Arbitrariness of banks: बेरोजगार और किसानों को नहीं मिल रहा सरकारी योजनाओं का लाभ

Due to the arbitrariness of banks, unemployed farmers are not getting the benefits of government schemes

बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। Arbitrariness of banks: भारत सरकार द्वारा सूक्ष्म, लघु व मध्यम उद्यम के तहत सौ जिले के बेरोजगार युवक युवतियों को उद्यमी बनाने के लिये प्रधानमंत्री रोजगार सृजन योजना कार्यक्रम चलायी जा रही है। इस योजना के तहत कृषि आधारित एवं खाद्य प्रसंस्करण उद्योग पर आधारित उद्योग के अतिरिक्त सूक्ष्म व उद्यम परियोजना ईकाइयों को स्थापित कर व स्वरोजगार कर आत्मनिर्भर बन सकते हैं। लेकिन यहां बैंकों के असहयोगत्माक रवैये के कारण सरकार की लाभकारी योजना पर पानी फिर रहा है। खासकर बेरोजगारों में बैंकों की मनमानी के कारण काफी क्षोभ व्याप्त है।

बताया जाता है कि नालंदा जिला उद्योग केंद्र द्वारा वित्तीय वर्ष 2024- 25 में पीएमइजीपी के अंतर्गत आठ सौ चार लाभुकों को विभिन्न उदयोग स्थापित करने के लिए लक्ष्य निर्धारित किया गया है, जिसमें सात सौ छह आवेदन विभिन्न बैंकों में भेजा गया। इसमें से मात्र 116 लाभार्थियों का ऋण स्वीकृत किया गया है।

विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार जिन बैंकों द्वारा ऋण उपलब्ध कराया गया है, उनमें बैंक ऑफ बड़ौदा से एक, एक्सिस बैंक से शून्य, बंधन बैंक से शून्य, बैंक ऑफ इंडिया से नौ, दक्षिण बिहार ग्रामीण बैंक से 29, एचडीएफसी से शून्य, आइसीआइसीआइ से शून्य, इंडियन बैंक से सात, इंडियन ओवरसीज बैंक से चार, पंजाब नेशनल बैंक से शून्य, पीएनबी से 27, एसबीआई से 22, यूको बैंक से चार, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के द्वारा तीन लाभार्थियों को ऋण दिया गया है।

हालांकि, नालंदा उप विकास आयुक्त ने बैंको को चेतावनी देते हुए कहा कि उक्त बैंकों में सरकारी जमा राशि का खाता बंद कर दी जायेगी। जमा राशि लोन नहीं देने वाले बैंकों से निकासी कर ली जायेगी। लेकिन वह सब कही सुनी बात बनकर ही रह गई है।

इस बाबत नालंदा जिला उद्योग विभाग के महाप्रबंधक भी कहते हैं कि पीएमइजीपी योजना के तहत सरकार द्वारा निर्धारित लक्ष्य निर्धारित समय पर पूरा करने के लिये सतत प्रत्यनशील है। लेकिन बैंकों की गलत नीति के कारण केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना का लक्ष्य के अनुसार सामान्य ऋण भी लाभुकों को नहीं मिल पाता है।

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