Home धर्म-कर्म नालंदा महोत्सव में कलाकारों ने नृत्य-संगीत की यादगार समां बांधा

नालंदा महोत्सव में कलाकारों ने नृत्य-संगीत की यादगार समां बांधा

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Artists created a memorable event of dance and music in Nalanda Mahotsav
Artists created a memorable event of dance and music in Nalanda Mahotsav

राजगीर (नालंदा दर्पण)। नव नालंदा महाविहार सम विश्वविद्यालय की स्थापना दिवस के अवसर पर नालंदा महोत्सव का भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किया गया। जिसने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।

इस रंगारंग कार्यक्रम का उद्घाटन कुलपति प्रो. सिद्धार्थ सिंह और डॉ. वंदना सिंह द्वारा दीप प्रज्वलन कर किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ भगवान गणेश की स्तुति से हुआ। इसके बाद कलाकारों ने एक से बढ़कर एक मनमोहक नृत्य और संगीत की प्रस्तुतियां दीं।

कार्यक्रम के मुख्य आकर्षण में अभिकल्पना कलावृक्षम समूह की सुदीपा घोष, ऋतयंती, मानसी, रितिका, पूजा भावना, कशिश, कोमल, काजल और जागृति की अद्भुत प्रस्तुतियां शामिल थीं।

सुदीपा घोष और ऋतयंती द्वारा प्रस्तुत भरतनाट्यम नृत्य ने सभी का मन मोह लिया। उन्होंने सूरदास के प्रसिद्ध भजन ‘हे गोविंद हे गोपाल’ के माध्यम से गजेंद्र मोक्ष की कथा को नृत्य के रूप में प्रस्तुत किया। जिसने दर्शकों को भक्ति और कला के अद्वितीय संगम का अनुभव कराया।

शास्त्रीय नृत्य की शृंखला में नचारी के भाव और राग मधुवंती में तिल्लाना की प्रस्तुति भी बेहद सराहनीय रही। इसके बाद बिहार की प्रसिद्ध लोकगायिका पद्मभूषण शारदा सिन्हा को नृत्यांजलि अर्पित करते हुए उनकी गीतमालिका के माध्यम से उन्हें श्रद्धांजलि दी गई। यह प्रस्तुति नृत्य और लोक संगीत के बीच एक गहरे सांस्कृतिक संबंध को दर्शाया।

कार्यक्रम के अंतिम भाग में महाकवि विद्यापति द्वारा रचित श्रृंगार रस प्रधान पदावली को प्रस्तुत किया गया। नख-शिख वर्णन, प्रथम दर्शन, नोंक-झोंक, विरह और भावोल्लास जैसे तत्वों को नृत्य के माध्यम से संजीवित किया गया। जिसने दर्शकों को भावनात्मक रूप से छू लिया।

समापन के अवसर पर कुलपति प्रो. सिद्धार्थ सिंह ने सभी कलाकारों को अंग वस्त्र और स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया। उन्होंने अपने संबोधन में युवाओं को संगीत और मंच कला से जुड़ने के लिए प्रेरित किया और कहा कि ऐसे कार्यक्रम साहित्य, संस्कृति और कला बोध को सुदृढ़ बनाने में सहायक होते हैं। उन्होंने संगीत को जटिल संदेशों को सरलता से जनमानस तक पहुंचाने का प्रभावी माध्यम बताया।

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