इंटरनेशनल हथियार तस्करी रैकेट का पर्दाफाश, मुंबई से नालंदा तक फैला था नेटवर्क
क्योंकि यह मामला सिर्फ एक अपराधी की गिरफ्तारी नहीं, बल्कि उस सड़ांध की ओर इशारा करता है, जहां राजनीति और अपराध के गठजोड़ से कानून बौना साबित होता दिखता है...


बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। नालंदा जिले में एक बड़े इंटरनेशनल हथियार तस्करी गिरोह का पर्दाफाश हुआ है। पुलिस ने कुख्यात अपराधी अकबर मलिक को धर दबोचा है। उसके पास से मेड इन इंग्लैंड और मेड इन ताइवान पिस्तौलें, भारी मात्रा में जिंदा कारतूस और कई आपत्तिजनक दस्तावेज़ बरामद हुए हैं। अकबर मलिक कोई आम अपराधी नहीं, बल्कि खुद को ‘किंग’ कहलवाने वाला वह चेहरा है, जिसकी दहशत नालंदा से लेकर पटना तक फैली हुई थी।
करीब 15 साल पहले अकबर ने अपराध की दुनिया में कदम मुंबई से रखा था। कुर्ला वेस्ट में रहते हुए उसने मलाड इलाके में फर्जी दस्तावेज़ बनाने का अड्डा खोला। वहां वह ड्राइविंग लाइसेंस, पासपोर्ट और अन्य पहचान पत्र नकली बनाता था। इस नेटवर्क का इस्तेमाल वह लोगों को विदेश भेजने जैसे गैरकानूनी कामों में करता था।
2012 में जब मलाड पुलिस को उसके कारनामों की भनक लगी तो उस पर केस दर्ज हुआ, लेकिन गिरफ्तारी से पहले ही वह फरार होकर अपने गृह जिले नालंदा लौट आया और यहीं से अपने आपराधिक नेटवर्क को विस्तार देने लगा।
अकबर मलिक तीन भाइयों में सबसे छोटा है, जबकि उसका बड़ा भाई बाबर मलिक जेडीयू का सक्रिय कार्यकर्ता और वार्ड संख्या 29 से पूर्व पार्षद रह चुका है। बाबर की राजनीतिक पकड़ ने अकबर को स्थानीय प्रशासन और पुलिस महकमे में गहरी पैठ बनाने में मदद की। यही वजह थी कि उस पर दर्ज कई गंभीर मामलों के बावजूद वह कानून की पकड़ से बाहर रहा।
30 मार्च को पटना जिले के बिहटा थाना क्षेत्र में एक दिल्ली निवासी कारोबारी पर हुए जानलेवा हमले के बाद से अकबर की गतिविधियां एक बार फिर रडार पर आ गईं। कारोबारी ने बताया कि अकबर ने पहले उससे रंगदारी मांगी और जब उसने मना किया तो उसकी दिल्ली से बिहार वापसी के दौरान किसी पुलिसकर्मी की मदद से उसका लोकेशन ट्रेस करवा कर उस पर फायरिंग करवाई।
नालंदा एसपी भारत सोनी के मुताबिक बैगनाबाद इलाके में तड़के चलाए गए ऑपरेशन में अकबर मलिक और उसके भाइयों के घरों पर पुलिस ने दबिश दी। करीब 7 से 8 घंटे चली कार्रवाई के दौरान भारी मात्रा में हथियार बरामद किए गए। बरामद असलहों में विदेशी पिस्तौलें, बड़ी संख्या में कारतूस और अन्य सामग्रियां शामिल हैं। कई रिश्तेदारों के मोबाइल फोन भी जब्त कर जांच में लिए गए हैं।
एसपी ने बताया कि मामले में एसटीएफ को भी शामिल किया गया है, क्योंकि प्रारंभिक जांच में अकबर के अंतर्राज्यीय हथियार तस्कर गिरोह से जुड़े होने की आशंका जताई जा रही है।
इस मामले के सामने आने के बाद राजनीतिक गलियारों में भी खलबली मच गई है। शुरुआत में जेडीयू नेताओं ने बाबर मलिक को पार्टी का सक्रिय सदस्य बताया, लेकिन मामले की गंभीरता को देखते हुए बाद में उससे किनारा कर लिया। स्थानीय लोगों का मानना है कि अकबर के अपराध की जड़ों को मजबूत करने में उसके राजनीतिक रसूखदार भाई का बड़ा हाथ रहा है।
स्थानीय निवासियों के अनुसार अकबर खुद को ‘किंग’ कहता था और जो उसकी बात नहीं मानता, उसे गोली चलवाकर सबक सिखाता था। सबसे चौंकाने वाली बात यह सामने आई है कि वह किशोर और बच्चों को हथियार तस्करी में इस्तेमाल करता था। इन्हीं नाबालिगों के जरिए वह अवैध हथियारों की डिलीवरी करवाता था।
अब सवाल उठता है कि इतने वर्षों तक अकबर मलिक जैसे अपराधी पर कानून का शिकंजा क्यों नहीं कस पाया? क्या राजनीतिक संरक्षण अपराध की ढाल बन गया था? क्योंकि यह मामला सिर्फ एक अपराधी की गिरफ्तारी नहीं, बल्कि उस सड़ांध की ओर इशारा करता है, जहां राजनीति और अपराध के गठजोड़ से कानून बौना साबित होता दिखता है।









