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विधिक जागरूकता शिविर में कानूनी अधिकारों और मध्यस्थता पर चर्चा

इस विधिक जागरूकता शिविर का उद्देश्य स्कूली छात्रों और स्थानीय समुदाय को कानूनी अधिकारों, राष्ट्रीय लोक अदालत और मध्यस्थता के महत्व के बारे में जागरूक करना था…

इस्लामपुर (नालंदा दर्पण)। इस्लामपुर प्रखंड स्थित खोदागंज प्लस टू राजकीय उच्च विद्यालय में राज्य व जिला विधिक सेवा प्राधिकार के तहत एक विधिक जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया। यह शिविर जिला विधिक सेवा प्राधिकार के अध्यक्ष सह जिला जज गुरविन्दर सिंह मल्होत्रा, प्राधिकार सचिव राजेश कुमार गौरव, तालुका विधिक सेवा समिति के अध्यक्ष सह एडीजे आलोक कुमार पाण्डेय और एसडीजेएम सह सचिव शोभना स्वेतांकी के संयुक्त आदेश पर आयोजित हुआ। 

शिविर में पीएलवी (पैरालीगल वालंटियर) आलोक कुमार ने छात्रों को विधिक सेवा प्राधिकार के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि विधिक सेवा प्राधिकार का गठन वर्ष 1987 में किया गया था, लेकिन इसका अधिनियम 9 नवंबर 1995 से पूरे देश में लागू हुआ। इस प्राधिकार का मुख्य उद्देश्य समाज के कमजोर वर्गों, जैसे निर्धन, महिलाएं, बच्चे, अनुसूचित जाति, जनजाति और विकलांग व्यक्तियों को निःशुल्क कानूनी सहायता प्रदान करना है।

आलोक कुमार ने राष्ट्रीय लोक अदालत के बारे में भी बताया कि यहां विवादों को मध्यस्थता के आधार पर सुलह के माध्यम से निपटाया जाता है। यह प्रक्रिया न केवल समय और धन की बचत करती है, बल्कि समाज में शांति और आपसी भाईचारे को भी बढ़ावा देती है। उन्होंने छात्रों को समझाया कि इस तरह की पहल से अदालतों पर मुकदमों का बोझ कम होता है और लोगों को त्वरित न्याय मिलता है।

पैनल अधिवक्ता अनिल कुमार ने शिविर में वाणिज्यिक न्यायालय अधिनियम 2015 पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि यह अधिनियम भारत में व्यावसायिक विवादों के त्वरित और प्रभावी समाधान के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। 2018 में इस अधिनियम में संशोधन के तहत कुछ शर्तों के साथ मुकदमा दायर करने से पहले संस्था पूर्व मध्यस्थता और निपटान को अनिवार्य कर दिया गया है। नालंदा जिले के बिहारशरीफ न्यायालय में इसकी व्यवस्था की गई है, जो विवादों को अदालत के बाहर सुलझाने में सहायता करती है।

अनिल कुमार ने जोर देकर कहा कि यह प्रणाली न केवल अदालतों पर मुकदमों का बोझ कम करती है, बल्कि समाज में शांति, आपसी भाईचारा, और विश्वास का माहौल बनाती है।

उन्होंने यह भी बताया कि वाणिज्यिक न्यायालय अधिनियम 2015 के तहत मध्यस्थता का प्रावधान व्यावसायिक विवादों को सुलझाने के लिए एक प्रभावी और कुशल तंत्र है। यह व्यवसायों को लंबी और महंगी मुकदमेबाजी से बचने का एक वैकल्पिक मार्ग प्रदान करता है।

उन्होंने सभी व्यावसायिक संस्थानों से इस कानूनी प्रावधान के प्रति जागरूक होने और इसका उपयोग करने की अपील की, ताकि वे अपने विवादों को अधिक प्रभावी ढंग से हल कर सकें।

इस शिविर के माध्यम से छात्रों को यह समझाया गया कि कानूनी जागरूकता न केवल व्यक्तिगत अधिकारों की रक्षा करती है, बल्कि समाज में समानता और न्याय को बढ़ावा देती है। मध्यस्थता और सुलह जैसे वैकल्पिक विवाद समाधान तंत्रों के उपयोग से न केवल समय और संसाधनों की बचत होती है, बल्कि सामाजिक सद्भाव भी मजबूत होता है।

इस अवसर पर विद्यालय के प्रभारी प्रधानाध्यापक सत्येंद्र कुमार, शिक्षक दीपक कुमार, कौशल कुमार, धर्मेंद्र कुमार, धीरज कुमार, राजेश कुमार, और शिक्षिकाएं सुप्रिया कुमारी, संजू कुमारी, अर्चना कुमारी, पूनम कुमारी, सुशिला कुमारी, और प्रीति कुमारी सहित कई अन्य लोग उपस्थित थे। सभी ने इस शिविर को सफल बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया और छात्रों को कानूनी जागरूकता के प्रति प्रेरित किया।

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