“इस पूरे प्रकरण ने न केवल शिक्षा विभाग के भीतर के भ्रष्टाचार (Big scam) को उजागर किया है, बल्कि यह भी दिखाया है कि सरकारी अधिकारी अपनी जिम्मेदारियों से कैसे खिलवाड़ कर रहे हैं। अब विभागीय कार्यवाही में आगे क्या खुलासे होते हैं और दोषियों को क्या सजा मिलती है, ये देखने वाली बात है…
बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। बिहार शिक्षा विभाग में एक बड़ा घोटाला (Big scam) उजागर हुआ है। समस्तीपुर जिला के विभूतिपुर प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी (BEO) कृष्णदेव महतो की भूमिका पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।
आरोप है कि श्री महतो ने प्रधानाध्यापकों की मिलीभगत से आठ फर्जी BPSC शिक्षकों का योगदान कराया। इस मामले की जांच में गंभीर अनियमितताएं पाई गईं। जिसके बाद शिक्षा विभाग ने कठोर कदम उठाते हुए उन्हें निलंबित कर दिया।
शिक्षा निदेशक (प्राथमिक शिक्षा) पंकज कुमार को जब इस फर्जीवाड़े की जानकारी मिली तो उन्होंने तत्काल इसकी जांच कराई। जांच रिपोर्ट में पाया गया कि कृष्णदेव महतो ने नियमों की अनदेखी करते हुए आठ फर्जी शिक्षकों को स्कूलों में योगदान दिलाया। इस घोटाले में कुछ प्रधानाध्यापकों की भी संलिप्तता सामने आई है।
निदेशक पंकज कुमार ने इसे गंभीर प्रकृति का मामला मानते हुए कृष्णदेव महतो को बिहार सरकारी सेवक (वर्गीकरण, नियंत्रण एवं अपील) नियमावली, 2005 के तहत तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया।
- निलंबन अवधि में श्री महतो का मुख्यालय जिला शिक्षा पदाधिकारी, दरभंगा कार्यालय तय किया गया है।
- उन्हें जीवन निर्वाह भत्ता का भुगतान जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (स्थापना) दरभंगा के माध्यम से किया जाएगा।
- उनके खिलाफ विभागीय कार्यवाही भी शुरू कर दी गई है।
इस घटना ने बिहार की शिक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। यह मामला दर्शाता है कि किस तरह भ्रष्टाचार और मिलीभगत से योग्य उम्मीदवारों के अधिकारों का हनन होता है। शिक्षा विभाग अब फर्जी शिक्षकों के खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई की तैयारी कर रहा है।
शिक्षा विभाग ने इस मामले को उदाहरण बनाकर भ्रष्टाचार पर रोक लगाने का संदेश दिया है। इसके साथ ही यह भी तय किया गया है कि भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए सभी योगदान प्रक्रियाओं को और पारदर्शी बनाया जाएगा।
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