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बिहार खेल विश्वविद्यालय राजगीर में रैगिंग निषेध दिवस का आयोजन

राजगीर (नालंदा दर्पण)। बिहार खेल विश्वविद्यालय राजगीर में पहली बार रैगिंग निषेध दिवस का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के निर्देशानुसार प्रतिवर्ष 12 अगस्त को मनाए जाने वाले इस विशेष दिवस के अंतर्गत आयोजित किया गया।

कार्यक्रम की शुरुआत विश्वविद्यालय के परीक्षा नियंत्रक सह संकायाध्यक्ष निशिकांत तिवारी की एक विस्तृत पावरपॉइंट प्रस्तुति के साथ हुई। उन्होंने रैगिंग की समस्या, इसके कानूनी प्रावधानों और रोकथाम के उपायों पर विस्तार से प्रकाश डाला।

तिवारी ने उपस्थित सभी छात्र-छात्राओं और शिक्षकों को संदेश दिया कि एक सुरक्षित, सम्मानजनक और रैगिंग-मुक्त वातावरण बनाए रखने के लिए सभी को जागरूक और प्रतिबद्ध होना चाहिए।

उन्होंने कहा कि रैगिंग न केवल एक अनुशासनहीनता है, बल्कि यह एक ऐसी प्रथा है जो छात्रों के आत्मविश्वास और शैक्षणिक विकास को गंभीर रूप से प्रभावित करती है।

इस अवसर पर दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय की प्रो. उषा तिवारी ने अपने विचार साझा किए।

उन्होंने रैगिंग को एक गंभीर सामाजिक और कानूनी अपराध करार देते हुए कहा कि रैगिंग विद्यार्थियों के मानसिक और शैक्षणिक विकास में बाधा उत्पन्न करती है। विश्वविद्यालय का वातावरण ऐसा होना चाहिए जहाँ प्रत्येक छात्र-छात्रा बिना किसी भय या दबाव के अपनी शिक्षा प्राप्त कर सके।

प्रो. तिवारी ने सभी विद्यार्थियों से आपसी सम्मान, भाईचारा और अनुशासन बनाए रखने का आग्रह किया। उन्होंने रैगिंग के किसी भी रूप का विरोध करने और इसके खिलाफ सक्रिय भूमिका निभाने का संकल्प लेने पर जोर दिया।

कार्यक्रम के दौरान यूजीसी की सिफारिशों के अनुरूप कई जागरूकता गतिविधियाँ आयोजित की गईं। इन गतिविधियों का उद्देश्य छात्रों में आपसी सौहार्द, सहयोग और अनुशासन की भावना को बढ़ावा देना था। इनमें पोस्टर प्रदर्शनी, नुक्कड़ नाटक और समूह चर्चाएँ शामिल थीं, जिन्होंने रैगिंग के दुष्प्रभावों को रचनात्मक तरीके से प्रस्तुत किया।

कार्यक्रम में डॉ. रवि कुमार सिंह, चंदन कुमार, डॉ. अजीत कुमार, परामर्शी रौशन कुमार, ब्रजेश कुमार पांडेय और प्रशाखा पदाधिकारी यश राज सहित कई प्राध्यापकों और अधिकारियों ने अपने विचार रखे।

उन्होंने रैगिंग को शिक्षा के माहौल के लिए एक गंभीर खतरा बताया और इसके खिलाफ कठोर कदम उठाने की आवश्यकता पर बल दिया। डॉ. रवि कुमार सिंह ने कहा कि हमें अपने परिसर को ऐसा बनाना है, जहाँ हर छात्र सुरक्षित महसूस करे और अपनी प्रतिभा को पूर्ण रूप से विकसित कर सके।

कार्यक्रम का समापन सभी प्रतिभागियों के एक सामूहिक संकल्प के साथ हुआ। सभी ने प्रतिज्ञा ली कि वे किसी भी रूप में रैगिंग को बर्दाश्त नहीं करेंगे और परिसर को पूरी तरह सुरक्षित, सकारात्मक और समावेशी बनाने में सक्रिय भूमिका निभाएंगे।

बहरहाल इस आयोजन ने न केवल रैगिंग के प्रति जागरूकता बढ़ाई, बल्कि बिहार खेल विश्वविद्यालय के छात्रों और कर्मचारियों में एकता और अनुशासन की भावना को भी प्रोत्साहित किया।

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