नालंदा के इन 3 प्रखंडों में तबाही, फसलें डूबीं, ग्रामीण हलकान
नालंदा जिले में बाढ़ की स्थिति अभी भी गंभीर बनी हुई है और प्रशासन ने लोगों से नदियों और तटबंधों के पास न जाने की अपील की है। राहत कार्यों के बावजूद ग्रामीणों का कहना है कि जब तक स्थायी समाधान नहीं होगा, तब तक यह समस्या हर साल दोहराई जाएगी...
हिलसा (नालंदा दर्पण)। गया की फल्गू नदी और झारखंड से आए पानी ने नालंदा जिले के तीन प्रखंडों एकंगरसराय, हिलसा और करायपरसुराय में बाढ़ की गंभीर स्थिति पैदा कर दी है। उदेरा स्थान बराज से 73.5 हजार क्यूसेक पानी छोड़े जाने के बाद लोकायन और भुतही नदियों का जलस्तर अचानक बढ़ गया, जिससे क्षेत्र में व्यापक तबाही मच गई। तटबंधों के टूटने से 20 से अधिक गांव प्रभावित हुए हैं। खेत जलमग्न हो गए हैं और ग्रामीण छतों पर शरण लेने को मजबूर हैं।
हिलसा प्रखंड के धुरी बिगहा के पास लोकायन नदी का पश्चिमी तटबंध और आंकोपुर के पास भुतही नदी का पूर्वी तटबंध टूटने से स्थिति और गंभीर हो गई है। बड़ारी और बेलदारीपर गांवों में कई घरों में पानी घुस गया। जिससे ग्रामीणों को अपनी जान बचाने के लिए छतों पर शरण लेनी पड़ी। गरमा धान, सब्जी, मक्का और मूंग की फसलें पूरी तरह जलमग्न हो चुकी हैं। जिससे किसानों को भारी नुकसान हुआ है।
स्थानीय किसानों ने बताया कि हर साल एक ही स्थान पर तटबंध टूटता है। लेकिन जल संसाधन विभाग की ओर से कोई स्थायी समाधान नहीं किया जाता। धुरी बिगहा में तटबंध की मरम्मत के दौरान एक जेसीबी मशीन पानी में डूब गई और हिलसा के बीडीओ अमर कुमार का पैर फिसलने से फ्रैक्चर हो गया। उन्हें इलाज के लिए पटना रेफर किया गया है।
करायपरसुराय प्रखंड के कमरथू और बेरमा गांवों में भी तटबंध टूटने से खेतों में पानी भर गया है। बिचड़ा डूबने के कारण किसानों को दोबारा धान की रोपाई करनी पड़ेगी। जिससे उनकी लागत और नुकसान दोनों बढ़ गए हैं। ग्रामीणों ने प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए कहा कि समय पर तटबंधों की मरम्मत नहीं होने से हर साल बाढ़ की स्थिति उत्पन्न होती है।
जिलाधिकारी कुंदन कुमार ने बताया कि प्रशासन अलर्ट मोड में है और सभी संवेदनशील स्थानों पर निगरानी बढ़ा दी गई है। एनडीआरएफ, एसडीओ, सीओ, डीएसपी और अन्य पदाधिकारियों की निगरानी में राहत कार्य शुरू कर दिए गए हैं। सैंड बैग से कटाव स्थलों की मरम्मत की जा रही है और प्रभावित क्षेत्रों में कम्युनिटी किचन शुरू किए गए हैं। पशुओं के लिए चारा, चूड़ा-गुड़ और अन्य आवश्यक सामग्री का वितरण भी शुरू हो गया है।
पुलिस अधीक्षक भारत सोनी ने तटबंधों पर पुलिस बल की तैनाती का निर्देश दिया है। ताकि बच्चों और ग्रामीणों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। उन्होंने कहा कि स्थिति पर कड़ी नजर रखी जा रही है और किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए पुलिस प्रशासन पूरी तरह तैयार है।
प्रभावित किसानों ने सरकार से मांग की है कि तटबंधों की मरम्मत और सुदृढ़ीकरण के लिए स्थायी उपाय किए जाएं। ताकि हर साल बाढ़ की विभीषिका से बचा जा सके। उन्होंने फसल नुकसान के लिए मुआवजे की भी मांग की है।









