सिलाव (नालंदा दर्पण संवाददाता)। सरकार राजगीर को विश्वस्तरीय पर्यटन स्थल बनाने की लाख कोशिशें कर रही हों, लेकिन सिलाव बाइपास फोरलेन की हकीकत कुछ और ही बयाँ कर रही है। चार लेन की चमचमाती सड़क के ठीक बीचों-बीच बने डिवाइडर पर अब मछली मंडी सजने लगी है। तस्वीरें खुद गवाह हैं कि एक नन्हा बच्चा नंगे पाँव मछलियों के ढेर पर खड़ा होकर ग्राहकों को माल तौल रहा है, जबकि बगल से तेज रफ्तार वाहन गुजर रहे हैं।
सुबह करीब 11 बजे खींची गई इन तस्वीरों में साफ दिख रहा है कि डिवाइडर पर प्लास्टिक और अखबार बिछाकर छोटी-छोटी मछलियाँ फैलाई गई हैं। एक पुरानी तराजू रखी है और नन्हा बाल मजदूर नंगे पाँव मछलियाँ उठा-उठाकर ग्राहकों को दे रहा है। ग्राहक सड़क पर ही गाड़ियाँ रोककर खरीदारी कर रहे हैं। नतीजा दोनों तरफ वाहनों की लंबी कतार और जाम जैसी स्थिति।
हालांकि यहां यह कोई नई बात नहीं है। पिछले कई महीनों से सिलाव बाजार से लेकर बाइपास तक सड़क किनारे और अब तो डिवाइडर पर भी मछली-मुर्गा बिक रहा है। सुबह 8 बजे से दोपहर 1 बजे तक पूरा फोरलेन मछली मंडी में तब्दील हो जाता है। पर्यटक राजगीर जा रहे होते हैं, लेकिन यहाँ की गंदगी और बदबू देखकर मुँह फेर लेते हैं।
राजगीर को पर्यटन हब बनाने के लिए बिहार सरकार और केंद्र सरकार करोड़ों रुपए खर्च कर रही है। नियम भी साफ हैं कि पर्यटन क्षेत्र में खुले में मांस-मछली की बिक्री पूरी तरह प्रतिबंधित है। लेकिन सिलाव नगर पंचायत इन नियमों की खुलेआम धज्जियाँ उड़ती देख रही है। न कोई चालान, न कोई नोटिस, न ही विक्रेताओं को हटाने की कोई मुहिम।
लोगों का आरोप है कि कुछ स्थानीय प्रभावशाली लोगों का संरक्षण होने की वजह से प्रशासन आँखें मूंदे बैठा है। अगर यहां एक झटके में कोई अनहोनी हो जाए तो जिम्मेदार कौन होगा?
स्थानीय नागरिकों और व्यापारियों ने एक स्वर से मांग की है कि सिलाव में मछली और मांस बिक्री के लिए नगर पंचायत अलग से निर्धारित जगह आवंटित करे। सिलाव के कार्यपालक पदाधिकारी के पास इसका कोई जबाव नहीं है।
स्थानीय थाना प्रभारी ने कहा कि हमें अभी तक कोई लिखित शिकायत नहीं मिली है। शिकायत मिलेगी तो तुरंत कार्रवाई होगी। हालांकि यह बात दीगर है कि ऐसे सार्वजनिक मामले की लिखित शिकायत कौन करेगा?
