बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। इन दिनों पूरे नालंदा जिले में इंसान, जानवर के साथ जल-जीवन-हरियाली अभियान भी हीटवेव की चपेट (Heatwave effect) में झुलस रहा है। बीते 9 जून को पर्यावरण दिवस के मौके पर चालू वर्ष में जल-जीवन-हरियाली अभियान की शुरूआत की गयी। लेकिन अत्याधिक गर्मी को देखते हुए लगभग सभी प्रखंडों में प्लांटेशन कार्य ठप है।
हालांकि अब तक जिले में तय लक्ष्य से अधिक पौधारोपन होते रहा है। सिर्फ वर्ष 2021 में लक्ष्य से कम पौधारोपन हुआ था। वर्ष 2019 में बिहार सरकार ने अधिक से अधिक पौधारोपन और पर्यावरण बचाव के लिए जल जीवन हरियाली अभियान शुरू किया था। तब से यहां हर साल तय लक्ष्य से अधिक पौधारोपन होते रहा है, लेकिन इस साल स्थिति विकट दिख रही है।
वर्ष 2020 से गत वर्ष तक जल जीवन हरियाली अभियान के तहत नदी, पोखर, आहर, पइन, तालाब, निजी खेत-पोखरी और सड़क किनारे के 18 लाख 50 हजार पौधे लगाये गये हैं, जिनमें औसतन 60 फीसदी से अधिक पौधे बर्बाद हो गये हैं, जो बचे हुए हैं, उन्हें वर्तमान में जीवित रखना विभाग के समक्ष चुनौती हैं।
हालांकि सूत्र बताते हैं कि वर्ष 2019 से बिहार सरकार जल जीवन हरियाली अभियान शुरू किया है, जिसके तहत लगाये गये पौधों में जीवित पौधों की सही सहीं आंकड़ा नहीं है। मनरेगा के अतिरिक्त वन विभाग, आत्मा व कृषि विभाग, उद्यान विभाग, बागवानी मिशन आदि के भी अलग-अलग योजना से प्रति वर्ष हजारों पौधारोपन कराये जाते हैं। अधिकांश क्षेत्रों में पानी के अभाव और अत्याधिक गर्मी से मनरेगा के लगाये पौधे झुलसने लगे हैं।
आमतौर पर मनरेगा योजना से प्रति पौधा की सुरक्षा पर एक साल में पांच सौ से अधिक राशि खर्च किये जाते हैं। नर्सरी, खाद, कीटनाशक अतिरिक्त खर्च होता है। अधिकांश क्षेत्रों में किसान अपनी रबी फसल के अवशेष में आग लगाने के कारण आस-पास के पौधे जलकर बर्बाद हो गये हैं। मनरेगा योजना से लगाये गये पौधों को पांच साल तक सुरक्षा व पटवन की व्यवस्था होती है, जिसके लिए प्रति दो सौ पौधों पर एक वनपोषक की नियुक्ति होती है।
फिलहाल वर्ष 2024-25 के जल जीवन हरियाली अभियान के लिए पांच लाख 82 हजार पौधरोपन का लक्ष्य तय किया गया है। जिसका सरकारी स्तर पर नौ जून पर्यावरण दिवस से शुरुआत भी कर दिया गया है।
ग्रामीण अभिकरण विभाग की ओर से निजी जमीन पर पौधारोपण करने के इच्छुक किसानों को मनपसंद किस्म के पौधे भी उपलब्ध कराये जा रहे हैं। साथ ही दो सौ पौधे लगाने और उसकी देखरेख करने वाले किसानों को अगले पांच वर्षों के लिए विभाग 1960 रुपये मासिक सहयोग राशि भी दे रही है। फिर भी अत्याधिक गर्मी को देखते हुए किसान पौधा लेने में रुचि नहीं दिखा रहे हैं।
फिलहाल जिला प्रशासन का मानना है कि फलदार वृक्ष लगाने से किसानों की आमदनी बढ़ेगी। इसलिए जल-जीवन- हरियाली अभियान के तहत आम, अमरूद्ध, जामुन, कटहल, शरीफा लगाये जा रहे हैं। किसानों के द्वारा महोगनी व सागवान जैसे इमारती लकड़ी वाले पौधे भी लगाए जाते हैं।
जिला मनरेगा कार्यक्रम पदाधिकारी प्रवीण कुमार कहते हैं कि जिले के सभी पंचायत रोजगार सेवकों को बरसात के पूर्व पौधारोपण की तैयारी करने का निर्देश दिया गया है। इस वर्ष अत्याधिक गर्मी होने के कारण नौ जून से पौधारोपन का विधिवत शुरुआत कर बरसात होने तक कार्यक्रम को बंद कर दिया गया है।
उम्मीद है कि जुलाई से पौधारोपण का काम शुरू कर लिया जायेगा। फिलहाल पूर्व में जल जीवन हरियाली योजना से लगाये गये पौधा को जीवित रखने के लिए पटवन की समुचित व्यवस्था पर जोर दिया जा रहा है।
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