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बिना BEO चल रहा 8 प्रखंडों का कामकाज, DPO-PO बने हैं ‘मलाईदार मालिक’

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8 blocks are functioning without BEO, DPO-PO have become 'creamy bosses'
8 blocks are functioning without BEO, DPO-PO have become 'creamy bosses'

यह स्थिति केवल नालंदा तक सीमित नहीं है। बिहार के अन्य जिलों में भी ऐसी समस्याएं देखने को मिल रही हैं, जिन्हें शीघ्र हल करना आवश्यक है

बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। नालंदा जिला शिक्षा विभाग में अधिकारियों की कमी का असर कामकाज पर स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा है। जिले के 8 प्रखंडों में प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी (बीईओ) का पद खाली है। जिससे विभागीय कामकाज प्रभावित हो रहा है। ऐसे में जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (डीपीओ) और प्रखंड कार्यक्रम पदाधिकारी (पीओ) को अतिरिक्त जिम्मेदारियां देकर व्यवस्था बनाए रखने का प्रयास किया जा रहा है।

इस जिले में शिक्षा विभाग में अधिकारियों की भारी कमी के चलते डीपीओ (DPO) से लेकर बीईओ (BEO) तक को एक से अधिक प्रखंडों का प्रभार सौंपा गया है।

  • डीपीओ अनिल कुमार को माध्यमिक शिक्षा, साक्षरता, प्रधानमंत्री पोषण योजना के साथ-साथ अस्थावां प्रखंड का बीईओ प्रभार दिया गया है। वे सोमवार और शनिवार को अस्थावां में उपस्थित रहेंगे।
  • डीपीओ मोहम्मद शाहनवाज को राजगीर और सिलाव प्रखंडों का बीईओ प्रभार दिया गया है। वे बुधवार और शनिवार को राजगीर, जबकि सोमवार और गुरुवार को सिलाव में काम करेंगे।
  • डीपीओ आनंद शंकर को रहुई और नूरसराय प्रखंडों का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है। वे सोमवार और गुरुवार को रहुई, तथा बुधवार और शनिवार को नूरसराय में कार्य करेंगे।

प्रत्येक अधिकारी को सप्ताह के विभिन्न दिनों में अलग-अलग प्रखंडों में उपस्थित रहने का निर्देश दिया गया है। मंगलवार और शुक्रवार को होने वाली वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में भाग लेना उनके लिए अतिरिक्त चुनौती बन गया है।

कार्यक्रम पदाधिकारी सह प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी कुमारी उषा को परवलपुर और इस्लामपुर प्रखंड का प्रभार दिया गया है। वे सोमवार, बुधवार और शुक्रवार को परवलपुर तथा मंगलवार, गुरुवार और शनिवार को इस्लामपुर में कार्य करेंगी।

बिहारशरीफ के बीईओ मो. अब्दुल मन्नान को बिहारशरीफ के साथ-साथ कतरीसराय का भी प्रभार दिया गया है। वे सप्ताह के अलग-अलग दिनों में दोनों स्थानों पर उपस्थित रहेंगे।

अधिकारियों की कमी से न केवल प्रखंड स्तर पर शिक्षा कार्य प्रभावित हो रहा है, बल्कि अधिकारियों पर बढ़ता बोझ उनकी कार्यक्षमता को भी प्रभावित कर रहा है। जिले में खाली पदों को भरने और नई नियुक्तियां करने की आवश्यकता है।

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