बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। नालंदा जिले में साइबर ठगी के मामले में संगठित गुर्गों के बीच बढ़ती तनातनी का एक रोचक मामला सामने आया हैं। गुर्गों ने अपने ही सरगना का अपहरण कर लिया, जिसका खुलासा होते ही पुलिस भी चौंक पड़ी। यह घटना तब सामने आया, जब अपहरणकर्ताओं ने अपने सरगना का ही अपहरण कर उससे पैसे की मांग की।
पुलिस के मुताबिक इस पूरे मामले का संबंध साइबर ठगी से अर्जित धन के बंटवारे में आए मतभेद से हैं। अपहरण के तुरंत बाद गुर्गों ने विकास के एटीएम कार्ड से 50 हजार रुपये की निकासी करने के साथ 11 हजार रुपये यूपीआई के माध्यम से भी ट्रांसफर करवा लिए।
अपहरण की सूचना पर पुलिस की कार्रवाईः बीते 15 अक्टूबर को पुलिस को यह सूचना मिली कि विकास कुमार नामक युवक को कुछ युवकों ने मोटरसाइकिल पर बैठाकर अपहरण कर लिया गया हैं। इसके बाद लहेरी थानाध्यक्ष रंजीत कुमार रजक के नेतृत्व में गठित एक टीम ने त्वरित कार्रवाई करते हुए बेन थाना क्षेत्र अंतर्गत बड़ी आट गांव स्थित धान के खेत से विकास को बरामद कर लिया। इस दौरान पुलिस ने एक अपराधी को गिरफ्तार भी किया, जबकि दूसरा भागने में सफल रहा। गिरफ्तार अपराधी के पास से एक पिस्टल,एक मैंगजीन, दस जिंदा कारतूस और पांच मोबाइल भी बरामद किए गए।
विकास की गिरफ्तारी से हुई साइबर ठगी का खुलासाः गिरफ्तार अपराधी विशाल कुमार सिंह ने पुलिस को बताया कि वह अन्य चार साथियों के साथ मिलकर इस अपहरण की साजिश रच रहा था। उसने यह भी खुलासा किया कि विकास गैंग का मुख्य व्यक्ति हैं, जो कंप्यूटर के माध्यम से विभिन्न फर्जी विज्ञापन बनाता हैं और इसी से साइबर ठगी करता हैं।
बिहारशरीफ एसडीपीओ नुरुल हक ने बताया कि विकास कुमार शेखपुरा जिले का निवासी हैं और पिछले दो वर्षों से बिहारशरीफ में किराए पर रह रहा हैं। विकास भी साइबर ठगी के मामलों में संलिप्त रहा हैं और उसने पटना में भी कांड किया हैं।
पुलिस ने विकास के एंड्रॉइड मोबाइल की जांच की तो उसमें ठगी से संबंधित कई साक्ष्य मिले। इस मामले में गिरफ्तार विशाल कुमार सिंह के अलावा अन्य अभियुक्तों में आदित्य राज उर्फ गुरु माफिया, प्रवीण कुमार शामिल हैं। जोकि अपहरण, रंगदारी जैसे कई संगीन कांडों में नामजद हैं।
वेशक यह घटना नालंदा के साइबर फ्रॉड गैंग के बीच बढ़ते तनाव को उजागर करती हैं। जो यह दर्शाता हैं कि आपराधिक गतिविधियों में संलिप्त लोग आपस में भी एक दूसरे के लिए खतरा बन सकते हैं। अब देखना यह हैं कि पुलिस अन्य अभियुक्तों को पकड़ने में कितनी सफल होती हैं।
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