नालंदा में डेंगू के 199 मरीजों ने बढ़ाई चिंता, बिहारशरीफ बना रेड जोन

बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। मानसून की बूंदों के साथ ही मच्छरों का प्रकोप भी बढ़ गया है, और इसके साथ डेंगू जैसी घातक बीमारी ने नालंदा जिले को अपनी चपेट में ले लिया है। लेकिन चिंता की बात यह है कि यहां डेंगू की पुष्टि के लिए इस्तेमाल हो रही रैपिड किट जांच कितनी भरोसेमंद है?
स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट से साफ है कि इस साल अब तक जिले में 199 संभावित डेंगू मरीज मिल चुके हैं, लेकिन अधिकांश मामलों में एलाइजा टेस्ट की कमी ने सच्चाई को धुंधला कर दिया है। सबसे ज्यादा प्रभावित बिहारशरीफ का शहरी क्षेत्र है, जहां 88 केस दर्ज हो चुके हैं। क्या यह सिर्फ आंकड़ों की बात है या एक बड़ी स्वास्थ्य आपदा का संकेत? आइए, इस डरावने साये की गहराई में उतरें।
जिले में डेंगू का खतरा हर साल बढ़ता है, लेकिन इस बार हालात और भी गंभीर लग रहे हैं। जिला वेक्टर बॉर्न डिजीज पदाधिकारी डॉ. राम मोहन सहाय ने ‘नालंदा दर्पण’ को बताया कि वर्ष 2025 के अब तक के आंकड़ों में कुल 199 डेंगू केस सामने आए हैं। इनमें बिहारशरीफ से सबसे ज्यादा 88 मरीज पुष्टि हो चुके हैं, जो पूरे जिले के आधे से अधिक हैं।
इसके अलावा, नूरसराय प्रखंड से 22, रहुई से 9, नगरनौसा से 8, जबकि अन्य प्रखंडों जैसे अस्थावां, चंडी, दीपनगर, हरनौत, हिलसा, इस्लामपुर, कचहरी, परबत्ता, राजगीर और सरमेरा से 2 से 4-4 मरीजों की पहचान हुई है।
डॉ. सहाय ने चेतावनी दी कि बिहारशरीफ हर साल डेंगू के लिए ‘रेड जोन’ में रहता है। शहरी क्षेत्रों में घनी आबादी, खुली नालियां और जमा पानी मच्छरों के लिए परफेक्ट ब्रिडिंग ग्राउंड बन जाते हैं। यह कोई संयोग नहीं है। यह एक पैटर्न है। शहरी निवासियों को विशेष सतर्कता बरतनी होगी।
लेकिन समस्या सिर्फ मरीजों की संख्या तक सीमित नहीं। असली खतरा है जांच प्रक्रिया की कमजोरी। जिले में अधिकांश डेंगू की पुष्टि रैपिड किट टेस्ट से हो रही है, जो तुरंत परिणाम देती है, लेकिन पूरी तरह सटीक नहीं।
डॉ. सहाय ने खुलासा किया कि कई मरीजों के किट टेस्ट पॉजिटिव आने के बावजूद एलाइजा जांच में उनकी रिपोर्ट नेगेटिव आ गई। किट टेस्ट केवल संभावित संक्रमण का संकेत देता है, पुष्टि नहीं। निजी अस्पतालों में लोग जल्दबाजी में किट से जांच कराते हैं, लेकिन यह भ्रामक साबित हो सकता है। अगर बुखार, सिरदर्द, जोड़ों में दर्द या उल्टी जैसे लक्षण दिखें तो तुरंत सरकारी अस्पताल पहुंचें। वहां एलाइजा टेस्ट पूरी तरह निःशुल्क उपलब्ध है।
डेंगू को रोकने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने अब अलर्ट मोड अपनाया है। डॉ. सहाय ने बताया कि फॉगिंग, लार्वा कंट्रोल और जागरूकता अभियान तेज कर दिए गए हैं। लेकिन अंतिम जिम्मेदारी नागरिकों पर है।
घर और आसपास साफ-सफाई रखें: पानी जमा न होने दें। गमले, बाल्टी, टायर या ड्रम में खड़े पानी को तुरंत हटाएं।
मच्छरदानी का इस्तेमाल: रात में सोते समय मच्छरदानी लगाएं। दिन में भी मच्छर भगाने वाली क्रीम या स्प्रे का उपयोग करें।
तुरंत जांच: बुखार आने पर देर न करें। सरकारी अस्पतालों में निःशुल्क जांच उपलब्ध है।
पोषण पर ध्यान: फल-सब्जियां खाएं, हाइड्रेटेड रहें। डेंगू में प्लेटलेट्स गिरने का खतरा रहता है, इसलिए डॉक्टर की सलाह लें।
नालंदा जैसे जिले में स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी लंबे समय से एक चुनौती रही है। लेकिन इस डेंगू सीजन में अगर हम सब मिलकर सतर्क रहें तो इस महामारी को काबू में किया जा सकता है। बिहारशरीफ रेड जोन से बाहर निकलने का समय आ गया है। एलाइजा टेस्ट की सुविधा को और बढ़ाई जानी चाहिए, ताकि कोई मरीज छूट न जाए।









