बिहारशरीफ नहीं दिख रहा स्मार्ट, सीवरेज तक के सपने पड़े अधूरे
भरावपर फ्लाईओवर के अधूरे निर्माण से सबसे ज्यादा प्रभावित हैं वहां के दुकानदार। निर्माण के कारण व्यापार पर बुरा असर पड़ा है और पैदल चलने से लेकर वाहन चलाने तक सब कुछ मुश्किल हो गया है। यह स्थिति लगातार दो वर्षों से बनी हुई है...

बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। बिहारशरीफ को स्मार्ट सिटी बनाने की महत्वाकांक्षी योजना अब अपने ही बोझ तले दबती नजर आ रही है। दो बार डेडलाइन मिलने के बावजूद सीवरेज सिस्टम से लेकर फ्लाईओवर और सड़क निर्माण जैसे महत्वपूर्ण कार्य अबतक अधूरे हैं। प्रशासनिक आश्वासन और निरीक्षण के बावजूद ज़मीन पर स्थिति जस की तस बनी हुई है।
स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत शहर में कई आधारभूत ढांचे तैयार किए जाने थे, जिनमें भरावपर फ्लाईओवर, सीवरेज नेटवर्क, नाला निर्माण और सड़क सुधार प्रमुख हैं। लेकिन दो वर्षों के बाद भी ये परियोजनाएं पूरी नहीं हो सकीं। विशेषकर भरावपर फ्लाईओवर, जिसकी लंबाई 1.5 किलोमीटर और चौड़ाई 8.9 मीटर है, उसका निर्माण बेहद धीमी गति से चल रहा है।
लगभग 73 करोड़ रुपये की लागत वाली इस परियोजना में 171 गार्डर में से 160 गार्डर लगाए जा चुके हैं, लेकिन निर्माण की सुस्ती ने लोगों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है। दो बार डेडलाइन पार होने के बाद अब कहा जा रहा है कि यह कार्य 29 जून तक पूरा कर लिया जाएगा।
शहर को स्वच्छ और सुविधाजनक बनाने के लिए बिछाई जा रही सीवरेज पाइपलाइनें और बन रहे नाले भी अधूरे छोड़ दिए गए हैं। नतीजा यह है कि कई मोहल्लों में गंदा पानी खुले में बह रहा है। जहां सीवरेज पाइप बिछाई गई है, वहां भी घरों को इनसे जोड़ा नहीं गया है, जिससे लोगों को रोजाना गंदगी और बदबू से जूझना पड़ रहा है।
भरावपर फ्लाईओवर के अधूरे निर्माण से सबसे ज्यादा प्रभावित हैं वहां के दुकानदार। निर्माण के कारण व्यापार पर बुरा असर पड़ा है और पैदल चलने से लेकर वाहन चलाने तक सब कुछ मुश्किल हो गया है। यह स्थिति लगातार दो वर्षों से बनी हुई है, जिससे लोगों में नाराजगी गहराती जा रही है।
स्मार्ट सिटी परियोजना के प्रबंध निदेशक एवं नगर आयुक्त दीपक कुमार मिश्रा ने कई बार स्थल निरीक्षण कर अधिकारियों को निर्देश दिए कि कार्य समय पर पूरा हो। लेकिन निर्देशों का जमीन पर असर न के बराबर दिख रहा है।
बिहारशरीफ स्मार्ट सिटी का सपना अब तक सिर्फ कागजों और घोषणाओं में ही नजर आता है। अधूरी परियोजनाएं शहर के विकास को नहीं, बल्कि अव्यवस्था को बढ़ावा दे रही हैं। जनता अब तीसरी डेडलाइन की ओर उम्मीद लगाए बैठी है- शायद इस बार स्मार्ट सिटी का सपना हकीकत बन जाए।









