शिक्षा विभाग का सरकारी स्कूलों में फिर चलेगा औचक निरीक्षण का खेल

बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। नालंदा जिले के सरकारी विद्यालयों में शिक्षा की गुणवत्ता को सुनिश्चित करने के लिए शिक्षा विभाग ने कड़ा कदम उठाया है। विभाग ने सभी सरकारी विद्यालयों का नियमित और औचक निरीक्षण शुरू करने का फैसला किया है।

इस संबंध में शिक्षा विभाग के प्रशासनिक निदेशक ने जिला शिक्षा पदाधिकारी को सख्त निर्देश जारी किए हैं। यह निर्णय विगत 20 फरवरी 2025 को अपर मुख्य सचिव (एसीएस) द्वारा दिए गए निर्देशों के आधार पर लिया गया है, जिसमें जिले के सभी निरीक्षी अधिकारियों को प्रत्येक माह कम से कम 25 विद्यालयों का औचक निरीक्षण करने का आदेश दिया गया है।

निरीक्षण का कार्य जिला शिक्षा पदाधिकारी, जिला कार्यक्रम पदाधिकारी, प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी, अपर जिला कार्यक्रम समन्वयक और सहायक कार्यक्रम पदाधिकारी द्वारा किया जाएगा। निरीक्षण की प्रक्रिया को पूरी तरह गोपनीय रखा जाएगा।

निरीक्षी अधिकारी बिना किसी शिक्षक या कर्मचारी को सूचित किए विद्यालय की ओर प्रस्थान करेंगे। निरीक्षण के लिए विद्यालयों का चयन अपर मुख्य सचिव द्वारा किया जाएगा और इसकी सूचना निरीक्षी अधिकारियों को निरीक्षण की पूर्व रात्रि 9 बजे मोबाइल पर दी जाएगी।

निरीक्षण के बाद, अधिकारियों को निरीक्षण प्रतिवेदन को विहित प्रपत्र में भरकर स्कैन करना होगा और इसे ई-शिक्षाकोष पोर्टल पर अपलोड करना होगा। यदि कोई अधिकारी अस्वस्थता या अन्य कारणों से निरीक्षण नहीं कर पाता तो उसे तुरंत अपर मुख्य सचिव कार्यालय में नोडल पदाधिकारी को सूचित करना अनिवार्य होगा।

अपर मुख्य सचिव ने सभी निरीक्षी अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे निरीक्षण कार्य को पूरी गंभीरता से लें। यदि किसी भी निरीक्षण प्रतिवेदन में गलत या भ्रामक जानकारी पाई गई तो संबंधित अधिकारी के खिलाफ अनुशासनिक कार्रवाई की जाएगी। यह कदम सरकारी विद्यालयों में शिक्षा की गुणवत्ता, शिक्षकों की उपस्थिति और विभिन्न योजनाओं के कार्यान्वयन की सटीक स्थिति जानने के लिए उठाया गया है।

शिक्षा विभाग का यह कदम जिले के सरकारी विद्यालयों में शैक्षणिक और प्रशासनिक व्यवस्था को और अधिक पारदर्शी और प्रभावी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है।

निरीक्षण के दौरान विद्यालयों में शिक्षकों की उपस्थिति, पाठ्यक्रम की प्रगति, बुनियादी सुविधाओं की स्थिति और विभिन्न सरकारी योजनाओं के कार्यान्वयन की गहन जांच की जाएगी।

इस निर्णय का स्थानीय स्तर पर मिला-जुला प्रभाव देखने को मिल रहा है। कुछ शिक्षकों का मानना है कि यह कदम विद्यालयों में अनुशासन और जवाबदेही बढ़ाएगा। वहीं कुछ इसे अतिरिक्त प्रशासनिक दबाव के रूप में देख रहे हैं।

शिक्षा विभाग का यह कदम नालंदा जिले के सरकारी विद्यालयों में शिक्षा के स्तर को सुधारने और पारदर्शिता लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल मानी जा रही है। आने वाले दिनों में इसके परिणामों पर सभी की नजर रहेगी।

Exit mobile version