हिलसा (नालंदा दर्पण)। बिहार पंचायती राज विभाग ने ग्रामीणों की सुविधा के लिए एक बड़ा और जनहितैषी कदम उठाया है। अब वंशावली प्रमाण पत्र बनवाने के लिए ग्रामीणों को अनुमंडल कार्यालय के बार-बार चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे। विभाग ने इस प्रक्रिया को सरल और सुगम बनाते हुए नियमों में महत्त्वपूर्ण बदलाव किया है।
अब तक वंशावली प्रमाण पत्र के लिए अनुमंडल पदाधिकारी (एसडीओ) या कार्यपालक दंडाधिकारी (ईओ) से प्रमाणित शपथ पत्र जमा करना अनिवार्य था, लेकिन अब नोटरी पब्लिक से प्रमाणित शपथ पत्र भी मान्य होगा।
पंचायती राज विभाग के सचिव मनोज कुमार ने सभी अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश जारी किए हैं कि शपथ पत्र एक वैधानिक दस्तावेज है और इसे एसडीओ, ईओ या नोटरी पब्लिक किसी भी माध्यम से प्रमाणित कराया जा सकता है। पंचायत सचिवों को आदेश दिया गया है कि वे दोनों तरह के शपथ पत्रों को समान रूप से स्वीकार करें।
इस बदलाव से ग्रामीणों को अनुमंडल कार्यालय में भागदौड़, छुट्टियों या अधिकारियों की अनुपस्थिति के कारण होने वाली देरी और अतिरिक्त खर्च से छुटकारा मिलेगा। अब ग्रामीण अपने नजदीकी नोटरी पब्लिक से शपथ पत्र बनवाकर सीधे पंचायत में आवेदन जमा कर सकते हैं।
वंशावली प्रमाण पत्र कई महत्त्वपूर्ण कार्यों जैसे- जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र में पारिवारिक संबंध दर्शाने के लिए, जमीन के म्यूटेशन या संपत्ति हस्तांतरण में, पारिवारिक पहचान और अन्य कानूनी दस्तावेजों के लिए के लिए आवश्यक होता है।
पहले पंचायत सचिव केवल एसडीओ या ईओ से प्रमाणित शपथ पत्र ही स्वीकार करते थे। इस कारण ग्रामीणों को लंबा इंतजार, छुट्टियों की अड़चन और प्रशासनिक जटिलताओं का सामना करना पड़ता था। कई बार दूर-दराज के गांवों से अनुमंडल कार्यालय तक पहुंचना ग्रामीणों के लिए समय और धन दोनों की बर्बादी का कारण बनता था।
नए नियमों के लागू होने से ग्रामीणों को न केवल समय और धन की बचत होगी, बल्कि पंचायत स्तर पर कार्यप्रणाली में भी तेजी आएगी। यह बदलाव पंचायतों को अधिक सक्षम, उत्तरदायी और जनहितैषी बनाने में मदद करेगा। ग्राम प्रशासन की पारदर्शिता और विश्वसनीयता बढ़ेगी, जिससे ग्रामीणों का भरोसा भी मजबूत होगा।
स्थानीय निवासी रामप्रसाद यादव ने इस बदलाव का स्वागत करते हुए कहा कि पहले वंशावली प्रमाण पत्र बनवाने के लिए कई बार अनुमंडल कार्यालय जाना पड़ता था। अब नोटरी से शपथ पत्र बनवाकर पंचायत में ही काम हो जाएगा। यह हमारे लिए बहुत बड़ी राहत है।
पंचायती राज विभाग का यह निर्णय ग्रामीण प्रशासन को और अधिक लोक-केंद्रित बनाने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह के सुधार न केवल ग्रामीणों की परेशानियों को कम करेंगे, बल्कि पंचायतों को सशक्त बनाकर स्थानीय स्तर पर विकास को भी गति देंगे।
