Home गाँव जेवार रोहिणी नक्षत्र के बाद मृगशिरा भी झुलसा रहा है तन बदन

रोहिणी नक्षत्र के बाद मृगशिरा भी झुलसा रहा है तन बदन

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नालंदा दर्पण डेस्क। नालंदा जिला मुख्यालय बिहारशरीफ का पारा 44 डिग्री पार पहुंच गया है। ग्रामीण इलोकों में यही आलम है। अगले दो दिन तक यह हाल बने रहने की संभावना है। दरअसल रोहण नक्षत्र समाप्त हो गया है। मृगशिरा नक्षत्र शुरू हो गया है। लेकिन गर्मी कमने का नाम नहीं ले रहा है। आसमान से आग के ओले बरस रहे हैं।

फिलहाल यहां अधिकतम तापमान 44 डिग्री तो न्यूनतम तापमान 31 डिग्री के बीच है। बुधवार तक मौसम में कोई परिवर्तन के आसार नहीं है। कड़ाके की धूप जारी रहेगी।

हालांकि बुधवार के बाद मौसम विभाग के पूर्वानुमान में आसमान में बादल छाने की संभावना जताई जा रही है, लेकिन अधिकतम तापमान 44 डिग्री से कम होने की उम्मीद नहीं है।

वहीं वायु आद्रता 39 से 41 फीसदी तक है, जिससे लोग पसीने से तरबतर हो रहे हैं। अभी करीब 10 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से उत्तर पूर्व की ओर से हवा चल रही है। बिहार मौसम विभाग के अनुसार रविवार तक बादल छाने और कहीं बूंदाबांदी होने के संकेत है।

हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि नालंदा में इसका असर होगा या नहीं। पूरे जिले में उष्ण लहर की स्थिति बनी हुई है और आगे भी इसके बने रहने की उम्मीद है। हीट वेव से फिलहाल राहत की उम्मीद नहीं दिख रही है।

लेकिन 13 जून के बाद आकाश में बादल छाने के बाद अधिकतम और न्यूनतम तापमान में कुछ कमी आने की उम्मीद है। इससे हीट वेव से भी लोगों को राहत मिलने की संभावना है।

मौसम विभाग ने राज्य के अधिकतम तापमान का जो समतापीय विश्लेषण किया है, उसमें नालंदा जिले में भी भीषण गर्मी की संभावना जताई गयी है। यानी कि अगले कुछ दिनों तक लोगों को गर्मी सताती रहेगी।

फिलहाल गर्मी आलम यह है कि सुबह से लेकर शाम तक सड़कें सुनी पड़ रही है। हालांकि सरकारी कार्यालय और बैंक आदि खुला रह रहा है लेकिन लोगों की मौजूदगी कम हो गया है।

पूरे दिन व्यवसायी भी ग्राहकों का इंतजार करते रहते है। देर शाम या फिर सूर्य ढलने के बाद हीं दुकानों में खरीदार पहुंच पाता है। इस भीषण गर्मी को लेकर कई दुकान और प्रतिष्ठान भी दिन में बंद होने लगे है।

गर्मी का आलम यह है कि बड़े बूढ़े और बच्चे लू के शिकार हो रहे है। चाहे सरकारी अस्पताल हो या निजी प्रतिदिन वहां लू और डायरिया से ग्रसित रोगियों की भीड़ लग रही है।

लोगों का कहना है कि बुखार इस तरह चढ़ रहा है कि पारासीटामोल का 650 एमजी की दवा भी बुखार कम नहीं कर पा रहा है। बच्चों की परेशानी तो कुछ और हीं अधिक है।

यहां आधिकारिक तौर पर भले हीं लू और गर्मी से मरने वालों की कोई सूची न हो, लेकिन सच तो यह है कि लू और गर्मी के शिकार कई बच्चें, बड़ों और वृद्धों की जान जा चुकी है।

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