डाटा ऑपरेटरों की हड़ताल से नालंदा में हाहाकार, जरूरी सेवाएं ठप

बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। नालंदा जिले में डाटा एंट्री ऑपरेटरों की अनिश्चितकालीन हड़ताल ने आम जनजीवन को बुरी तरह प्रभावित किया है। 17 जुलाई 2025 से शुरू हुई यह हड़ताल, राज्यस्तरीय डाटा एंट्री ऑपरेटर एकता मंच के आह्वान पर हो रही है, जिसमें नालंदा समेत पूरे बिहार के ऑपरेटर शामिल हैं।
इस हड़ताल से सांख्यिकी विभाग का कार्य सबसे अधिक प्रभावित हुआ है और ड्राइविंग लाइसेंस, जाति, आय, निवास, जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र और भूमि रजिस्ट्री जैसी आवश्यक सेवाएं ठप हो गई हैं। हजारों लोग, जो इन सेवाओं पर निर्भर हैं, उन्हें परेशानियों का सामना कर रहे हैं।
नालंदा जिले में रोजाना हजारों लोग सरकारी कार्यालयों में प्रमाण पत्र और अन्य सेवाओं के लिए पहुंचते हैं। लेकिन हड़ताल के कारण कार्यालयों में कामकाज ठप है। सांख्यिकी विभाग, जो जिले के महत्वपूर्ण डेटा संग्रह और प्रबंधन का कार्य करता है, पूरी तरह प्रभावित है।
एक स्थानीय निवासी ने बताया कि वह पिछले तीन दिनों से जन्म प्रमाण पत्र बनवाने के लिए कार्यालय के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही। इसी तरह भूमि रजिस्ट्री में देरी से कई लोग आर्थिक नुकसान झेल रहे हैं।
हड़ताली डाटा एंट्री ऑपरेटर 11 सूत्री मांगों को लेकर सरकार से आर-पार की लड़ाई के मूड में हैं। उनकी प्रमुख मांगें स्थायी नियुक्ति, वेतन पुनरीक्षण , भत्ते और सेवा वापसी , सेवानिवृत्ति लाभ आदि हैं।
ऑपरेटरों का आरोप है कि उनकी मांगें वर्षों से लंबित हैं और सरकार ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया। राज्यस्तरीय डाटा एंट्री ऑपरेटर एकता मंच के कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष मुकेश शर्मा ने कहा कि हमारा संघर्ष अपने अधिकारों के लिए है। जब तक सरकार सभी मांगों पर निर्णय नहीं लेती, हड़ताल वापस नहीं होगी।
मंगलवार की शाम सरकार और हड़ताली ऑपरेटरों के बीच बातचीत की कोशिश हुई। एक शिष्टमंडल, जिसमें मुकेश शर्मा (कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष), रघुनंदन कुमार (महासचिव) और दीपक कुमार शामिल थे, नीतीश कुमार झा के नेतृत्व में एडीएम के साथ सूचना एवं प्रौद्योगिकी विभाग पहुंचा।
शिष्टमंडल ने उप सचिव को मांगपत्र सौंपा और अपनी मांगों को विस्तार से रखा। विभाग ने संचिका आगे बढ़ाने और हड़ताल खत्म करने की बात कही, लेकिन ऑपरेटरों ने साफ कर दिया कि मांगें पूरी होने तक हड़ताल जारी रहेगी।
बहरहहाल, हड़ताल के कारण नालंदा के लोग परेशान हैं और सरकारी सेवाओं का ठप होना चिंता का विषय बन गया है। अगर जल्द ही कोई समाधान नहीं निकला तो स्थिति और गंभीर हो सकती है। स्थानीय प्रशासन और सरकार पर दबाव बढ़ रहा है कि वह ऑपरेटरों की मांगों पर विचार करे और जनता की परेशानियों को कम करे।









