राजगीर (नालंदा दर्पण)। ऐतिहासिक धरोहर और प्राचीन शिक्षा की पवित्र भूमि नालंदा खंडहर जाने वाली सड़क पर स्थित ‘नालंदा मोड़’ पर बेशकीमती लाल पत्थरों से निर्मित नालंदा द्वारा (गेट) अपनी चमक खोने के कगार पर है। स्थानीय प्रशासन द्वारा सौंदर्यकरण के नाम पर इन ऐतिहासिक पत्थरों की पेंटिंग कराई जा रही है, जिससे इसकी मूल लालिमा और गरिमा खतरे में पड़ गई है।
विशेषज्ञों और स्थानीय नागरिकों का कहना है कि इन लाल पत्थरों की सफाई और संरक्षण का काम घिसाई और पॉलिश के माध्यम से किया जाना चाहिए था। ताकि उनकी प्राकृतिक सुंदरता बनी रहे। लेकिन इसके बजाय प्रशासन ने मनमाने ढंग से इनकी पुताई करवा दी है। इससे पत्थरों की ऐतिहासिक पहचान धुंधली नजर आ रही है।
स्थानीय लोगों ने प्रशासन से अपील की है कि वह इस अनमोल धरोहर का उचित संरक्षण सुनिश्चित करे और पेंटिंग की बजाय पत्थरों की सफाई व पॉलिश की प्रक्रिया अपनाए। क्योंकि लाल पत्थर न केवल इस स्थान की ऐतिहासिक पहचान हैं, बल्कि यह क्षेत्र की सांस्कृतिक धरोहर का महत्वपूर्ण हिस्सा भी हैं।
नालंदा विश्वविद्यालय के इतिहासकार और पुरातत्वविदों ने भी इस कदम पर चिंता जताई है और इसे जल्द सुधारने की आवश्यकता बताई है उन्होंने उनकी प्राकृतिक सुंदरता को खत्म करना न केवल पर्यटन के दृष्टिकोण से हानिकारक है, बल्कि इतिहास के प्रति भी एक लापरवाहीपूर्ण दृष्टिकोण बताया है।
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