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ऐसे पढ़ेंगे बच्चे? भवन एक, स्कूल दो, कमरा एक और कक्षाएं तीन!

बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। शिक्षा का अधिकार और बच्चों के उज्ज्वल भविष्य की गूंज देश भर में सुनाई देती है, लेकिन बिहारशरीफ नगर के नईसराय मुहल्ला में स्थित एक सरकारी स्कूल की स्थिति इन दावों की पोल खोलती है। यहां एक ही भवन में दो विद्यालय प्राथमिक विद्यालय और कन्या मध्य विद्यालय संचालित हो रहे हैं। लेकिन हालात ऐसे हैं कि शिक्षा व्यवस्था की बदहाली साफ नजर आती है। चार कमरों के इस भवन में न केवल दो स्कूल चल रहे हैं, बल्कि एक ही कमरे में तीन कक्षाओं की पढ़ाई, कार्यालय का काम और मध्यान्ह भोजन की व्यवस्था तक हो रही है।

प्राथमिक विद्यालय में तीसरी, चौथी और पांचवीं कक्षा की पढ़ाई एक ही कमरे में होती है। यही कमरा स्कूल के कार्यालय के रूप में भी इस्तेमाल होता है। प्राथमिक विद्यालय के प्रधानाध्यापक के अनुसार जगह की कमी के कारण एक समय में केवल दो शिक्षक ही पढ़ा सकते हैं। तीसरे शिक्षक को मेरे बगल में खड़ा होकर पढ़ाना पड़ता है। इस स्थिति में बच्चों का ध्यान पढ़ाई पर केंद्रित करना शिक्षकों के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है।

वहीं स्कूल में मध्यान्ह भोजन की व्यवस्था भी उसी कमरे में की जाती है, जहां पढ़ाई होती है। बच्चे किताबें हटाकर डेस्क पर या जमीन पर बैठकर भोजन करते हैं। समय बचाने के लिए सभी बच्चों को एक साथ भोजन कराया जाता है। शौचालय की स्थिति भी दयनीय है, जो बरामदे में बना हुआ है। स्वच्छता और गोपनीयता का अभाव बच्चों और शिक्षकों दोनों के लिए परेशानी का सबब है।

इस प्राथमिक विद्यालय में 46 बच्चों के लिए मात्र 15 बेंच उपलब्ध हैं। जबकि कन्या मध्य विद्यालय में 118 बच्चों के लिए केवल 26 बेंच हैं। शिक्षक किसी तरह बच्चों को बैठाने की व्यवस्था करते हैं। लेकिन कई बच्चे जमीन पर बैठकर पढ़ाई करने को मजबूर हैं।

कन्या मध्य विद्यालय के एक शिक्षक ने बताया कि दूर-दूर से बच्चियां नामांकन के लिए आती हैं, लेकिन जगह की कमी के कारण हमें उन्हें लौटाना पड़ता है। हमारे पास केवल दो कमरे और एक बरामदा है।

बहरहाल, यह स्थिति न केवल शिक्षा के अधिकार की अवहेलना है, बल्कि सरकारी स्कूलों में बुनियादी सुविधाओं की कमी को भी उजागर करती है। एक ओर सरकार डिजिटल शिक्षा और स्मार्ट क्लासरूम की बात करती है। वहीं दूसरी ओर नईसराय जैसे स्कूलों में बच्चे बुनियादी सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं। अभिभावकों का कहना है कि इस तरह की व्यवस्था में बच्चों का भविष्य कैसे उज्ज्वल हो सकता है?

स्थानीय लोगों का आरोप है कि जिला प्रशासन और शिक्षा विभाग को इस समस्या की जानकारी है, लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा। अभिभावकों ने मांग की है कि स्कूल के लिए अलग भवन, पर्याप्त कमरे, बेंच और शौचालय की व्यवस्था की जाए।

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