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जानें क्या है न्यू टीचर ट्रांसफर पॉलिसी, पटना हाई कोर्ट ने क्यों लगाई रोक

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Know what is the new teacher transfer policy, why Patna High Court imposed a ban
Know what is the new teacher transfer policy, why Patna High Court imposed a ban

नालंदा दर्पण डेस्क। पटना हाई कोर्ट ने बिहार सरकार की न्यू टीचर ट्रांसफर पॉलिसी पर फिलहाल रोक लगा दी है। इससे शिक्षकों में चिंता और असमंजस की स्थिति बन गई है। यह पॉलिसी शिक्षकों के तबादले की प्रक्रिया को सरल और पारदर्शी बनाने के लिए लाई गई थी। आइए जानते हैं इस पॉलिसी के मुख्य प्रावधान क्या थे और इसे क्यों लागू नहीं किया जा सका।

पति-पत्नी और बच्चों की बीमारी पर विशेष ध्यानः नई ट्रांसफर पॉलिसी के तहत अगर किसी शिक्षक के पति, पत्नी या बच्चों को असाध्य बीमारी होती है तो उन्हें उनके पंचायत के बगल में ही पोस्टिंग दी जाएगी। यह प्रावधान विशेष रूप से उन शिक्षकों के लिए लाभकारी है, जिनके परिवार में कोई सदस्य गंभीर बीमारी से जूझ रहा हो।

दिव्यांगता और मानसिक बीमारी पर राहतः अगर किसी शिक्षक के पति, पत्नी या बच्चे दिव्यांग हैं या फिर मानसिक बीमारी (ऑटिज्म) से ग्रसित हैं तो उन्हें भी बगल के पंचायत में पोस्टिंग दी जाएगी। यह पॉलिसी ऐसे शिक्षकों की सहायता के लिए बनाई गई थी, ताकि वे अपने परिवार की देखभाल कर सकें।

महिला शिक्षकों की संख्या पर सीमाः सरकार ने यह भी निर्णय लिया था कि किसी भी स्कूल में महिला शिक्षकों की संख्या अधिकतम 70 फीसदी ही होगी। इसका उद्देश्य शिक्षकों की संख्या में संतुलन बनाए रखना और शिक्षण संस्थानों में लैंगिक समानता को प्रोत्साहित करना था।

हर पांच साल में अनिवार्य ट्रांसफरः इस पॉलिसी में शिक्षकों का हर पांच साल पर ट्रांसफर अनिवार्य किया गया था। इसके साथ ही, च्वॉइस पोस्टिंग की प्रक्रिया में नियमित शिक्षकों को सबसे पहले प्राथमिकता दी जानी थी। इसके बाद सक्षमता और टीआरई पास शिक्षकों को वरीयता दी जाने की योजना थी।

सॉफ्टवेयर आधारित च्वॉइस पोस्टिंगः तबादला प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के लिए सॉफ्टवेयर आधारित ऑटो-जेनरेटेड फॉरमेट से च्वॉइस पोस्टिंग का प्रावधान किया गया था। इससे शिक्षकों को अपनी पसंदीदा जगहों पर पोस्टिंग मिलने में आसानी होती।

डीएम और कमिश्नर करेंगे ट्रांसफरः जिला स्तर पर तबादला करने का अधिकार डीएम और कमिश्नर को सौंपा गया था, जबकि राज्य स्तर पर शिक्षा विभाग इंटर-डिस्ट्रिक और इंटर-कमीश्ररी ट्रांसफर करेगा। इस प्रक्रिया में राज्य स्तरीय वरीयता को भी ध्यान में रखा गया था।

प्रतिनियुक्ति पर सख्तीः पॉलिसी में शिक्षकों की प्रतिनियुक्ति पर भी सख्ती बरती गई थी। इसे पूरी तरह से रोकने का प्रावधान था।  हालांकि अत्यधिक जरूरी होने पर तीन महीने तक की प्रतिनियुक्ति की जा सकती थी।

कोर्ट का हस्तक्षेप और भविष्य की राहः पटना हाई कोर्ट ने फिलहाल इस पॉलिसी के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी है। इसका कारण विभिन्न शिक्षकों द्वारा पॉलिसी के कुछ प्रावधानों को लेकर आपत्तियां और संभावित विसंगतियां बताई जा रही हैं। कोर्ट का यह फैसला आने वाले समय में इस पॉलिसी में संशोधन की संभावना को भी जन्म दे सकता है।

सरकार का उद्देश्य शिक्षकों के तबादले की प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी और सुविधाजनक बनाना था, लेकिन अब देखना यह होगा कि कोर्ट के अंतिम फैसले के बाद इस पॉलिसी मे कब किस कदर चेंज होता है।

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