बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। बिहार के सभी प्रखंडों के सरकारी स्कूलों में निजी एजेंसियों के माध्यम से दो-दो प्रखंड साधन सेवी (बीआरपी) की बहाली की गई है। इस बहाली प्रक्रिया में भारी अनियमितता बरती गई है।
बताया जाता है कि बीआरपी पद के लिए वांछित योग्यता स्नातक ग्रेड शिक्षक के पद पर न्यूनतम 5 साल का कार्यानुभव है। लेकिन इसकी अनदेखी करते हुए अयोग्य अभ्यर्थियों को एजेंसी के द्वारा जिला कार्यक्रम पदाधिकारियों की मिलीभगत से बहाल कर दिया गया।
दरअसल प्रखंड साधन सेवियों का काम विद्यालय में पठन-पाठन का निरीक्षण करना एवं शिक्षकों को पढ़ाने में आ रही दिक्कतों का निराकरण करना होता है। इसके लिए पहले कार्यरत शिक्षकों में से ही योग्य एवं अनुभवी शिक्षकों का बीआरपी के पद पर चयन किया जाता था।
परंतु वर्तमान में पुरानी व्यवस्था को बदल कर निजी एजेंसियों के माध्यम से 5 वर्ष कार्यानुभव रखने वाले स्नातक ग्रेड शिक्षकों को बीआरपी के पद पर नियुक्त करना था। लेकिन इसमें भारी अनियमितता हुई है।
जिसकी शिकायत विद्यालय अध्यापक संघ ने विभागीय नियंत्री पदाधिकारी से की है और चेतावनी दी है कि विभाग यदि ठोस निर्णय नहीं लेता है तो संघ हाईकोर्ट में याचिका करने को बाध्य होगा।
वहीं जिला शिक्षा विभाग का कहना है कि शिक्षा विभाग के आउटसोर्सिंग एजेंसी के जरिए कराई गई भर्ती जिला सहित राज्य में जितने भी प्रखंड साधन सेवी की भर्ती हुई है वो आउटसोर्सिंग एजेंसी द्वारा की गई है। इन आउटसोर्सिंग एजेंसी का चयन भी राज्य स्तर से किया गया है। इनकी नियुक्ति में जिला शिक्षा विभाग कि कोई भूमिका नहीं है।
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