
बेन (रामावतार)। बेन प्रखंड क्षेत्र में धान की फसल तैयार हो चुका है और कटाई जारी है। लेकिन उपज से बहुत अधिक लाभ होने की आशा नहीं है। यहां खेती लायक जमीन में से अधिकांश खेत बटाईदारों अथवा इन्हें ठेका पर लेकर खेती करने वाले लोगों द्वारा जोते जाते हैं। इसके एवज में छोटे किसान जमीन मालिकों को सालाना निर्धारित अनाज या फिर राशि देते हैं। इस समय ऐसे किसानों के सामने अपनी उपज को बेचने को लेकर बड़ी समस्या आ खड़ी हुई है, क्योंकि इस समय उनकी उपज के अच्छे मूल्य उन्हें नहीं मिल पा रहे हैं।
सरकारी स्तर पर अभी धान की शुरु नहीं हुई है। चुनावी वर्ष होने की वजह से इसमें अभी और भी देर होने की आशंका है। धान खरीद में अब भी महीनों का समय लग सकता है। किसानों का मानना है कि सरकारी स्तर पर धान खरीद शुरु होने में अभी लंबा समय लग सकता है। ऐसे में किसानों के सामने धान के भंडारण को लेकर बड़ी समस्या है। बड़े किसान तो किसी तरह अपनी उपज को दो-तीन महीने के लिए भंडारित कर सकते हैं, लेकिन छोटे किसान इस स्थिति में नहीं हैं। लिहाजा अपनी उपज को तत्काल बेचना उनकी मजबूरी है।
ऐसी हालत में उन्हें धान का मुनासिब मूल्य मिलना कठिन है। किसानों ने बताया कि स्थानीय व्यापारी अभी धान की खरीदारी 21 सौ रुपए प्रति क्विंटल की दर पर खरीददारी कर रहे हैं। जबकि जानकार किसानों का मानना है कि ऐसे धान के लिए सरकारी मूल्य 23 सौ 69 रुपए प्रति क्विंटल के आसपास होने की उम्मीद है।
प्रखंड क्षेत्र के किसान अरविन्द प्रसाद, संतोष कुमार, विजेन्द्र सिंह, राजेश कुमार, लखन यादव, सुरेश यादव, मिथलेश प्रसाद कहते हैं कि हम सरकारी खरीद की आशा में कब तक रुक सकते हैं। इसलिए अपनी धान बेचने को विवश हैं। किसानों ने यह भी कहा कि व्यापारी औने-पौने दाम में उनकी उपज खरीद कर इसे ज्यादा दाम पर किसानों के हीं नाम से सरकारी एजेन्सी को बेच कर चांदी काट लेते हैं।
इधर कई किसानों ने यह भी कहा कि सरकार द्वारा भले हीं किसानों की बेहतरी व आमदनी दोगुनी करने की बात कही जाती है। लेकिन इन बड़े बड़े दावों के बीच बेन प्रखंड के किसानों की स्थिति दिन प्रतिदिन सुधरने की बजाय बिगड़ती हीं जा रही है। इसका मुख्य कारण है किसानों को उनके उपज का वाजिब दाम नहीं मिल पाना। टैक्सों में धान खरीद नहीं होने से किसानों को औने-पौने दामों में बेचने की विवशता है।
वहीं किसानों ने यह भी कहा कि इन दिनों शादी विवाह का भी सीजन है और रबी फसल की बुआई के लिए किसानों को खाद बीज की सख्त जरूरत है। जिसे पूरा करने के लिए किसानों को औने-पौने मूल्य पर व्यापारियों के हाथों धान बेचना पड़ रहा है।









