Home तकनीक ACS सिद्धार्थ की पायलट प्रोजेक्ट टांय-टांय फिस्स, नहीं बना ऑनलाइन अटेंडेंस

ACS सिद्धार्थ की पायलट प्रोजेक्ट टांय-टांय फिस्स, नहीं बना ऑनलाइन अटेंडेंस

Pilot project failed, online attendance not made
ACS Siddharth's pilot project failed miserably, online attendance not made

बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। नालंदा जिले में पायलट प्रोजेक्ट के तहत चयनित स्कूलों में कक्षा तीन के बच्चों की ऑनलाइन अटेंडेंस दर्ज कराने की योजना पहले ही दिन टांय-टांय फिस्स हो गई। इस योजना के तहत जिले के पांच स्कूलों में तीसरी कक्षा के बच्चों की ऑनलाइन हाजिरी बननी थी। इसके लिए ई-शिक्षा कोष पर एक नया एप लॉन्च किया गया था। लेकिन पहले ही दिन यह एप चयनित स्कूलों में खुला ही नहीं।

इस योजना के तहत शिक्षकों और स्कूल प्रभारियों को टैबलेट दिए गए थे, जिनसे कक्षा तीन के बच्चों की उपस्थिति दर्ज करनी थी। लेकिन सुबह से कई बार प्रयास करने के बावजूद न तो एप खुला और न ही उपस्थिति दर्ज हो सकी। एप नहीं खुलने की सूचना मिलते ही टेक्निकल विंग को अवगत कराया गया। जिसके बाद एमआईएस से अधिकारी भी मौके पर पहुंचे, लेकिन वे भी एप को चालू नहीं कर सके।

इससे पहले प्रशिक्षण सत्र के दौरान भी यह एप सही तरीके से काम नहीं कर रहा था। प्रशिक्षण में शामिल शिक्षकों ने इस समस्या को अधिकारियों के समक्ष रखा था। लेकिन इसे नजरअंदाज कर दिया गया। आनन-फानन में सभी चयनित स्कूलों के प्रधानाध्यापकों को टैबलेट देकर ट्रेनिंग दे दी गई और उन्हें वापस भेज दिया गया।

यह समस्या सिर्फ एक स्कूल तक सीमित नहीं रही। मध्य विद्यालय धोबी बिगहा (अस्थावां), मध्य विद्यालय मुढारी (हरनौत), नव प्राथमिक विद्यालय करीमपुर (राजगीर) और प्राथमिक विद्यालय रूपसपुर (चंडी) में भी यही हाल रहा। इन स्कूलों में भी शिक्षकों ने कई बार एप खोलने की कोशिश की। लेकिन यह एक बार भी नहीं चला।

योजना के तहत कक्षा तीन के वर्ग शिक्षकों को चेतना सत्र के दौरान टैबलेट से प्रतिदिन आगे और पीछे की फोटो लेकर ई-शिक्षा कोष पोर्टल पर अपलोड करनी थी। लेकिन एप के न चलने के कारण यह प्रक्रिया भी नहीं हो सकी।

शिक्षकों और स्कूल प्रभारियों का कहना है कि यदि पहले से इसकी समुचित जांच और परीक्षण किया जाता तो यह समस्या सामने नहीं आती। बिना तैयारी के एप लॉन्च करने का नतीजा यह हुआ कि पायलट प्रोजेक्ट का पहला दिन पूरी तरह असफल रहा। अब देखना होगा कि इस तकनीकी खामी को दूर कर कब तक यह योजना सुचारू रूप से शुरू हो पाती है।

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