
हिलसा (नालंदा दर्पण)। हिलसा थाना क्षेत्र के मलावां गांव में एक दुखद हादसे के बाद पीड़ित परिवारों से मिलने पहुंचे बिहार सरकार के ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार और हिलसा विधायक कृष्ण मुरारी शरण उर्फ प्रेम मुखिया को ग्रामीणों के आक्रोश का सामना करना पड़ा। इस घटना में उग्र ग्रामीणों ने दोनों नेताओं पर हमला कर दिया, जिसमें मंत्री का एक अंगरक्षक गंभीर रूप से जख्मी हो गया। पुलिस ने इस मामले में दर्जनों अज्ञात लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है और जांच शुरू कर दी है।
पिछले शनिवार को मलावां गांव के पास एक दर्दनाक हादसा हुआ था, जिसमें ऑटो से गंगा स्नान के लिए फतुहा जा रहे 9 लोगों की मौत हो गई थी, जिनमें 8 महिलाएं शामिल थीं। चार अन्य लोग अभी भी अस्पताल में जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहे हैं। इस हादसे के बाद पीड़ित परिवारों को सांत्वना देने और मुआवजे की प्रक्रिया पर चर्चा करने के लिए ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार और विधायक कृष्ण मुरारी शरण सुबह मलावां गांव पहुंचे थे।
मंत्री और विधायक ने पीड़ित परिवारों से लगभग आधे घंटे तक मुलाकात की और उन्हें मुआवजा, लाभ, और घायलों के इलाज में हर संभव मदद का आश्वासन दिया। हालांकि मुलाकात के बाद जब दोनों नेता वापस लौटने लगे तो ग्रामीणों ने उन्हें रोक लिया। ग्रामीणों ने मुआवजे और घायलों के समुचित इलाज की मांग को लेकर हंगामा शुरू कर दिया। देखते ही देखते मामला बिगड़ गया और कुछ ग्रामीणों ने लाठी-डंडों से नेताओं पर हमला कर दिया।
हमले के दौरान स्थिति इतनी बेकाबू हो गई कि मंत्री और विधायक को अपनी जान बचाने के लिए लगभग एक किलोमीटर तक भागना पड़ा। इस हमले में मंत्री के एक अंगरक्षक को गंभीर चोटें आईं। हिलसा के एएसपी शैलजा और थानाध्यक्ष अभिजीत कुमार दल-बल के साथ घटनास्थल पर पहुंचे, लेकिन तब तक स्थिति शांत हो चुकी थी।
थानाध्यक्ष अभिजीत कुमार ने बताया कि गश्ती पदाधिकारी कृष्णकांत गिरी के बयान पर 15 लोगों को आरोपित करते हुए प्राथमिकी दर्ज की गई है। हालांकि अभी तक मंत्री और विधायक की ओर से कोई औपचारिक शिकायत दर्ज नहीं की गई है।
ग्रामीणों ने बताया कि उन्हें सुबह-सुबह मंत्री के कार्यालय से फोन आया था, जिसमें पीड़ित परिवारों से मुलाकात के लिए बैठने की व्यवस्था करने को कहा गया था। इसके लिए ग्रामीणों ने 50 कुर्सियां और तिरपाल की व्यवस्था की थी। एक ग्रामीण ने बताया कि मंत्री जी ने मृतक दीपिका पासवान के परिवार से मुलाकात के दौरान उनके बच्चों और पति के बारे में पूछा, लेकिन कोई ठोस मदद का भरोसा नहीं दिया।
ग्रामीणों का कहना है कि हादसे के बाद से सरकार की ओर से कोई ठोस मदद नहीं मिली है। मृतकों के परिवारों को सिर्फ 20 हजार रुपये की तात्कालिक सहायता दी गई थी, जबकि घायलों को समुचित इलाज तक नहीं मिल पा रहा है। एक ग्रामीण ने गुस्से में कहा कि चार महिलाएं अभी भी अस्पताल में जिंदगी और मौत के बीच जूझ रही हैं, लेकिन सरकार सिर्फ आश्वासन दे रही है।
घटना के बाद मंत्री श्रवण कुमार ने कहा कि 9 लोगों की मौत एक मर्माहत करने वाली घटना है। हम पीड़ित परिवारों के आंसू पोंछने आए थे। बिहार में तरह-तरह के लोग हैं। कुछ लोग हमारी बात का समर्थन करते हैं तो कुछ विरोध करते हैं। यह सब होता रहता है।
वहीं, विधायक कृष्ण मुरारी शरण ने इसे बदनाम करने की साजिश करार दिया। उन्होंने कहा कि हादसे के दिन मैं छह घंटे तक बारिश में खड़ा रहा और पीड़ितों के दुख में शामिल हुआ। आज भी उनके दुख को बांटने आया था, लेकिन इस तरह का हमला दुर्भाग्यपूर्ण है।
हिलसा थानाध्यक्ष अभिजीत कुमार ने बताया कि मामले की जांच शुरू कर दी गई है। पुलिस ने अज्ञात लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है और घटनास्थल पर मौजूद लोगों से पूछताछ की जा रही है। पुलिस यह भी जांच कर रही है कि हमले के पीछे की वजह क्या थी और क्या यह सुनियोजित था।
बहरहाल यह घटना न केवल स्थानीय प्रशासन और सरकार के लिए एक चुनौती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि जनता का गुस्सा और अविश्वास कितना गहरा हो चुका है। मलावां गांव के हादसे ने जहां 9 परिवारों को असमय दुख में डुबो दिया, वहीं इस हमले ने सरकार और जनता के बीच की खाई को और गहरा कर दिया है। अब यह देखना बाकी है कि सरकार पीड़ित परिवारों को न्याय और सहायता देने के लिए क्या कदम उठाती है।









