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Bihar Assembly Election: प्रशांत किशोर स्कूल बैग तो मुकेश सहनी नाव पाकर गदगद!

बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Election) की सरगर्मी के बीच भारत निर्वाचन आयोग ने आठ राजनीतिक दलों को उनके चुनाव चिह्न (सिंबल) आवंटित कर दिए हैं, जिससे इन दलों के प्रत्याशी अब अपने-अपने सिंबल के साथ चुनावी मैदान में उतर सकेंगे। यह सिंबल बिहार की सभी 243 विधानसभा सीटों के लिए मान्य होंगे और कोई अन्य दल इन सिंबलों का उपयोग नहीं कर सकेगा। इस आवंटन ने राजनीतिक दलों में उत्साह का संचार किया है। खासकर जन सुराज के प्रशांत किशोर और विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के मुकेश सहनी के समर्थकों में।

निर्वाचन आयोग द्वारा जारी सूची के अनुसार जिन राजनीतिक दलों को उनके चुनाव चिह्न आवंटित किए गए हैं, उनमें राष्ट्रीय लोक मोर्चा (रालोमा): गैस सिलिंडर, जन सुराज: स्कूल बैग, विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी): नाविक के साथ पाल वाली नौका , भारतीय सार्थक पार्टी: कैंची, लोहिया जनता दल: बाल्टी, जनसहमति पार्टी: लेडी पर्स, भारतीय जनता समाजसेवी: बांसुरी और राष्ट्रीय समाजवादी लोक अधिकार पार्टी: रिंग शामिल हैं।

चुनाव चिह्नों के आवंटन के बाद जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर और वीआईपी के नेता मुकेश सहनी के समर्थकों में खासा उत्साह देखा जा रहा है। प्रशांत किशोर की जन सुराज को स्कूल बैग का सिंबल मिला है, जो शिक्षा और जागरूकता का प्रतीक माना जा रहा है। पार्टी के समर्थकों का कहना है कि यह सिंबल उनकी विचारधारा को दर्शाता है, जो बिहार में शिक्षा और विकास को प्राथमिकता देती है।

वहीं मुकेश सहनी की वीआईपी को नाविक के साथ पाल वाली नौका का सिंबल आवंटित हुआ है। यह सिंबल निषाद समुदाय के लिए खास महत्व रखता है, जो सहनी का मुख्य समर्थक वर्ग है। नाव का प्रतीक निषाद समुदाय की नदी-नाव आधारित आजीविका और संस्कृति से गहरा जुड़ाव दर्शाता है। सहनी ने इसे अपने समुदाय की पहचान और ताकत का प्रतीक बताया है।

चुनाव चिह्न किसी भी राजनीतिक दल की पहचान होते हैं और मतदाताओं के बीच उनकी ब्रांडिंग में अहम भूमिका निभाते हैं। खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में जहां मतदाता अक्सर सिंबल के आधार पर वोटिंग करते हैं, यह आवंटन दलों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। निर्वाचन आयोग का यह कदम यह सुनिश्चित करता है कि किसी भी दल के सिंबल पर दूसरा दल दावा नहीं कर सकेगा, जिससे मतदाताओं में भ्रम की स्थिति उत्पन्न न हो।

बिहार विधानसभा चुनाव में इस बार कई नए और छोटे दल अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। रालोमा के गैस सिलिंडर और जनसहमति पार्टी के लेडी पर्स जैसे अनूठे सिंबल मतदाताओं का ध्यान आकर्षित करने में अहम भूमिका निभा सकते हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि ये सिंबल दलों को अपनी पहचान स्थापित करने में मदद करेंगे। खासकर उन क्षेत्रों में जहां उनकी मौजूदगी अभी कमजोर है।

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