
आज जब हम AI-जनरेटेड वीडियो, 4K स्ट्रीमिंग, और वर्चुअल रियलिटी की दुनिया में हैं, लेकिन Me at the Zoo की सादगी अभी भी दिल को छूती है। सोशल मीडिया पर #MeAtTheZoo ट्रेंड शुरू हो सकता है, जहां क्रिएटर्स इसे रीक्रिएट कर सकते हैं, मेम्स बना सकते हैं या अपनी कहानियों को ‘पहले वीडियो’ के तौर पर शेयर कर सकते हैं। यह एक परफेक्ट वायरल कॉन्सेप्ट है…
नालंदा दर्पण डेस्क। आज जब हम डिजिटल युग की बात करते हैं, तो एक नाम जो हर किसी की जुबान पर होता है, वो है YouTube। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस विशाल मंच की शुरुआत एक साधारण से 19 सेकंड के वीडियो से हुई थी? जी हाँ, हम बात कर रहे हैं ‘Me at the Zoo’ की, जिसने इंटरनेट की दुनिया को हमेशा के लिए बदल दिया। आइए, इस ऐतिहासिक वीडियो की कहानी और इसके 20 साल के सफर को विस्तार से जानते हैं।
23 अप्रैल 2005 को जावेद करीम, जो यूट्यूब के सह-संस्थापक थे, उन्होंने सैन डिएगो चिड़ियाघर में एक छोटा सा वीडियो अपलोड किया। इस वीडियो का नाम था ‘Me at the Zoo’। इस वीडियो में जावेद बस इतना कहते हैं, “हाथियों की सूंड बहुत लंबी होती है, और ये बहुत कूल है।” बस, इतना ही! कोई फैंसी एडिटिंग नहीं, कोई स्पेशल इफेक्ट्स नहीं- just pure simplicity। लेकिन यही वो पल था, जब यूट्यूब ने अपनी पहली सांस ली।
उस समय इंटरनेट की स्पीड धीमी थी, वीडियो स्ट्रीमिंग एक दूर का सपना थी और यूट्यूब महज एक स्टार्टअप था। जावेद करीम, चाड हर्ले और स्टीव चैन ने मिलकर एक ऐसा प्लेटफॉर्म बनाया, जहां कोई भी अपने वीडियो शेयर कर सकता था। ‘Me at the Zoo’ उस सपने का पहला कदम था।
आज 2025 तक इस वीडियो को 300 मिलियन से ज्यादा बार देखा जा चुका है। लेकिन सवाल ये है कि एक इतने साधारण से वीडियो में ऐसा क्या है जो इसे आज भी प्रासंगिक बनाता है? जवाब है- नॉस्टैल्जिया और प्रेरणा। यह वीडियो हमें उस दौर की याद दिलाता है जब इंटरनेट सरल और मासूम था। 2005 में लोग वीडियो शेयर करने के लिए डीवीडी या ईमेल पर निर्भर थे। यूट्यूब ने इसे बदल दिया।
Me at the Zoo हमें दिखाता है कि बड़ी चीजें छोटे कदमों से शुरू होती हैं। आज यूट्यूब पर म्यूजिक, न्यूज़, गेमिंग, ट्यूटोरियल्स और क्या नहीं, लेकिन इसकी शुरुआत एक चिड़ियाघर में खड़े एक शख्स से हुई थी।
2005 में शुरू हुआ यूट्यूब आज एक सांस्कृतिक और तकनीकी क्रांति का प्रतीक है। 2005 में शुरू हुआ यूट्यूब आज एक सांस्कृतिक और तकनीकी क्रांति का प्रतीक वर्ष 2006 में Google ने यूट्यूब को 1.65 बिलियन डॉलर में खरीदा। वर्ष 2010 में यूट्यूब ने मोबाइल और स्मार्ट टीवी के लिए अपने प्लेटफॉर्म को विस्तार दिया। वर्ष 2020 में यूट्यूब शॉर्ट्स ने टिकटॉक को टक्कर दी।
वर्ष 2025 में AI, वर्चुअल रियलिटी और 5G के साथ यूट्यूब अब पहले से कहीं ज्यादा इंटरैक्टिव है। आज यूट्यूब पर हर मिनट 500 घंटे से ज्यादा कंटेंट अपलोड होता है। लेकिन इसकी नींव वही 19 सेकंड का वीडियो है।
आज जब हम AI-जनरेटेड वीडियो, 4K स्ट्रीमिंग, और वर्चुअल रियलिटी की दुनिया में हैं, लेकिन Me at the Zoo की सादगी अभी भी दिल को छूती है। सोशल मीडिया पर #MeAtTheZoo ट्रेंड शुरू हो सकता है, जहां क्रिएटर्स इसे रीक्रिएट कर सकते हैं, मेम्स बना सकते हैं या अपनी कहानियों को ‘पहले वीडियो’ के तौर पर शेयर कर सकते हैं। यह एक परफेक्ट वायरल कॉन्सेप्ट है!
Me at the Zoo सिर्फ एक वीडियो नहीं, बल्कि एक आइडिया है कि सपने कितने भी छोटे क्यों न हों, वो दुनिया बदल सकते हैं तो अब आपकी बारी है। यूट्यूब पर Me at the Zoo देखें और कमेंट में बताएं कि आपको इसकी क्या बात सबसे ज्यादा पसंद आई। क्या आप इसे 2025 में ट्रेंड करने के लिए रीक्रिएट करेंगे?









