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अंततः18 साल बाद 206 करोड़ की हिलसा पूर्वी बाईपास परियोजना शुरू

हिलसा (नालंदा दर्पण)। हिलसा अनुमंडल मुख्यालय का मुख्य बाजार अब रोजाना यातायात जाम की भेंट चढ़ रहा हैं। सुबह से शाम तक वाहनों की लंबी कतारें सड़कों को अवरुद्ध कर देती हैं, जिससे न केवल आने-जाने वाले वाहन चालक परेशान होते हैं, बल्कि पैदल यात्री भी मुश्किल से रास्ता निकाल पाते हैं। पश्चिमी बाईपास के निर्माण के बावजूद समस्या जस की तस बनी हुई हैं।

विशेषज्ञों और स्थानीय लोगों का मानना हैं कि पूर्वी बाईपास का निर्माण ही इस विकराल समस्या का स्थायी समाधान होगा। अच्छी खबर यह हैं कि बहुप्रतीक्षित पूर्वी बाईपास का निर्माण कार्य अब तेजी से शुरू हो गया हैं, जिससे हिलसा वासियों में खुशी की लहर दौड़ गई हैं।

जाम की जड़ें: अवैध पार्किंग और अतिक्रमण का कहर

हिलसा के मुख्य बाजार में जाम की मुख्य वजह अवैध पार्किंग और सड़क किनारे अतिक्रमण हैं। सिनेमा मोड़ और बरूणतल में तीनपहिया वाहनों (ई-रिक्शा, ऑटो) की मनमानी पार्किंग से यातायात व्यवस्था चौपट हो जाती हैं। फुटपाथ पर दुकानदारों का कब्जा सड़क को और संकरा बना देता हैं। रामबाबू हाई स्कूल के पास सुबह-सुबह लगने वाली सब्जी मंडी भी जाम का बड़ा कारण हैं, जहां खरीदारों और विक्रेताओं की भीड़ से मुख्य सड़क पर वाहनों की रफ्तार थम जाती हैं।

पुराना बस स्टैंड की स्थिति और भी दयनीय हैं। यहां गाड़ियां गलत ढंग से सड़क पर खड़ी की जाती हैं, जिससे यात्रियों को कोई सुविधा नहीं मिलती। न शौचालय हैं, न पेयजल की व्यवस्था और न ही बैठने के लिए यात्री शेड। पटेल नगर और सिनेमा मोड़ के पास बसें खड़ी कर स्टैंड की तरह उपयोग करने से स्थानीय लोग रोज जाम का शिकार होते हैं। अनुमंडल प्रशासन ने 26 अप्रैल 2022 को नई ट्रैफिक व्यवस्था लागू की थी, लेकिन यह अब तक प्रभावी नहीं हो सकी। फुटपाथी दुकानदार और वाहन मालिकों की मनमानी जारी हैं।

नए बस पड़ाव का उद्घाटन, लेकिन बसें नहीं पहुंचीं

मार्च 2024 में मई गांव में 2.11 करोड़ रुपये की लागत से बने नए बस पड़ाव का उद्घाटन धूमधाम से किया गया था। प्रशासन ने दावा किया था कि इससे शहर को जाम से मुक्ति मिलेगी। बिहार रोड स्थित अभय नाथ धाम सह मानव सेवा आश्रम के पुल के पास बसें लगाई जाएंगी, जबकि टेम्पो खाकी बाबा चौक और योगीपुर रोड स्थित रेलवे क्रॉसिंग के पश्चिम में खड़े किए जाएंगे।

हिलसा नगर परिषद और अनुमंडल प्रशासन ने कई बैठकें कीं, बस संचालकों से वार्ता की, लेकिन नियमों का पालन नहीं हो रहा। बस मालिक पुराने स्टैंडों पर ही मनमानी कर रहे हैं। अतिक्रमण हटाओ अभियान चलता हैं तो प्रशासन के जाते ही बसें फिर लगने लगती हैं। अधिकारियों की उदासीनता का फायदा वाहन मालिक उठा रहे हैं, जिससे यात्रियों को एक जगह से दूसरी जगह जाने में भारी परेशानी होती हैं।

पूर्वी बाईपास: 18 साल की प्रतीक्षा हुई पूरी

यह परियोजना वर्ष 2007 में प्रस्तावित हुई थी और 2012 में स्वीकृति मिली। 2019 में शिलान्यास हुआ, लेकिन कई वर्षों तक कार्य अटका रहा। अब 18 साल बाद टेंडर प्रक्रिया पूरी हो गई हैं। बिहार राज्य पुल निर्माण निगम लिमिटेड ने निविदा जारी की, जिसमें तकनीकी मूल्यांकन के बाद दो कंपनियां उपयुक्त पाई गईं। ओडिशा की मेसर्स फॉर्च्यून ग्रुप और बेगूसराय की हरि कंस्ट्रक्शन एंड एसोसिएट्स प्राइवेट लिमिटेड।

परियोजना के तहत कुल 7.07 किलोमीटर लंबा बाईपास बनेगा, जिसमें दो आरओबी (रेलवे ओवर ब्रिज) शामिल हैं। इसके अलावा 15 छोटे-बड़े पुल-पुलिए बनाए जाएंगे। कुल लागत 206.03 करोड़ रुपये हैं। छह मौजों की 47.385 एकड़ जमीन अधिगृहित की जा चुकी हैं। निर्माण कार्य शुरू होने से मौके पर कर्मियों की सक्रियता दिख रही हैं, जिससे स्थानीय लोग उत्साहित हैं।

हिलसा वासियों की उम्मीद अब इस परियोजना पर टिकी हैं। पूर्वी बाईपास पूरा होने पर भारी वाहनों का शहर से बाहर रूट हो जाएगा, जिससे मुख्य बाजार में जाम की समस्या खत्म हो जाएगी। यदि निर्माण समय पर पूरा हुआ और प्रशासन बस पड़ावों को प्रभावी बनाए रखा तो शहर की सड़कें फिर से सुगम हो सकती हैं। फिलहाल रोजाना की जाम जंजाल से राहत की यह किरण उम्मीद जगाती हैं।

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