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राजगीर केंद्रीय विद्यालय की स्थापना पर लगा ग्रहण, जानें बड़ी वजह

राजगीर (नालंदा दर्पण)। नालंदा जिले में केंद्रीय विद्यालय की स्थापना को लेकर चल रही कवायद एक बार फिर चर्चा में है। केंद्रीय विद्यालय नालंदा (आयुध निर्माणी) और केंद्रीय विद्यालय हरनौत के सफल संचालन के बाद केंद्र सरकार ने बिहारशरीफ और राजगीर में एक-एक नए केंद्रीय विद्यालय खोलने की योजना बनाई है।

इस दिशा में जिला प्रशासन और केंद्रीय विद्यालय संगठन (केवीएस) संयुक्त रूप से प्रयास कर रहे हैं। जहां बिहारशरीफ में केंद्रीय विद्यालय के लिए महानंदपुर में भूमि उपलब्ध करा दी गई है। वहीं राजगीर में यह योजना अब तक अधर में लटकी हुई है। आखिर क्या है इसकी वजह? आइए, जानते हैं।

केंद्र सरकार और केवीएस ने राजगीर में नालंदा विश्वविद्यालय परिसर के भीतर केंद्रीय विद्यालय स्थापित करने की योजना बनाई थी। इसके लिए विश्वविद्यालय प्रशासन से भूमि उपलब्ध कराने का अनुरोध किया गया था।

प्रारंभिक योजना के तहत प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय के भग्नावशेषों के आसपास के क्षेत्र में विद्यालय खोलने पर विचार किया गया, ताकि स्थानीय और आसपास के विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का लाभ मिल सके।

हालांकि तकनीकी कारणों से यह संभव नहीं हो सका। अब नालंदा विश्वविद्यालय प्रशासन ने भी केवीएस को आवश्यक भूमि प्रदान करने में सकारात्मक जवाब नहीं दिया है, जिसके कारण यह योजना रुकी हुई है।

केंद्रीय विद्यालय संगठन पटना संभाग के उपायुक्त अनुराग भटनागर ने स्पष्ट किया है कि नालंदा में पहले से ही आयुध निर्माणी के तहत संचालित केंद्रीय विद्यालय का नाम केंद्रीय विद्यालय नालंदा है। नियमानुसार एक ही स्थान के नाम से दो केंद्रीय विद्यालयों की स्वीकृति संभव नहीं है।

यही वजह है कि संगठन ने नालंदा के बजाय राजगीर में नालंदा विश्वविद्यालय परिसर को विद्यालय के लिए उपयुक्त माना। लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा अब तक भूमि उपलब्ध नहीं कराई गई है, जिसके चलते परियोजना आगे नहीं बढ़ पा रही है।

स्थानीय निवासियों ने इस समस्या के समाधान के लिए वैकल्पिक सुझाव दिए हैं। लोगों ने उपायुक्त और जिला प्रशासन से आग्रह किया है कि नालंदा विश्वविद्यालय की चारदीवारी से सटे हेलीपैड के लिए अधिग्रहित सरकारी जमीन वर्तमान में परती पड़ी है। उसका उपयोग केंद्रीय विद्यालय की स्थापना के लिए किया जा सकता है।

यह क्षेत्र शैक्षणिक माहौल से जुड़ा हुआ है और विद्यालय के लिए उपयुक्त हो सकता है। स्थानीय लोगों का कहना है कि यदि विश्वविद्यालय परिसर के भीतर भूमि उपलब्ध नहीं हो पा रही है तो यह वैकल्पिक स्थान एक बेहतर विकल्प हो सकता है।

राजगीर और आसपास के क्षेत्रों में केंद्रीय विद्यालय की स्थापना को लेकर लोगों में खासा उत्साह है। केंद्रीय विद्यालय अपनी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, अनुशासित माहौल और राष्ट्रीय स्तर की पाठ्यचर्या के लिए जाने जाते हैं। स्थानीय अभिभावकों और छात्रों का मानना है कि राजगीर में केंद्रीय विद्यालय की स्थापना से न केवल शैक्षणिक स्तर में सुधार होगा, बल्कि क्षेत्र के बच्चों को बेहतर भविष्य के अवसर भी प्राप्त होंगे।

जिला प्रशासन और केंद्रीय विद्यालय संगठन इस मुद्दे पर लगातार विचार-विमर्श कर रहे हैं। स्थानीय लोगों के सुझावों को ध्यान में रखते हुए वैकल्पिक भूमि की तलाश जारी है। हालांकि नालंदा विश्वविद्यालय प्रशासन के सहयोग के बिना इस दिशा में तेजी लाना चुनौतीपूर्ण है।

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