अन्य
    Wednesday, November 6, 2024
    अन्य
      Nalanda

      प्रागैतिहासिक काल से सूर्योपासना का प्रधान केंद्र है सूर्यपीठ बड़गांव

      बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। नालंदा जिला अवस्थित सूर्यपीठ बड़गांव प्रागैतिहासिक काल से सूर्योपासना का प्रधान केंद्र रहा है। यह स्थान न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है, बल्कि इसकी महिमा छठ पर्व के दौरान और भी बढ़ जाती है। छठ पर्व में यहां प्रकृति और संस्कृति का अनोखा संगम देखने को मिलता है, जो सामाजिक एकता, सहिष्णुता और प्रकृति के प्रति प्रेम का संदेश देता है।

      इस स्थान से जुड़े ऐतिहासिक और धार्मिक किस्से राजा शांब से जुड़ते हैं। जो भगवान श्रीकृष्ण के पुत्र थे। कहा जाता है कि नारद मुनि के क्रोध से उन्हें कुष्ठ रोग हो गया था। जब उन्होंने अपनी गलती का एहसास किया तो सूर्योपासना के माध्यम से रोग से मुक्ति पाने का उपाय बताया गया। शाकद्वीपीय ब्राह्मणों द्वारा उन्हें 49 दिनों तक बड़गांव में सूर्योपासना कराई गई। इसके बाद उनका शरीर स्वस्थ हो गया। तब से ही बड़गांव सूर्योपासना का प्रमुख केंद्र बन गया।

      मान्यताओं के अनुसार राजा शांब ने बड़गांव में एक भव्य सूर्य मंदिर का निर्माण कराया था। इस मंदिर में सूर्य नारायण की दुर्लभ मूर्ति थी। जो कई बार जीर्णोद्धार के बाद भी 1934 के भूकंप में ध्वस्त हो गई थी। बाद में इस मंदिर का पुनर्निर्माण बैरिस्टर नवल प्रसाद सिन्हा द्वारा किया गया। कहा जाता है कि यहां के तालाब में स्नान करने से आज भी कुष्ठ रोग से पीड़ित लोगों को लाभ मिलता है। इस सूर्य मंदिर की महिमा देशभर में फैली हुई है और यह देश के 12 प्रमुख सूर्यपीठों में से एक है।

      बड़गांव में छठ पर्व के दौरान सूर्योपासना की परंपरा सदियों से चली आ रही है। इस पर्व पर यहां लाखों श्रद्धालु भगवान सूर्य को अर्घ्य देने आते हैं। कहा जाता है कि इसी स्थान से अर्घ्य देने की परंपरा शुरू हुई। जिसके बाद में पूरे देश में लोकप्रिय हो गई। सूर्य तालाब में स्नान करने और सूर्योपासना करने से न केवल व्याधियों से मुक्ति मिलती है। बल्कि संतान प्राप्ति की कामना भी पूरी होती है। इस तालाब का पानी औषधीय गुणों से भरपूर माना जाता है। जिससे कुष्ठ रोग जैसे असाध्य रोग भी ठीक हो जाते हैं।

      बड़गांव के तालाब को राजा शांब द्वारा बनवाया गया था। जिसमें पहले दूध और जल के अलग-अलग कुंड हुआ करते थे। छठ पूजा के दौरान इसी तालाब से जल और दूध अर्पित करने की परंपरा चली आ रही है। मान्यताओं के अनुसार पांच रविवार यहां स्नान करने और सूर्य मंदिर में पूजा करने से कुष्ठ रोग ठीक हो जाता है। साथ ही लोग अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए भी यहां सूर्योपासना करते हैं।

      बड़गांव का सूर्यपीठ न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है।  बल्कि यह सामाजिक सद्भाव का भी प्रतीक है। यहां गैर-हिंदू श्रद्धालु भी कुष्ठ रोग से मुक्ति पाने के लिए तालाब में स्नान करने आते हैं। यह स्थान मानवता और प्रकृति के बीच के गहरे संबंधों को दर्शाता है। जो छठ पर्व के दौरान और भी प्रबल हो जाता है।

      बड़गांव सूर्यपीठ की महिमा और उसकी प्राचीनता देशभर में प्रसिद्ध है। हर साल लाखों श्रद्धालु कार्तिक और चैत्र महीने में यहां छठव्रत के लिए आते हैं। इस चार दिवसीय पर्व के दौरान वे तालाब में स्नान करते हैं और सूर्य मंदिर में आराधना करते हैं। सूर्योपासना की यह परंपरा बड़गांव की सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहर को जीवित रखती है।

      यह सूर्यपीठ न केवल बिहार के लिए, बल्कि पूरे देश के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक केंद्र बना हुआ है। इसके साथ ही बड़गांव में सूर्योपासना के माध्यम से व्याधियों से मुक्ति और मनोकामनाओं की पूर्ति की मान्यता इसे और भी विशेष बनाती है।

      LEAVE A REPLY

      Please enter your comment!
      Please enter your name here

      संबंधित खबर

      error: Content is protected !!
      Wildlife and nature zoo safari park in Rajgir, Nalanda, Bihar, India Bihar Sharif covered with red flags regarding Deepnagar garbage dumping yard in nalanda बिहारशरीफ नगर का रमणीक स्थान हिरण्य पर्वत जानें राजगीर ब्रह्म कुंड का अद्भुत रहस्य