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बिहार सरकार का ऐतिहासिक फैसला: अब ‘बदलैन’ को मिलेगी कानूनी मान्यता

बिहार सरकार का यह फैसला राज्य के लाखों किसानों के लिए एक आर्थिक और कानूनी सशक्तिकरण की दिशा में मील का पत्थर साबित हो सकता है। पारंपरिक प्रथाओं को कानूनी जामा पहनाने से न केवल जमीन संबंधी विवाद कम होंगे, बल्कि कृषि अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी...

बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। किसानों के हित में एक बड़ी राहत देते हुए बिहार सरकार ने एक ऐतिहासिक निर्णय लिया है। अब पारंपरिक ‘बदलैन’ प्रक्रिया, जिसमें किसान आपसी सहमति से जमीन का आदान-प्रदान करते हैं, उसे कानूनी दर्जा मिलेगा। इससे न केवल हजारों किसानों को भूमि स्वामित्व मिलेगा, बल्कि वे अब अपनी जमीन को बैंकों में गिरवी रखकर ऋण भी ले सकेंगे।

यह आदेश हाल ही में अधिसूचित बिहार विशेष सर्वेक्षण एवं बंदोबस्त (संशोधन) नियमावली, 2025 के तहत जारी किया गया है। सरकार के इस निर्णय से जमीन के पुराने विवादों का समाधान आसान होगा और किसानों की आय में वृद्धि के रास्ते खुलेंगे।

क्या है बदलैन? ‘बदलैन’ बिहार के ग्रामीण इलाकों में प्रचलित एक पारंपरिक पद्धति है, जिसमें दो या दो से अधिक किसान आपसी सहमति से अपनी जमीन का विनिमय करते हैं। आमतौर पर यह प्रक्रिया मौखिक समझौतों के आधार पर होती थी। इसकी कोई कानूनी मान्यता नहीं होने के कारण जमीन को बेचना, नाम कराना या ऋण के लिए उपयोग करना असंभव था।

नया क्या है नियम में? नए संशोधन के अनुसार यदि दो किसान आपसी सहमति से जमीन बदलते हैं और यह सहमति लिखित रूप में दी जाती है, तो अब यह प्रक्रिया कानूनी मान्यता प्राप्त करेगी। इसके बाद संबंधित जमीन को भूमि स्वामित्व रजिस्ट्री में दर्ज किया जाएगा और उस पर स्वामित्व खाता खोला जाएगा।

क्या होंगे लाभ? किसान अब अपनी ‘बदलैन’ वाली जमीन को बैंक में गिरवी रखकर लोन ले सकेंगे। जमीन को कानूनी रूप से बेचना और स्थानांतरित करना संभव होगा। पुराने विवादों को कानूनी ढंग से हल किया जा सकेगा। ग्रामीण क्षेत्रों में भूमि पंजीकरण की प्रक्रिया पारदर्शी और सुगम होगी।

किसानों की प्रतिक्रियाः बभिनयावां गांव के किसान अर्जुन प्रसाद ने सरकार के इस कदम की सराहना करते हुए कहा, “पहले लोग फीस और सरकारी पंजीकरण की झंझट से बचने के लिए सिर्फ मौखिक रूप से जमीन बदल लेते थे। इससे कई बार विवाद भी हो जाते थे। अब सरकार ने इसे कानूनी दर्जा देकर हम किसानों को बड़ी राहत दी है।”

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