति और सख्त ऐक्शन नहीं होना

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